Belpatra Niyam: बेलपत्र तोड़ने से पहले जरूर जान लें नियम, वरना हो जाएंगे पाई-पाई के मोहताज

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Belpatra Todne ke Niyam: हिंदू धर्म में सप्ताह के 7 दिन किसी न किसी देवी-देवताओं को समर्पित है. वैसे ही सोमवार का दिन देवों के देव महादेव का दिन माना गया है. मान्यता है कि सोमवार के दिन शिवलिंग पर कुछ खास चीजें अर्पित करने से उनकी कृपा आप पर हमेशा बनी रहती है. महादेव की प्रिय चीजों में बेलपत्र की भी गिनती होती है. लेकिन धार्मिक ग्रंथो के अनुसार, बेलपत्र तोड़ने के कुछ नियम होते हैं, जिनका पालन करना जरूरी होता है. आज हम बात करने जा रहे हैं कि बेलपत्र कब तोड़ना चाहिए और बेल चढ़ाने की सही विधि.

बेलपत्र का महत्व –
शिव पुराण अनुसार, सावन के महीने में सोमवार को शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने से एक करोड़ कन्यादान के बराबर फल मिलता है. शिवलिंग का बिल्वपत्र से पूजन करने पर दरिद्रता दूर होती है और सौभाग्य का उदय होता है.

इस दिन ना तोड़ें बेलपत्र –

-चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी और अमावस्या तिथि पर बेलपत्र न तोड़ें.

  • बेलपत्र को तोड़ते समय भगवान शिव का ध्यान करते हुए मन ही मन प्रणाम करना चाहिए.
  • साथ ही तिथियों के संक्रांति काल और सोमवार को भी बेलपत्र नहीं तोड़ना चाहिए.
  • बेलपत्र को कभी भी टहनी समेत नहीं तोड़ना चाहिए. इसके अलावा इसे चढ़ाते समय तीन पत्तियों की डंठल को तोड़कर ही भगवान शिव को अर्पण करना चाहिए.

बेलपत्र नहीं होता है बासी –
धार्मिक शास्त्रों में बताया गया है कि, बेलपत्र एक मात्र ऐसा पत्ता है, जो कभी भी बासी नहीं होता है. भगवान शिव की पूजा में विशेष रूप से प्रयोग में लाए जाने वाले इस पावन पत्र के बारे में शास्त्रों में कहा गया है कि यदि नया बेलपत्र न उपलब्ध हो, तो किसी दूसरे के चढ़ाए हुए बेलपत्र को भी धोकर कई बार पूजा में प्रयोग किया जा सकता है.

बेलपत्र चढ़ाने के नियम –
भगवान शिव को हमेशा उल्टा बेलपत्र यानी चिकनी सतह की तरफ वाला भाग स्पर्श कराते हुए चढ़ाएं. बेलपत्र को हमेशा अनामिका, अंगूठे और मध्यमा अंगुली की मदद से चढ़ाएं. भगवान शिव को बिल्वपत्र अर्पण करने के साथ-साथ जल की धारा जरूर चढ़ाएं. ध्यान रहे कि पत्तियां कटी-फटी न हों.