छत्तीसगढ़ में 13 करोड़ का बुलेट प्रूफ जैकेट घोटाला, बैलेस्टिक टेस्ट में फेल जैकेट की खरीदी, PHQ सवालों के घेरे में? वीर जवानों की सुरक्षा से खिलवाड़, होगी जांच…?

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रायपुर/दिल्ली। छत्तीसगढ़ में नक्सल मोर्चे पर तैनात वीर सैनिकों की सुरक्षा से खिलवाड़ का बड़ा मामला सामने आया है। इस मामले में लगभग 13 करोड़ के घटिया बुलेट प्रूफ जैकेट खरीद लिए गए हैं। सूत्रों के मुताबिक यह वो बुलेट प्रूफ जैकेट हैं,जिसे हैदराबाद में बैलेस्टिक टेस्ट के दौरान फेल कर दिया गया था। इसकी विधिवत सूचना संबंधित कंपनी को भी भेजी गई थी। बावजूद इसके कंपनी ने खुले बाजार में उपलब्ध घटिया लॉट छत्तीसगढ़ में खपा दिया है। यही नही यह जांच का विषय है कि पुलिस मुख्यालय में तैनात वरिष्ठ अफसरों ने सब कुछ जानते बुझते हुए भी आखिर क्यों इस कंपनी की गैर-कानूनी रुप से मदद की ? इस डील ने भू-पे सरकार की एक बार फिर पोल-खोल कर रख दी है। मौजूदा बीजेपी सरकार से कई सैनिक परिवार डिफेंस सप्लाई डील की जांच की मांग कर रहे हैं।

बताया जाता है कि नक्सली मोर्चों पर डटे जवानों की हिफाजत के लिए वर्ष 2018,2019-2020 में बुलेट प्रूफ जैकेट खरीदी की कावायत शुरू की गई थी। बताते हैं कि इसकी निविदा में दिल्ली समेत अन्य बड़े राज्यों की डिफेंस डील करने वाली बड़ी कंपनियों ने टैंडर में शामिल होकर तमाम औपचारिकताएं भी पूरी की थी। इस दौरान लगभग 13 करोड़ की लागत से यह बुलेट प्रूफ जैकेट खरीदे जाने थे। लिहाजा अनुकूल शर्तों के साथ टैंडर जारी किए गए थे। यह भी बताया जाता है कि टैंडर में समुचित प्रक्रिया का पालन होने के बावजूद बगैर किसी ठोस कारण के यह टैंडर-निविदा निरस्त कर दी गई थी। इसके बाद 14 फरवरी 2020 को बगैर किसी नोटिफिकेशन के इस निविदा को निरस्त कर पुनः दिनांक 19.03.21 को नई शर्तों के साथ निविडा टैंडर जारी किए गए थे। इसमें पुनः 3 कंपनियों ने प्रतिस्पर्धा में शामिल होकर बुलेट प्रूफ जैकेट की सप्लाई के लिए रूचि दिखाई थी।

सूत्रों के मुताबिक नए टैंडर में मेसर्स प्रगति डिफेंस सिस्टम प्राइवेट लिमिटेड बिलासपुर को बुलेट प्रूफ जैकेट की सप्लाई का ऑर्डर देने के लिए खाका खींचा गया था। इसमें अन्य दो निविदाकारों मेसर्स स्टार वायर इंडिया लिमिटेड और मेसर्स M.K.U दिल्ली को बगैर किसी ठोस कारण के निविदा से बाहर कर दिया गया। सूत्रों के मुताबिक टैंडर प्राप्त करने वाली बिलासपुर की यह कंपनी डिफेंस डील के मामले में फिसड्डी थी। लिहाजा इसे फायदा पहुंचाने के लिए टैंडर प्रक्रिया को प्रभावित किया गया था।बताते हैं कि बिलासपुर स्थित इस कंपनी का मुख्य कर्ताधर्ता दागी IAS अनिल टुटेजा ही था। लिहाजा इस कंपनी ने बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा कर बुलेट प्रूफ जैकेट की सप्लाई का ऑर्डर हथिया लिया था।

सूत्रों के मुताबिक टुटेजा ब्रांडकंपनी द्वारा प्रदाय किए गए बुलेट प्रूफ जैकेट, बैलेस्टिक टेस्ट में भी फेल हो गए थे। बावजूद इसके बुलेट प्रूफ जैकेट की खरीदी कर ली गई।सूत्र यह भी बताते हैं कि इस टेस्ट में दोबारा शामिल होने के लिए मेसर्स प्रगति डिफेंस सिस्टम प्राइवेट लिमिटेड बिलासपुर ने पुलिस मुख्यालय से अवैध रूप से संरक्षण प्राप्त कर कई दस्तावेजों की कूटरचना भी की थी। ताकि बाजार में उपलब्ध घटिया जैकेट की सप्लाई की जा सके। इसे खपाने के लिए छत्तीसगढ़ पुलिस मुख्यालय वर्क-ऑर्डर भी प्राप्त कर लिया गया। सूत्र बता रहे हैं कि टुटेजा के वरदहस्त वाली इस कंपनी ने बैलेस्टिक टेस्ट में दोबारा शामिल होकर गिने चुने गुणवत्ता वाले बुलेट प्रूफ जैकेट टेस्ट कराए थे ताकि वो टेस्ट में पास हो सके। बताते हैं कि टेस्ट में पास बुलेट प्रूफ जैकेट जवानों को उपल्ब्ध ही नही कराए गए। ऐसे गुणवत्ता वाले जैकेट की सप्लाई ही नही की गई। बताते हैं कि जिस बुलेट प्रूफ जैकेट को टेस्ट में पहले उपलब्ध कराया गया था, उसकी आज दिनांक तक सप्लाई ही नही की गई है। कंपनी द्वारा पूर्व में उपल्ब्ध कराया गया घटिया जैकेट हमारे जवानों के कंधों पर आज भी सज रहा है।

