इंफाल. Manipur Violence: मणिपुर मैतेई और कुकी जनजातियों के बीच संघर्ष और पिछले कुछ हफ्तों में लूट एवं आगजनी की घटनाओं के कारण जातीय अशांति से जूझ रहा है. इस बीच केंद्रीय एजेंसियों और स्थानीय प्रशासन को डर है कि चोरी किए गए हथियारों में से कुछ की म्यांमार स्थित प्रतिबंधित उग्रवादी समूह को आपूर्ति की गई है. शीर्ष सूत्रों ने पुष्टि की है कि प्रशासन को उम्मीद है कि कम से कम 4,000 हथियार गायब हो सकते हैं, लेकिन गोला-बारूद की मात्रा का पता नहीं चल पाया है.
सूत्रों ने यह भी कहा है कि गोदामों, विभिन्न सुरक्षा बलों और रिजर्व बटालियनों के शस्त्रागार को लूट लिया गया है, ऐसे में लूटे गए हथियारों की कुल संख्या का वास्तविक अनुमान कुछ हफ्तों के बाद पूरा किया जाएगा. एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि लूटे गए हथियारों में एके सीरीज की अत्याधुनिक बंदूकें, एम16 राइफलें, सबमशीन गन, कार्बाइन और लेटेस्ट पिस्तौल शामिल हैं.
मणिपुर के एक शीर्ष अधिकारी ने बताया, ‘यह आशंका है और इसकी संभावना भी अधिक है कि लूटे गए कुछ हथियारों की आपूर्ति म्यांमार स्थित उग्रवादी समूहों को की गई है. किसी भी समुदाय के लिए 4,000 हथियार छिपाना या रखना संभव नहीं है. इनपुट्स भी मिले हैं कि म्यांमार के समूहों को उनमें से कुछ हथियार मिल गए होंगे, जिनका इस्तेमाल वे राज्य में कानून व्यवस्था को बिगाड़ने और सेना को निशाना बनाने के लिए कर रहे हैं.’
एक अन्य केंद्रीय खुफिया एजेंसी अधिकारी ने कहा कि चूंकि मणिपुर से म्यांमार में जाने के लिए सीमा पर कई गुप्त रास्ते हैं, इसलिए उम्मीद की जाती है कि उग्रवादी समूहों को कुछ हथियार पहले ही सौंपे जा चुके हैं. साथ ही, एजेंसियों के संज्ञान में यह आया है कि राज्य में हिंसा भड़काने वाले कुछ समूह उधर के उग्रवादी समूहों के संपर्क में हैं और झड़प होने पर उन्होंने अपने कुछ सदस्यों को म्यांमार भी भेजा है.
सेना ने सोमवार को कहा था कि उसने जातीय संघर्ष से प्रभावित मणिपुर में कम से कम 25 शरारती तत्वों को पकड़ा है, जिनके पास से हथियार, गोला बारूद और ग्रेनेड बरामद किए गए हैं. रक्षा बलों के एक प्रवक्ता ने बताया कि इंफाल घाटी में और उसके आसपास गोलीबारी और झड़पों की ताजा घटनाओं के बाद कई लोगों को हिरासत में लिया गया है और उनके पास से हथियार जब्त किए गए हैं.
उन्होंने एक बयान में कहा, ‘इंफाल पूर्व में सन्साबी, ग्वालताबी, शबुनखोल, खुनाओ में अभियान के दौरान सेना ने 22 बदमाशों को पकड़ा और उनके पास से हथियार तथा अन्य सामग्री बरामद की. 12 बोर की पांच डबल बैरल राइफल, तीन एकल बैरल राइफल, डबल बोर का एक देसी हथियार और एक मजल लोडेड हथियार बरामद किया है.’
इसके अलावा इंफाल शहर में रविवार रात को एक मोबाइल जांच चौकी पर एक कार को रोका गया था, जिसमें तीन लोग सवार थे. कार रोके जाने पर बदमाश गाड़ी से उतरे और वहां से भागने की कोशिश की, लेकिन सुरक्षा बलों ने तीनों को पकड़ लिया. कार से एक इंसास राइफल के साथ मैगजीन, 5.56 मिलीमीटर की 60 गोलियां, एक चीनी हथगोला और एक डेटोनेटर भी बरामद किया गया.
मणिपुर करीब एक महीने से जातीय हिंसा से प्रभावित है और राज्य में इस दौरान झड़पों में इजाफा देखा गया है. कुछ सप्ताह की खामोशी के बाद बीते 28 मई को सुरक्षा बलों एवं उग्रवादियों के बीच गोलीबारी भी हुई. अधिकारियों ने बताया कि संघर्ष में मरने वालों की संख्या बढ़कर 80 हो गई है. मणिपुर में ‘जनजातीय एकता मार्च’ के बाद पहली बार जातीय हिंसा भड़क उठी. अनुसूचित जाति (एसटी) के दर्जे की मांग को लेकर मेइती समुदाय ने तीन मई को प्रदर्शन किया था जिसके बाद ‘जनजातीय एकता मार्च’ का आयोजन किया था.
आरक्षित वन भूमि से कुकी ग्रामीणों को बेदखल करने को लेकर तनाव के चलते, पहले भी हिंसा हुई थी, जिसके कारण कई छोटे-छोटे आंदोलन हुए थे. मैतेई समुदाय मणिपुर की आबादी का करीब 53 प्रतिशत है और समुदाय के अधिकतर लोग इंफाल घाटी में रहते हैं. नगा और कुकी समुदाय के लोगों की संख्या कुल आबादी का 40 प्रतिशत है और वे पर्वतीय जिलों में रहते हैं.