रायपुर। छत्तीसगढ़ में पूर्व मुख्यमंत्री भूपे बघेल के घोटाले अब प्याज के छिलकों की तरह बाहर निकलने लगे हैं. भ्रष्टाचार से जुड़े तमाम दस्तावेज भी जनता की अदालत में अब उजागर हो रहे हैं. अब होगा हिसाब किताब, जनता को यही विश्वास मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से है. बीजेपी सरकार के सत्ता में आने के बाद भ्रष्टाचारियों को उनके असल ठिकाने भेजने की मोदी गारंटी योजना अब तेजी से अपने कदम बढ़ा रही है. इस कड़ी में भ्रष्ट अफसरों और कारोबारियों के खिलाफ ईडी लगातार एफआईआर दर्ज करा रही है.माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव के पहले भूपे गिरोह अपने असल ठिकाने में नजर आने लगेगा. हालाकि गिरोह का सरगना और उसका पुत्र चुनाव के पहले या बाद में जेल यात्रा पर निकलेगा?इस ओर लोगों की निगाहें लगी हुई है.बताया जाता है कि विनोद वर्मा और एएसपी संजय ध्रुव के खिलाफ एजेंसियों को पुख्ता सबूत हाथ लगे हैं.
सूत्र बता रहे हैं कि भूपे से पहले उनके साले विनोद वर्मा पर एजेंसियों का शिकंजा कस सकता है।साले सहाब दोहरे पद पर आसीन थे. सरकारी दफ्तर के भीतर वो सरकार के सलाहकार बनकर राज्य की भोली भाली जनता को बेवकूफ बनाने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ते थे. लेकिन दफ्तर से बाहर निकलते ही भूपे का करीबी रिश्तेदार बताकर जनता के हिमायती होने का दंभ भरने में भी पीछे नहीं रहते थे. महादेव एप की घोटालेबाजी में जीजा साले की जोड़ी ने जमकर उगाही की थी.बताते हैं कि भूपे और मुख्यमंत्री कार्यालय में अपने गिरोह के माध्यम से आम जनता को सट्टा खेलने की लत लगा कर करोड़ों कमाए थे।
बताते हैं कि जब घोटाला उजागर हुआ तो हार का ठीकरा कांग्रेस पर ऐसा फूटा की अबकी बार 85 पार का नारा लगाने वाली पार्टी सत्ता से ही हाथ धो बैठी.छत्तीसगढ़ में पराजय का दंश झेल रही कांग्रेस में अब इस्तीफे का सिलसिला शुरू हो गया है. प्रदेश कांग्रेस महामंत्री अरुण सिंह सिसोदिया ने अपने पद से कारण सहित इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने हार की समीक्षा ना किए जाने पर नाराजगी जाहिर करते हुए पार्टी आलाकमान को एक पत्र भी लिखा है. इस पत्र में तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के करीबी रिश्तेदार और छत्तीसगढ़ शासन के सलाहकार विनोद वर्मा के कारनामों पर उंगलियां उठाई गई है. कांग्रेस पार्टी के विभिन्न पदों पर रहे सिसोदिया के इस्तीफे से भूपे गिरोह हैरत में बताया जाता है.उधर ईडी ने महादेव एप घोटाले की जांच में तेजी लाते हुए ठोस सबूतों के आधार पर दर्जनों आरोपियों पर अपना शिकंजा कसना शुरू कर दिया है. इसके तहत कुछ आरोपियों के खिलाफ नए सिरे से कानूनी कार्रवाई किए जाने की खबरें आ रही है.
बताया जाता है कि ईडी की जांच अब निर्णायक मोड़ पर है. एजेंसियां एक साथ कई मोर्चो पर डटी हुई है.कोल खनन परिवहन, डीएमएफ, खाद्यान, शराब और महादेव एप घोटाले में जांच में आई तेजी के बाद एफआईआर दर्ज कराने का दौर शुरू हो गया है. इस बीच खबर आ रही है कि छत्तीसगढ़ सरकार के तत्कालीन सलाहकार विनोद वर्मा के खिलाफ़ छानबीन जारी है. जांच में कई चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक़ महादेव एप घोटाले में विनोद वर्मा को लगभग 65 करोड़ रूपए समय समय पर दिए गए थे. इसका ब्यौरा भी पेश किया गया है सूत्रों के मुताबिक़ विनोद वर्मा के परिजनों द्वारा संचालित एक स्कूल में नगद रकम सौंपी जाती थीं. यह रकम समय समय पर महादेव एप के संचालकों द्वारा स्कूल संचालकों के हाथो में दी जाती थी.
