सूरजपुर। छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले से अजीबोगरीब खबर आ रही है। कोयले और दूसरे खनिज पदार्थों से परिपूर्ण इस जिले में वन विभाग की गतिविधियां चर्चा का विषय बनी हुई है। बताया जाता है कि वन विभाग के कई रेंजर अपने पद का दुरूपयोग करते हुए ग्रामीणों को प्रताड़ित करने में जुटे हुए हैं। ये कोई आम ग्रामीण नही बल्कि आदिवासी समुदाय के लोग हैं। इनकी आजीविका ही वनों पर निर्भर है। लेकिन इन दिनों कई ग्रामीणों का जंगल में दाखिल होने तक के लिए पाबंदी लगा दी गई है। जबकि वे इन्ही जंगलों में पैदा हुए हैं। यह पाबंदी शासन प्रशासन ने नही बल्कि स्थानीय रेंजर ने लगाई है। वह भी मुंहजुबानी मामला बड़ा दिलचस्प बताया जाता है।
ग्रामीणों के मुताबिक बोगस बिल वाउचरों पर हस्ताक्षर नही करने के चलते उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है। ग्रामीणों का आरोप है कि रेंजर साहब जंगल में आवाजाही करने के लिए रूपयों की मांग करते हैं वरना उनके दस्तावेजों में अंगूठा लगाना जरूरी है,उन्हें किसी भी मामले में फंसाने की धमकी देते हैं। जबकि कामकाज के लिए जंगली रास्तों से आवाजाही वे बचपन से कर रहे हैं। उनके मुताबिक ना तो वे जंगली वनोपज या फिर खनिज पदार्थों का संग्रहण करते हैं और ना ही जंगलों को नुकसान पहुंचाते हैं। ग्रामीणों की दलील है कि जंगलों से सटे औद्योगिक इलाके और यूनिट में कामकाज करने के लिए उन्हे पैदल ही जाना होता है।
वाहन की कोई व्यवस्था नहीं है। मेहनत मजदूरी करके वे अपनी आजीविका चला रहे हैं। बावजूद इसके वन मार्गों से आवाजाही करने पर उनसे प्रतिमाह 2000 रूपए प्रति व्यक्ति की मांग की जा रही है। पीड़ित ग्रामीण सूरजपुर के ओडगी रेंज के बताए जाते है। पीड़ित ग्रामीणों ने इलाके के रेंजर की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगाया है,और उनकी संपत्ति की जांच EOW से कराने की मांग की है। उनके मुताबिक मामले की शिकायत उन्होंने स्थानीय अधिकारियों और सरपंचों से भी की थी लेकिन कोई कार्यवाही नही हुई। पीड़ित ग्रामीणों का एक जत्था मामले की शिकायत लेकर आज रायपुर पहुंचा है। इस शिकायत में ग्रामीणों ने कथित आतंक फैलाने वाले रेंजर की तस्वीर भी शिकायती पत्र में चस्पा की है।
इस शिकायती पत्र में कहा गया है कि ओडगी-कुडेर गृह रेंज के रेंजर नरेन्द्र गुप्ता की कार्यप्रणाली के चलते उनका जीना मुहाल हो गया है। उनका आरोप है कि स्थानीय वन विभाग द्वारा बगैर कार्य कराए मजदूरों से रजिस्टर में साइन कराए जाते हैं, नही करने पर प्रताड़ित किया जाता है। पीड़ित ग्रामीण बताते हैं कि जंगल में वन विभाग द्वारा कई कार्य कराए जाते हैं। इसमें रेंजर द्वारा कई बोगस बिलों में मजदूरों को कार्य करना दिखाया जाता है। वास्तविक रूप से उन्हें रोजगार ही नही मिलता। कागजों में अंगूठा लगाने पर मना करने से जंगली रास्तों से आवाजाही रोक दी जाती है। स्थानीय रेंजर साहब कई बार मार-पीट और गाली-गलौच भी करता है। पीड़ित ग्रामीण अपनी गुहार लेकर विधानसभा में पहुंचे थे, लेकिन उनकी यहां वन मंत्री से मुलाकात नही हो पाई। ग्रामीणों ने बताया कि वे अपनी गुहार लेकर अब वन मंत्री के बंगले कूच करने वाले हैं। उधर न्यूज टुडे ने इस मामले को लेकर सूरजपुर DFO और संबंधित अनुविभागीय कार्यालय से संपर्क किया लेकिन कोई प्रतिक्रिया नही मिल पाई।