छत्तीसगढ़ में घोटालों को लेकर ACB – EOW और पुलिस सक्रीय, अब दर्ज होने लगी FIR, विष्णुदेव साय सरकार की नज़रों पर खरे उतरने लगे नौकरशाह, 3.13 करोड़ की सरकारी रकम के बंदरबांट को लेकर बीएमओ समेत 11 पर एफआईआर…..    

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Raipur, Dec 13 (ANI): Newly sworn-in Chhattisgarh Chief Minister Vishnu Deo Sai takes charge at Mahanadi Bhawan in Raipur on Wednesday. (ANI Photo)

रायपुर / गरियाबंद: छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरों, आर्थिक अनुसंधान ब्यूरों और पुलिस तीनों ही महकमों में कानून का पालन कराने को लेकर ठोस कदम उठाये जाने लगे है। इन तीनों ही  महत्वपूर्ण विभागों की गतिविधियां अपनी पटरी पर आने लगी है। ऐसे में कानून का राज स्थापित होने के आसार बढ़ गए है। दरअसल, कांग्रेस शासन के भूपे राज में शायद ही ऐसा कोई सरकारी महकमा शेष रहा हो, जहाँ भ्रष्टाचार शिष्टाचार न बन गया हो।

सरकारी तिजोरी लूटो और अपना घर भरो, यही तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपे बघेल और उनकी पटरानी सौम्या चौरसिया एवं सुपर सीएम अनिल टुटेजा का मूल मंत्र था। नतीजतन राज की नौकरशाही बीते 5 सालों तक कई संकटों से घिरी रही। इतने वर्षों बाद यह पहला मौका है, जब सरकारी रकम की बंदरबाट और भ्रष्टाचार के मामलों को लेकर वैधानिक कार्यवाही की प्रक्रिया शुरू हो गई है। प्रदेश के कई जिलों में ACB – EOW सरकारी रकम की बंदरबाट और भ्रष्टाचार के मामले में कार्यवाही में जुटा है। अब पुलिस ने भी ऐसे मामलों को गंभीरता से लेना शुरू कर दिया है।

भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति का पालन करने के लिए मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के दिशा – निर्देशों को अमल पर लाना शुरू कर दिया गया है। इस दिशा में नौकरशाही का रचनात्मक कदम गौरतलब माना जा रहा है। इसके पूर्व भूपे शासन काल में तत्कालीन दागी आईपीएस अधिकारीयों ने वर्दी की इज्जत और प्रशासन की साख दोनों तक को बेच खाया था। लेकिन वही नौकरशाही अब कानून का राज स्थापित करने में रूचि दिखा रही है। रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार के मामले को लेकर गरियाबंद जिले से बड़ी खबर आ रही है। यहाँ लगभग 3 करोड़ 13 लाख की सरकारी रकम के बंदरबांट को लेकर बीएमओ समेत 11 पर एफआईआर दर्ज हुई है। 

 
जानकारी के मुताबिक 18 मई की बीएमओ गजेंद्र ध्रुव की रिपोर्ट पर मैनपुर के तत्कालीन बीएमओ के के नेगी, तत्कालीन जिला कोषालय अधिकारी गुरुवेंद्र साव (वर्तमान में बेमेतरा कोषालय अधिकारी), डीपी वर्मा (वर्तमान में महासमुंद कोषालय अधिकारी), के के दुबे (वर्तमान में बलौदाबाजार कोषालय अधिकारी), लिपिक वीरेंद्र भंडारी, संतोष कोमरा, जीसी कुर्रे, भोजराम दीवान, वार्ड बॉय विनोद ध्रुव, वाहन चालक भारत नंदे, लुकेश चतुर्वेदानी के खिलाफ धोखाधड़ी के विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया है. मैनपुर थाना प्रभारी शिव शंकर हुर्रा ने कार्यवाही की पुष्टि करते हुए बताया की आरोपियों के खिलाफ धारा 420,467,471,409 व 120 बी के तहत अपराध पंजीबद्ध कर उच्च अधिकारियों के मार्गदर्शन में आगे की कार्यवाही की जा रही है.

जानकारी के मुताबिक आरोपियों ने आम जनता के आलावा छत्तीसगढ़ शासन को बीते 4 सालों के भीतर करोड़ों का चूना लगाया था। उनके द्वारा कोषालय से 3.13 करोड़ रुपए निकाले गए थे। जांच रिपोर्ट के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2016-17 से लेकर 2019-20 में मैनपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थ तत्कालीन बीएमओ ने अपने अधीनस्थ 60 से भी ज्यादा कर्मियो के नाम के एरियस, इंक्रीमेंट, अतरिक्त वेतन के बोगस फाइल बनवाया, खुद प्रमाणित कर कोषालय भेजा करते थे। यहाँ पदस्थ कोष अधिकारी बगैर सत्यापन के उन बिलों का भुगतान भी जारी कर दिया करते थे। दिलचस्प बात यह है कि ज्यादातर फाइल से सम्बंधित भुगतान सरकारी कर्मी के खाते के बजाए बीएमओ द्वारा चिंहित एक निजी खाते में जमा होता था। यह खाता पंजाब नेशनल बैंक की स्थानीय शाखा में खोला गया था। 

बताया जाता है कि इस तरह 4 साल में 3 करोड़ 13 लाख 43971 रुपए का आहरण बोगस फाइल के जरिये किया जाता था। देवभोग के तत्कालीन बीएमओ डॉक्टर सुनील भारती के अलावा जिला प्रशासन द्वारा तत्कालीन एडीएम जे आर चौरसिया के जांच रिपोर्ट में कई गड़बड़ियों की पुष्टि वर्ष 2020 में हो गई थी। बावजूद इसके राजनैतिक संरक्षण के चलते आरोपियों के खिलाफ कोई वैधानिक कदम नहीं उठाये गए थे। 

सूत्रों के मुताबिक जांच में पाया गया था कि जीरो बजट पर कोषालय के अफसर सरकारी रकम की बंदरबाट करते थे। इस रिपोर्ट में खुलासा हुआ था कि बोगस तरीके से निकाली जाने वाली सरकारी रकम कोषालय में मौजूद जीरो बजट से आहरण की जाती थी। अंदेशा जाहिर किया जा रहा है कि प्रदेश के कई अन्य कोषालयों में भी इस तरह से सरकार को चूना लगाया जा रहा है। इसमें कोषालय में पदस्थ अधिकारियों की कार्यप्रणाली भी जांच के दायरे में है।