छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार को लेकर अदालत का रवैया सख्त, कभी भी गिरफ्तार हो सकते हैं विधायक देवेंद्र यादव, ED दफ्तर में हलचल तेज

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रायपुर/बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में कांग्रेस विधायक देवेंद्र यादव की अग्रिम जमानत याचिका खारिज होने के बाद एक बार फिर ED सक्रिय होती नजर आ रही है। अंदेशा जाहिर किया जा रहा है कि कांग्रेस विधायक देवेंद्र यादव कभी भी गिरफ्तार हो सकते हैं? बिलासपुर हाई कोर्ट से यादव की अग्रिम जमानत याचिका रद्द होने की सूचना मिलते ही ED कार्यालय में हलचल तेज हो गई है।

सूत्र बताते हैं कि विधायक देवेंद्र यादव के अलावा आधा दर्जन नए कारोबारी नेताओं का भी नंबर लग सकता है। बताया जाता है कि कई कारोबारियों से ED लंबे अरसे से पूछताछ कर रही थी। यह भी बताया जाता है कि कई दिनों से फरार चल रहे कांग्रेस कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल के ठिकानों का सुराग लगते ही ED के दफ्तर में सक्रियता देखी जा रही है।

सूत्रों का दावा है कि कोल खनन परिवहन घोटाले में विधायक देवेंद्र यादव समेत आधा दर्जन बड़े कारोबारी भी नप सकते हैं। इसी कड़ी में रामगोपाल अग्रवाल कोर्ट में सरेंडर करने की तैयारी में जुटे हैं। बताते हैं कि विधायक देवेंद्र यादव की अग्रिम जमानत याचिका बिलासपुर हाई कोर्ट से खारिज होने से कई कारोबारियों को गहरा धक्का लगा है।अब वे ED के समक्ष खुद हाजिर होने पर विचार कर रहे हैं।

यह भी जानकारी सामने आई है कि रामगोपाल अग्रवाल ED के दफ्तर में खुद ब खुद हाजिर होकर अपनी दास्तान सुनाना चाहते हैं। हालाकि ED के रुख को देखते हुए उन्हें भी अपनी गिरफ्तारी की चिंता सता रही है। गौरतलब है कि कांग्रेस नेता देवेंद्र यादव को उम्मीद थी कि उनकी अग्रिम जमानत याचिका हर हाल में मंजूर होगी। उनके तथ्यों से ED के अरमानों पर पानी फिर जाएगा? लेकिन जब फैसला आया तो दूध का दूध और पानी का पानी साफ हो गया।

माननीय हाई कोर्ट में जस्टिस एन के व्यास की पीठ ने विधायक देवेंद्र यादव की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी। कानून के जानकार बताते हैं कि भ्रष्टाचार के खिलाफ अदालत काफी सख्त है, सभी कानूनी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए अदालत ने अपना फैसला सुनाया है। इसमें भ्रष्टाचार के सफाये का साफ संदेशा दिया गया है।

उधर विधायक देवेंद्र यादव की अग्रिम जमानत याचिका खारिज होने के बाद कांग्रेसी खेमे में खलबली है। उनके निवास पर समर्थक जुटने लगे हैं, सूत्र बताते हैं कि अब वे हाई कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका के खारिज होने के मामले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे।

बताया जाता है कि भू-पे राज में भ्रष्टाचार शिष्टाचार बन गया था, इसी के तहत करीब 600 करोड़ के कोल खनन परिवहन घोटाले को अंजाम दिया गया था। भू-पे राज का सरकारी सिस्टम घोटालेबाजों और दागियों की शरण स्थली बन गया था। नतीजतन एक से बढ़कर एक घोटाले सामने आ रहे हैं। केन्द्रीय जांच एजेंसियां भ्रष्टाचार के मामलों की रोकथाम में जुटी हुई हैं। बताते हैं कि पूर्व मुख्यमंत्री भू-पे के काले कारनामों से कई नौजवान कांग्रेसी नेताओं का कैरियर दांव पर लग गया है। विधायक देवेंद्र यादव ऐसे ही ऊर्जावान और सक्रिय नेता के रूप में गिने जाते हैं। फिलहाल उनकी अग्रिम जमानत रद्द होने से कांग्रेस का गलियारा सरगर्म है।