बताया जाता है कि बैलेस्टिक टेस्ट में सिर्फ मेटेरियल पास होने के लिए पुलिस मुख्यालय की आलमारियों में कैद रहे। जबकि घटिया माल की सप्लाई बिल निकलने से पहले ही कर दी गई।दजानकारों के मुताबिक टैंडर की शर्तों के अनुरूप बुलेट प्रूफ जैकेट की खरीदी नही होने से हमारे जवानों की जान जोखिम में है। बैलेस्टिक टेस्ट में उपलब्ध कराए गए बुलेट प्रूफ जैकेट की गुणवत्ता और PHQ में सप्लाई लॉट, दोनो की गुणवत्ता में काफी अंतर बताया जाता है। जनहित में इसका परीक्षण कराया जाना बेहद जरूरी बताया जा रहा है।

यह भी बताया जाता है कि टैंडर में शामिल दो नामी-गिरामी कंपनियां बुलेट प्रूफ जैकेट निर्माता हैं,जिनका डिफेंस सिस्टम का कारोबार हर माह करोड़ों में है।जबकि बिलासपुर की टुटेजा ब्रांड कंपनी रातों रात खुले बाजार से घटिया बुलेट प्रूफ जैकेट खरीद कर PHQ में खपाने में जुटी, बताई जाती थी। सूत्रों के मुताबिक इस कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए टैंडर की शर्तों में काफी बदलाव भी किए गए थे। इसमें पहले और दूसरे टैंडर में निविदा में शामिल होने वाली डिफेंस कंपनी के सालाना कारोबार और टर्न ओवर में काफी बदलाव किया गया था। इसका मकसद टुटेजा टुटेजा ब्रांड कंपनी को फायदा पहुंचाया बताया जा रहा है। बताते हैं कि टुटेजा ब्रांड कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए PHQ में तैनात कुछ वरिष्ठ अफसरों ने टैंडर की शर्तों में आपराधिक शिथिलता बरती है।

यह भी बताया जाता है कि बुलेट प्रूफ जैकेट खरीदी में भ्रष्टाचार की बू आने पर तत्कालीन गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने इसकी खरीदी से खुद को अलग कर लिया था। उन्होंने टुटेजा द्वारा निर्मित खरीदी से संबंधित नोटशीट को ही दरकिनार कर दिया था। ऐसी स्थिती में पुलिस मुख्यालय ने अपनी सजक कार्यप्रणाली का परिचय ना देते हुए टुटेजा ब्रांड कंपनी के पक्ष में टैंडर प्रक्रिया शुरू कर दी। बताते हैं कि ऐसी स्थिती में अनिल टुटेजा ने एक ही दिन के भीतर नए टैंडर के लिए उद्योग विभाग से सभी आवश्यक मंजूरी भी दिलवा दी। बताते हैं कि भू-पे कार्यकाल में फायदे के धंधे से जुड़े तमाम कारोबार में टुटेजा पिता-पुत्र भी शामिल हो गए थे। उनके द्वारा डिफेंस आइटम सप्लाई के कारोबार को राज्य में जोर शोर से संचालित किया जा रहा था।

बताया जाता है कि बुलेट प्रूफ जैकेट निविदा में एक मात्र टुटेजा ब्रांड कंपनी के योग्य पाए जाने पर नए सिरे से टैंडर जारी किए जाने थे, ताकि नियमानुसार कम से कम तीन योग्य कंपनियां प्रतिस्पर्धा में शामिल हों सके।लेकिन ऐसा नही हो पाया। बताते हैं कि कई जिम्मेदार वरिष्ठ अफसरों की विधिसंगत राय को नजरंदाज कर PHQ ने घटिया बुलेट प्रूफ जैकेट की सप्लाई को मंजूरी दे दी। सूत्रों के मुताबिक बुलेट प्रूफ जैकेट घोटाले का यह मामला काफी गंभीर है, यह जवानों की सुरक्षा से जुड़ा है। लिहाजा शिकायतकर्ता ने विष्णुदेव साय सरकार से मांग की है कि फौरन घोटाले की जांच कराई जाए? शिकायत में यह भी कहा गया है कि टुटेजा ब्रांड कंपनी के समस्त दस्तावेजों की पड़ताल भी कराई जाए? उसके द्वारा DRDO से संबंधित दस्तावेजों पर भी सवालिया निशान लग रहा है।न्यूज टुडे छत्तीसगढ़ ने इस मामले में DGP से प्रतिक्रिया लेने के लिए संपर्क भी साधा, लेकिन कोई प्रत्युत्तर नही प्राप्त हो पाया।