पुलिस की कार्यशाला में बेनकाब हुआ दागी आईजी, महादेव एप और भ्रष्टाचार को लेकर सुर्खियों में छत्तीसगढ़ पुलिस, गृहमंत्री विजय शर्मा की नसीहत – फर्जी कार्यवाही से बचें आईपीएस अधिकारी

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रायपुर- छत्तीसगढ़ पुलिस के कई वरिष्ठ अधिकारी पैसे कमाने की जद्दोजहद में खाकी वर्दी और पुलिस फोर्स को बदनाम करने में जुटे हुए है। इनमें से कई ऐसे अफसर है जो पूर्वर्ती बीजेपी सरकार के कार्यकाल में दाल में नमक बराबर ही भ्रष्टाचार की वारदातों को अंजाम देते थे। लेकिन 2018 में कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद ऐसे अफसरों की मानो लाटरी ही निकल आई हो। दिन दुनी रात चैगुनी कमाई से कतिपय आईपीएस अधिकारियों का कुनबा जगमगा रहा है। इन्हीं पांच सालों के भीतर उनके परिजनों और नाते रिश्तेदारों की कमाई आसमान छू रही है। जबकि छत्तीसगढ़ को छोड़कर देश के अन्य राज्यों के आईपीएस अधिकारी अपनी तनख्वाह पर ही जीवन यापन कर रहे हैं। राज्य में भूपे गिरोह में शामिल चुनिंदा आईपीएस अधिकारियों पर अब कानून का शिकंजा लगातार कसते जा रहा है। ज्यादातर अफसर महादेव एप घोटाले, और एसएस फण्ड के दुरूपयोग के मामले में नामजद है। जबकि 2005 बैच का कुख्यात आईपीएस अधिकारी शेख आरिफ फर्जी कार्यवाही कर बेजा उगाही एवं पद के दुरूपयोग कर बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार करने के मामले में सुर्खियों में हैं। उसकी कार्यप्रणाली से न केवल पुलिस की छवि धुमिल हो रही है बल्कि आईपीएस कैडर पर भी सवालिया निशान लग रहे हैं। इसका नजारा उस समय देखने मिला जब राज्य के गृहमंत्री विजय शर्मा ने खचाखच भरे हाल में पुलिस को अपने गिरेबान में झांकने की नसीहत दे डाली।

बताया जाता है कि भारत सरकार द्वारा पारित कानून, भारतीय न्याय संहिता पर आयोजित कार्यशाला में नवीन कानून के विभिन्न पहलूओं पर प्रस्तुतीकरण दिया जा रहा था। नये कानून की न्याय संहिता में पुलिस की कार्यप्रणाली तथा न्यायालयीन कार्यप्रणाली को पारदर्शी बनाने संबंधित प्रावधानों पर प्रकाश डाला गया। लोगों को मोदी राज में नये कानून के बारे में पारदर्शीपूर्ण तरीके से जानकारी दी गई। कार्यक्रम में उपस्थित गृहमंत्री विजय शर्मा ने कानून के बदलाव को रचनात्मक बताते हुए उसे जन सरोकरों से जोड़ा। पुलिस की कार्यवाही और अदालतों में बढ़ते मामलों के शीघ्र निराकरण पर जोर देते हुए उन्होंने उस आईपीएस अधिकारी पर भी कटाक्ष किया, जो सत्ता के नशे में कांग्रेसी कार्यकर्ता बन गया था। अपने पद और अधिकारों का दुरूपयोग करते हुए इस अफसर ने कई गंभीर वारदातों को अंजाम दिया है। उसके गुनाहों की लम्बी फेहरिस्त अब जनता की अदालत में है, जल्द ही इस पर फैसला भी होगा। लेकिन उसकी करतूतें जनप्रतिनिधियों को भुलाये नहीं भूल रही है।

ताजा घटनाक्रम में ‘‘नवीन न्याय संहिता के प्रावधानों के लागू होने पर अब डिजीटल सबूतों का जिक्र होने लगा है। इसी कड़ी में बोलते हुए गृहमंत्री शर्मा ने दागी आईपीएस अधिकारी शेख आरिफ का नाम लिये बगैर तंज कसा। उन्होंने कटाक्ष भरे अंदाज में कहा कि अब पुलिस ‘‘स्कूटी में सोना प्लांट कर किसी निर्दोष को नहीं फंसा सकती।’’ गृहमंत्री की इस टिप्पणी से सभा कक्ष में उपस्थित कई पुलिस अफसरों के चेहरों पर हवाईयां उड़ गई। दरअसल फर्जी कार्यवाही को लेकर रायपुर के मौजूदा आईजी शेख आरिफ अब वाहवाही के बजाये अब कानूनी हथकंडे के दुरूपयोग को लेकर निशाने पर है। बताते है कि महादेव एप और कई पुलिसिया कार्यवाही में इस आईपीएस अधिकारी की कार्यप्रणाली जांच के दायरे में हैं। उस पर भारी भरकम भ्रष्टाचार के आरोप रोजाना लग रहे हैं। हालांकि इस अफसर के खिलाफ वैधानिक कार्यवाही का इंतजार हो रहा है। बताते है कि गृहमंत्री शेख आरिफ की कार्यप्रणाली से भलीभांति वाकिफ हैं।

