दिल्ली/रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से बड़ी खबर सामने आ रही है, यहां राज्य के गृह मंत्रालय ने पद के दुरूपयोग और EOW में दर्ज भ्रष्ट अधिकारियों के प्रकरणों के एकतरफा खात्मे को लेकर वर्ष 2005 बैच के IPS शेख आरिफ के खिलाफ जांच के निर्देश दिए हैं। वरिष्ठ अधिवक्ता विजय मिश्रा की शिकायत को गृह विभाग ने गंभीरता से लिया है। बताया जाता है कि पूर्ववर्ती कांग्रेस शासनकाल में शेख़ आरिफ ने EOW के चीफ रहते मोटी रकम लेकर दर्जनों भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ दर्ज रिश्वतखोरी और आय से अधिक संपत्ति दर्ज करने के मामलों का एकतरफा खात्मा कर दिया था।
जूनियर अधिकारी होने के बावजूद शेख आरिफ बतौर “एक्टिंग DGP” के रूप में चर्चित थे। पूर्व मुख्यमंत्री भू-पे बघेल और तत्कालीन सुपर सीएम सौम्या चौरसिया के विश्वासपात्र अफसर के रूप में उनकी गिनती होती थी। इस गिरोह के वे खास रणनीतिकार बताए जाते थे। यह भी बताया जाता है कि उनकी अगुवाई में ही देश-प्रदेश में महादेव ऐप सट्टे का कारोबार फल-फूल रहा था। महादेव ऐप के सटोरियों को अवैध रूप से कारोबार संचालित करने और उसके विस्तार में मदद करने के लिए शेख आरिफ के अलावा अन्य तीन IPS अधिकारी क्रमशः 2001 बैच के आनंद छाबड़ा , 2004 बैच के अजय यादव और 2007 बैच के प्रशांत अग्रवाल के खिलाफ भी एजेंसियों का शिकंजा कसने लगा है।
उनके खिलाफ वीडियो ग्राफिक बयान दर्ज कराए गए हैं। इसमें दागी अफसरों को प्रति माह महादेव ऐप से मिलने वाली रकम का लेखा-जोखा भी गवाहों ने पेश किया है। सूत्रों के मुताबिक महादेव ऐप सट्टे में ED और EOW में दर्ज अपराधों को लेकर आरोपी चंद्रभूषण वर्मा, निखिल चंद्राकर और दम्मानी बंधुओं ने अपने वीडियो ग्राफिक बयान में दागी IPS अधिकारियों की पोल खोल दीं हैं।
EOW का अमला इन आरोपियों से पूछताछ में जुटा है। बताया जाता है कि महादेव ऐप सट्टा कारोबार में शामिल कुछ चुनिंदा आरोपियों ने अदालत के समक्ष वीडियो ग्राफिक बयान दर्ज कराने की गुहार लगाई थी। ताकि यह बयान निष्पक्ष रुप से और भयमुक्त होकर लिपिबद्ध किया जा सके। सूत्र बता रहे हैं कि जेल में निरुद्ध आरोपी चंद्रभूषण वर्मा, दम्मानी और निखिल चंद्राकर ने चार IPS अधिकारियों के लेन-देन का ब्यौरा अपने वीडियो ग्राफिक बयान में दर्ज कराया है।
इन सभी IPS अधिकारियों के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय ने राज्य सरकार को भी वैधानिक कार्यवाही सुनिश्चित करने के निर्देश दिए थे। सूत्रों के मुताबिक आरोपियों के वीडियो ग्राफिक बयान दर्ज होने के बाद EOW ने आधा दर्जन पुलिस कर्मियों के ठिकानों पर छापामार कार्यवाही की है। छापे की जद में आए पुलिस कर्मी 2001 बैच के आनंद छाबड़ा के गुर्गे बताए जाते हैं। यह भी बताया जाता है कि EOW की ताजा छापामार कार्यवाही रायपुर, बिलासपुर , दुर्ग, भिलाई, राजनांदगांव, कांकेर में की गई है। जानकारी के मुताबिक EOW में दर्ज अज्ञात अधिकारियों के खिलाफ भी विवेचना जारी है।
इसके लिए ED के दिशा निर्देशों का पालन भी सुनिश्चित किया जा रहा है। ED ने दागी IPS अधिकारियों के खिलाफ नामजद F.I.R. दर्ज करने को लेकर EOW को दागी IPS अधिकारीयों का काला चिट्ठा सौंपा था। जानकारी के मुताबिक वर्ष 2007 बैच के IPS अधिकारी प्रशांत अग्रवाल 600 करोड़ के कोल खनन परिवहन घोटाले में भी आरोपी हैं। उनका नाम ED की चार्जशीट में बतौर आरोपी दर्ज किया गया है। जबकि महादेव ऐप घोटाले में भी प्रशांत अग्रवाल कुख्यात आरोपियों की श्रेणी में शामिल हैं।
यही हाल आंनद छाबड़ा और अजय यादव का बताया जाता है। उधर वरिष्ठ अधिवक्ता विजय मिश्रा की शिकायत के बाद प्रदेश के गृह मंत्रालय ने शेख आरिफ के काले कारनामों की जांच के निर्देश दिए हैं। शिकायत में कहा गया है कि शेख आरिफ ने रिटायर्ड और अयोग्य पुलिस कर्मियों को संविदा नियुक्ती के तहत EOW में नौकरी पर रख लिया था। ऐसे कुपात्र सेवानिवृत कर्मियों के जरिए शेख आरिफ अवैध वसूली का रैकेट चलाया करते थे।
शिकायत के मुताबिक निरीक्षक मंगेश देशपांडे को नियम विरुद्ध संविदा नियुक्ती प्रदान कर EOW में दर्ज पूर्ववर्ती प्रकरणों का खात्मा कर दिया गया था। इसके बदले विभिन्न विभागो में पदस्थ भ्रष्ट अफसरों से मोटी रकम वसूले जाने के आरोप शेख आरिफ पर लगे हैं। गौरतलब है कि 31 मार्च 2022 को सेवानिवृत हो चुके इंस्पेक्टर मंगेश देशपांडे को 20.01.2022 को संविदा नियुक्ती देने के लिए शेख आरिफ ने सामान्य प्रशासन विभाग को सिफारिश भेजी थी।
उन्हें सेवानिर्वृति से दो दिन पहले दुबारा नौकरी पर रख लिया गया था। जबकि संविदा नियुक्ती की अहर्ता पूरी करने के मामले में देशपांडे का “CR” काफी खराब और अयोग्य बताया जाता है। बहरहाल भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति का पालन करते हुए गृहमंत्री विजय शर्मा ने शेख आरिफ के खिलाफ निष्पक्ष जांच के निर्देश दिए हैं।