रामपुर/ दिल्ली : उत्तरप्रदेश में लोकसभा के आखिरी चरण के मतदान से पहले सपा को तगड़ा झटका लगा है। यह झटका राजनैतिक मैदान का नहीं बल्कि न्याय के मंदिर का है। दरअसल, जेल में बंद आजम खान को डूंगरपुर मामले में एमपी-एमएलए कोर्ट ने आज 10 साल की सजा सुनाई है। इसके साथ ही कोर्ट ने 14 लाख का जुर्माना भी लगाया है। कोर्ट ने आजम खान को कल दोषी माना था। सपा नेता आज़म खान पर सत्ता में रहते पद के दुरुपयोग के कई मामले सुर्खियों में रहे है। इनमे से एक डूंगरपुर बस्ती को जबरन खाली कराने, मारपीट तोड़फोड़, लूटपाट, व धमकाने का आरोप उन पर लगा था।
मामला 6 दिसम्बर 2016 का है. आजम खान पर इस मामले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यकाल में वर्ष 2019 में यह केस दर्ज हुआ था. रामपुर के एमपी-एमएलए सेशन कोर्ट में मामले की सुनवाई चल रही थी. रामपुर जिले की एमपी एमएलए कोर्ट ने पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम खान को बीते दिन दोषी करार दिया था और फैसला रिजर्व कर लिया था. डूंगरपुर प्रकरण में आज एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट (सेशन ट्रायल) के न्यायाधीश डॉ. विजय कुमार ने सजा सुनाई है. आजम खान इस वक्त सीतापुर जेल में बंद हैं. जेल से ही वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से उनकी पेशी हुई थी.
सरकारी वकील शिव प्रकाश पांडेय ने न्यूज़ टुडे से चर्चा करते हुए बताया कि ‘जबरन घर खाली करवाकर उसे ध्वस्त कराने के मामले में रामपुर की स्पेशल एमपी-एमएलए कोर्ट ने सपा नेता आजम खां को 10 साल की कैद सजा सुनाई और 14 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है।’ जानकारी के मुताबिक सपा सरकार के शासनकाल में डूंगरपुर में आसरा आवास बनाए गए थे. इस जगह पर पहले से कुछ लोगों के मकान बने हुए थे. आरोप था कि सरकारी जमीन पर बताकर वर्ष 2016 में तोड़ दिया गया था. पीड़ितों ने लूटपाट का आरोप भी लगाया था। लोगो ने तस्दीक की थी कि बिल्डर के साथ मिल कर सपा नेता जमीनों पर अवैध कब्ज़ा कर रहे है। 2019 में जब बीजेपी सरकार आई तो पहली बार रामपुर के गंज थाने में इस मामले में करीब एक दर्जन अलग-अलग केस दर्ज कराए गए थे।
पीड़ितों ने यह भी आरोप लगाया था कि सपा सरकार में आजम खां के इशारे पर पुलिस और सपाइयों ने आसरा आवास बनाने के लिए उनके घरों को जबरन खाली कराया था. वहां पहले से बने मकानों पर बुलडोजर भी चला कर ध्वस्त कर दिया गया था. इन मुकदमों में आजम खां का नाम विवेचना के दौरान पुलिस ने शामिल किया था. आजम खान के साथ बरकत ठेकेदार को भी दोषी माना गया है। डूंगरपुर मामले में 12 मुकदमें दर्ज किए गए थे। फ़िलहाल लोकसभा की गरमाई राजनीति के बीच सपा नेताओं के आपराधिक रिकॉर्ड से जनता हैरत में है।