स्कूल के इंफ्रास्ट्रक्चर और विकास कार्यों में इसी रकम का निवेश भी किए जाने की जानकारी मिली है.यह स्कूल रायपुर के कोटा इलाके में स्थित बताया जाता है. सूत्र बताते हैं कि 2 प्रमुख गवाहों ने तस्दीक की है कि उनके द्वारा विनोद वर्मा से हुई बातचीत के उपरांत स्कूल संचालक को वे यह नगद रकम सौंपते थे. ईडी के हत्थे चढ़े पुलिस अधिकारी चंद्रभूषण वर्मा और सतीश चंद्राकार के द्वारा जो बयान दर्ज कराए गए हैं वे चौंकाने वाले हैं. बताया गया है कि एप प्रमोटर मुख्य आरोपी रवि उप्पल और सौरभ चंद्राकार दोनों ही विनोद वर्मा के रिश्तेदार हैं, इसमें रवि उप्पल की भतीजी विनोद वर्मा की बहू बताई जाती है. सूत्र बता रहे हैं की विनोद वर्मा को अकेले ही पुलिस अधिकारी चंद्रभूषण वर्मा ने लगभग 5 करोड़ रूपए सौंपे थे, लगभग इतनी ही रकम सतीश चंद्राकार ने भी विनोद वर्मा को सौंपी थी.
यही नही घोटाले की शेष रकम भी समय समय पर विनोद वर्मा द्वारा दर्शाए गए स्कूल में चिन्हित व्यक्ति को दी गई थी. यह भी बताया जा रहा है की विनोद वर्मा के पुत्र की शादी में भी आरोपियों ने जमकर रकम लुटाई थी. रायपुर में सम्पन्न हुई शादी में हुए व्यय का भुगतान उनके द्वारा नगदी में किया गया था. बताते हैं कि जलपान से लेकर तमाम सुख सुविधाओं को जुटाने एवम उसके भुगतान को महादेव एप से अर्जित होने वाली रकम से ही किया गया था. आरोपियों के मुताबिक़ सिर्फ विनोद वर्मा ने औपचारिकता निभाने के लिए ही चंद रकम का लेनदेन 1 नंबर में किया था. इसमें होटल और कार्यक्रम स्थल में हुए खर्च का ब्यौरा भी शामिल है.
जानकारी के मुताबिक़ विनोद वर्मा के ठिकानों पर हुई ईडी की रेड में लाखों के जेवर, 18 लाख रुपए समेत एक दर्जन से ज्यादा मोबाइल बरामद हुए थे.अब ये मोबाइल भी लेनदेन से संबंधित कई महत्वपूर्ण जानकारियां उजागर कर रहे हैं. कांग्रेस शासनकाल में भूपे गिरोह प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की तर्ज पर सरकारी तिजोरी पर हाथ साफ कर रहा था. जन धन को लूटने से लेकर सरकारी ठेकों में सिर्फ यही गिरोह बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेता था. जबकि भ्रष्टाचार की खिलाफत और लेनदेन से बचने वाले लोगों पर नियमानुसार कार्रवाई का भार लाद दिया जाता था.
बताते हैं कि इसका जबरदस्त खामियाजा पार्टी को भुगतना पड़ा है. कांग्रेस के आम कार्यकर्ता और समर्थक भ्रष्टाचार से दो चार होते रहे. वहीं दूसरी ओर भूपे गिरोह की तिजोरियां अवैध वसूली से दिनों दिन फलते फूलते रही. यह भी बताया जा रहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री के सलाहकार विनोद वर्मा का सीधा हस्तक्षेप जनसंपर्क विभाग में भी था. इसके चलते सरकारी योजनाओं के प्रचार प्रसार के नाम पर भी व्यापक रुप से भ्रष्टाचार हुआ था. इसमें विनोद वर्मा और उनके पुत्र से संबंधित सिफारिशी कंपनियों को ज्यादतर ठेके ऊंची दरों पर दिए गए थे. यही नही जनसंपर्क विभाग में कतरन शाखा से लेकर विभिन्न शाखाओं में अनावश्यक लोगों को नौकरी देकर उपकृत किया गया था, ये सभी कांग्रेसी कार्यकर्ता बताए जाते हैं.
इस तरह से भी छत्तीसगढ शासन को हर माह करोड़ों का चूना लगाया गया है. फिलहाल विनोद वर्मा पर एजेंसियों के कसते शिकंजे के बीच कांग्रेस में हार की समीक्षा को लेकर हलचल भी देखी जा रही है. पार्टी के कई नेता सत्ता से हाथ धो बैठने की जिम्मेदारी तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के कंधों पर डाल रहे हैं.उन्हे लगने लगा है है कि भूपे के भ्रष्टाचार से पार्टी का हाल बेहाल हो गया है. उन्हे इस बात का भी अंदेशा है कि राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा छत्तीसगढ़ में पूर्व मुख्यमंत्री के भ्रष्टाचार के मुद्दे पर आलोचना की शिकार हो सकती है.