रायपुर/दिल्ली। छत्तीसगढ़ के विष्णुदेव साय राज में चांऊर वाला बाबा एक बार फिर सुर्खियों में है. राज्य की गरीब जनता का सैकड़ो करोड़ का चांवल डकारने वाले छत्तीसगढ़ महतारी के दुश्मनों को ढूंढ निकालने की जिम्मेदारी जनप्रतिनिधियों के कंधों पर डाल दी गई है. मामले की जांच विधायकों की कमेटी करेगी. यह फरमान प्रजातंत्र के मंदिर से डॉ रमन सिंह ने जारी जारी किया है.विधानसभा अध्यक्ष ने आज सदन में चांवल घोटाले की जांच को लेकर पूरी जवाबदारी के साथ अपनी वचनबद्धता दौहराई. बीजेपी के वरिष्ठ विधायको द्वारा दागे गए सवाल जवाब का दौर काफी गहमागहमी से भरा रहा.इसके बाद चांवल घोटाले की जांच विधायकों की कमेटी से कराने की घोषणा डॉ. रमन सिंह ने की। वैसे ही कई विधायकों की आंखें नम हो गई. ये विधायक सिर्फ सत्ताधारी दल बीजेपी के ही नही थे बल्कि मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के भी थे.
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राज्य में करोना काल समाज के हर वर्ग पर भारी पड़ा है, ऐसे दौर में भारत सरकार द्वारा भेजी गई चांवल की बड़ी खेप भू-पे सरकार के कर्णधार ही हजम कर गए। सिर्फ कागजों में चांवल वितरण दर्ज किया गया जबकि एक बड़ी आबादी चांवल खाने को मोहताज रही. हालाकि एक ओर जहां दानदाताओं ने गरीबों को राशन मुहैय्या करवाया. उनकी सहायता की वहीं दूसरी ओर “चांवल चोर”रोजाना अपनी तिजोरियां भरते रहे. गरीबों का चांवल खुले बाजार में बेच दिया गया और तत्कालिन मुख्यमंत्री “भू-पे”-बघेल और उनकी पूरी सरकार चांवल चोरों को संरक्षण देते रही.विधानसभा में आज का दिन गरीबों के नाम रहा.
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मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय सरकार का यह बड़ा फैसला चर्चा में है। छत्तीसगढ़ में चांवल घोटाला कोई नई बात नही है लेकिन भू-पे सरकार ने सरकारी धन की लूट और योजनाओं से खुद लाभ उठाने में कोई कसर बाकी नही छोड़ी थी. सदन में सत्ताधारी दल और विपक्ष के कई सदस्य अपनी ही पार्टी के नेताओं के कारनामे सुनकर स्तब्ध नजर आए. हालाकि सामान्य टोका टाकी के बीच राज्य की बीजेपी सरकार विपक्ष पर भारी पड़ी। वो अपने मंसूबों पर कामयाब रही।
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छत्तीसगढ़ में करीब 600 करोड़ के चांवल घोटाले की प्राथमिक पड़ताल में 216 करोड़ का हेर फेर पहली ही नजर में पाया गया था.यह पड़ताल तत्कालिन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के संज्ञान में आने के बावजूद कांग्रेस सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाए थे. बताया जाता है कि तत्कालिन खाद्य मंत्री अमरजीत भगत, आईएएस अनिल टुटेजा और पूर्व मुख्य सचिव विवेक ढांड ही इस घोटाले को अंजाम दे रहे थे. ऐसे में अपनो को घिरता देख भू-पे सरकार ने जांच में कोई रुचि नही दिखाई थी. बीजेपी विधायको समेत तमाम नेता मामले की जांच की मांग को लेकर सड़को से लेकर सदन तक सक्रिय नजर आए थे. बावजूद इसके कांग्रेस सरकार ने गरीबों को खाना खिलाने के मामले से ही मुंह मोड़ लिया था.
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मंत्रियों और नेताओं समेत कई अधिकारी रोजाना हजारों क्विंटल चांवल डकारते रहे. बताते हैं कि चंद दिनों में ही 600 करोड़ से ज्यादा का चांवल, गुड़ और शक्कर भी इन्होंने हजम कर लिया गया था। बताया जाता है कि कोरोना काल में प्रधानमंत्री अन्न योजना में बंटने वाले फ्री चांवल को भी घोटालेबाज़ों ने अपने गोदामों में भर लिया था. अब यह मामला तूल पकड़ रहा है, महालेखाकार की रिपोर्ट में इस घोटाले को लेकर गंभीर टिप्पणियां भी की गई थी।
विधानसभा में खाद्य मंत्री दयालदास बघेल ने मामले की जांच विधायकों की कमेटी से कराए जाने का ऐलान कर, प्रदेश की करीब ढाई करोड़ की आबादी को बड़ा तोहफा दिया है. राज्य में चांवल मुख्य भोजन के रुप में गरीबों की थाली में सजता है. बताते हैं कि भूपेश बघेल सरकार ने घोटाला करने के लिए इस थाली तक में छेद कर डाला था.
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बीजेपी विधायक अजय चंद्राकर,राजेश मूणत और धरमलाल कौशिक ने बजट सत्र के दूसरे दिन प्रश्नकाल में इस मामले को उठाकर राजनैतिक तूफान खड़ा कर दिया है. राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा जल्द ही राज्य में प्रवेश करने वाली है. ऐसे में अन्न की खाली थाली लेकर उस राह में पीड़ित जनता, राहुल गांधी से मेल मुलाकात के लिए जोर शोर से तैयारी कर रही है. वो इस घोटाले के कांग्रेस सरकार के जिम्मेदार लोगों को जेल भेजने में कितनी रुचि दिखाएंगे? इसे लेकर भी चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है. बताते हैं कि घोटाले पे घोटाला करने के चलते कांग्रेस के कई नेता भू-पे के खिलाफ मोर्चा खोलने की तैयारी में जुटे हैं. उनकी दलील है कि आगाह करने के बावजूद भू-पे, घोटालेबाजों के साथ हरदम खड़े नजर आए थे.
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इसके चलते कांग्रेस को ना केवल सत्ता गंवानी पड़ी बल्कि उसके कई नेता रोजाना अप्रिय स्थिति का सामना कर रहे हैं. उनके ठिकानों से करोड़ो की नगदी और बेनामी जमीनों की खरीद फरोख्त के सबूत उजागर हो रहे हैं. IT-ED की छापेमारी से भू-पे सरकार का काला चिट्ठा सामने आ रहा है। फजीहत कांग्रेस की हो रही है. पार्टी के कई नेता यह दावा भी करने लगे हैं। छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनाव के पहले कांग्रेस की लुटती इज्जत से पार्टी के कई नेता हैरत में हैं लेकिन करें भी तो क्या? उनके मुताबिक दागदार चेहरों को सामने कर देने से राहुल गांधी की छत्तीसगढ़ यात्रा विवादों से घिरती जा रही है।