कार्यक्रम में मौजूद लोगों को कानून के दुरूपयोग के मामलों से भी वाकिफ कराया गया। यही नहीं अब ऐसे पुलिस कर्मियों को सचेत भी किया गया जो अपनी काली कमाई के लिए किसी भी निचले स्तर तक पहुंचने में कोई कसर बाकि नहीं छोड़ते। गृहमंत्री की कटाक्ष भरी टिप्पणी समझने में सभा कक्ष में उपस्थित गणमान्य जनों को जरा भी देर नहीं लगी।

बताया जाता है कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के इशारों पर नाचते हुए विवादित आईपीएस अधिकारी शेख आरिफ ने एक ऐसी ही फर्जी घटना को 01 जुलाई 2021 को अंजाम दिया था। उन्होंने डीआईजी, एसीबी/ईओडब्ल्यू रहते हुए स्थानीय स्टेट बैंक आफ इंडिया के एक अफसर की स्कूटी में 02 किलोग्राम सोना प्लांट किया था। ताकि अपने ही एक सीनियर आईपीएस अधिकारी को फंसाया जा सके। बताते है कि पूर्व मुख्यमंत्री बघेल के अरमानों पर पानी फेरने वाले आईपीएस अधिकारी जीपी सिंह को बदनाम करने के लिए शेख आरिफ ने सुनियोजित साजिश रची थी। इसके तहत् उस बैंक अधिकारी से मारपीट कर स्वीकारोत्ति करवायी गई कि स्कूटी पर रखा सोना जीपी सिंह का है।

बताते है कि एडीजी जीपी सिंह आर्थिक अपराध अनुसंधान ब्यूरो में अपनी तैनाती के दौरान 36 हजार करोड़ के नान घोटाले की निष्पक्ष जांच कर रहे थे। इस जांच में भूपेश बघेल के करीबी अफसर और कारोबारी अपने कुकर्मों के निशाने पर थे। यही नहीं जीपी सिंह ने बीजेपी के तत्कालीन नेताओं को फर्जी कार्यवाही में फंसाने से तक इंकार कर दिया था। नतीजतन एडीजी सिंह को षडयंत्र पूर्वक फंसाने के लिए शेख आरिफ तथा उसके सिंडिकेट ने सुनियोजित साजिश को अंजाम दिया था। उसने बघेल सरकार के हितों को पूरा करने के लिए फर्जी गवाहों का सहारा लिया था। उन्हें वर्दी के खौफ तो कभी लालच और डरा धमकाकर झूठी गवाही करवायी गई थी। बताते है कि राज्य में कांग्रेस की करारी हार के बाद अब उन सभी गवाहों ने असलियत जाहिर करना शुरू कर दिया है। नई सरकार के गठन होते ही अब ये गवाह हकीकत पर से पर्दा हटा रहे हैं।

उनकी दलील है कि शेख आरिफ द्वारा उनको मानसिक एवं शारीरिक रूप से प्रताड़ित कर जीपी सिंह के खिलाफ झूठा बयान दर्ज करने के लिए मजबूर किया गया था। गृहमंत्री का अंदाज ए बयां सुर्खियों में है, वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को बीजेपी सरकार की मंशा से रूबरू होने का मौका इस कार्यक्रम के जरीये सहज उपलब्ध हो गया है। कार्यक्रम में शामिल हुए मेहमान बताते है कि राज्य में पारदर्शी कानून व्यवस्था प्राथमिक आवश्यकता है। भूपे सरकार ने एक तरफा भ्रष्टाचार कर पुलिस महकमें की कमर तोड़ दी है। मौजूदा दौर में ऐसे आईपीएस अधिकारियों की जरूरत है जो राज्य की जनता को पुलिसिया जूर्म से निजात दिला सके। यही नहीं कई लोगों ने शेख अािरफ के काले कारनामों की निष्पक्ष जांच की मांग की है।