Saturday, October 5, 2024
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News Today Alert: रायपुर के यूनियन क्लब से हो जाए सतर्क, कभी भी उछल सकती है टोपी, पीते धरे गए तो खैर नहीं, जानिए अय्याशी के बुजुर्ग अड्डे के बारे में

दिल्ली / रायपुर : यदि आप रायपुर के यूनियन क्लब का रुख करते है तो हो जाए सतर्क। यहाँ बैठकर शराब पीना आपके स्वस्थ के लिए न केवल हानिकारक  हो सकता है बल्कि कभी भी इज्जत के चिथड़े उधड़ सकते है। दरअसल, मोतीबाग और पुराने मंत्रालय दाऊ कल्याण सिंग भवन के मोहाने पर स्थित यूनियन क्लब के “अय्याशी कॉरिडोर” को छोड़कर एक अनावश्यक बड़े हिस्से पर लंबित योजना को मूर्तरूप देने की सरकारी कवायत अब क्रियान्वित होने की कगार पर बताई जाती है। इसके चलते क्लब का दारू पिलाने का लायसेंस इस बार अभी तक समाचार लिखे जाने के क्षणों के बीते पलो में भी नवीनीकृत नहीं किया गया है। इसके बावजूद भी क्लब में गैरकानूनी गतिविधिया जोरो पर बताई जा रही है।

जानकारी के मुताबिक इस क्लब में बीते 01/05/2023, अप्रैल माह से बगैर लायसेंस दारू पीने पिलाने, चखना खाने-खिलाने, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सरकार दवारा उपलब्ध कराई जा रही घटिया और नकली शराब उपलब्ध कराने का परम्परागत खेल जारी है।  इस खेल से जहां क्लब की आड़ में शराब की तस्करी करने वालो की चांदी कट रही है वही क्लब के कई सम्मानित मेंबर के गिरेबान पर ईडी और अन्य जाँच एजेंसियों का हाथ लगातार बढ़ते जा रहा है।अंदेशा जाहिर किया जा रहा है कि कभी भी यहाँ किसी की भी टोपी उछल सकती है।

जानकारी के मुताबिक पिछले पौने पांच सालो से यहां नकली शराब की आपूर्ति धड़ल्ले से हो रही है।  आबकारी घोटाले के भागीदार इस क्लब के जरिये गुणवत्ताविहीन कई ब्रांड की विदेशी शराब उपलब्ध करा रहे थे।  लेकिन आबकारी घोटाला सामने आने के बाद ऐसे जरूरतमंद तस्कर अचानक सतर्क हो गए।

बताते है कि लंबी दादी मूंछो वाला लठैत अपनी गैर क़ानूनी गतिविधियों के चलते ईडी के निशाने पर है, उसे यूनियन क्लब में खपाई गई नकली शराब का हिसाब-किताब देना पड़ रहा है। उधर ब्रांडेड शराब की कालाबाजारी कर रही नामी-गिरामी कंपनियों ने भी घोटाले से बच निकलने की रणनीति पर अमल शुरू कर दिया है।  उन्होंने ने भी यूनियन क्लब से अपने हाथ खींच लिए है। 

रायपुर में अय्याशी का यह नया यूनियन, इन दिनों खूब सुर्खियां बटोर रहा है, शहर के ह्रदय स्थल में ही नान घोटाले के मुख्य आरोपी अनिल टुटेजा की वरदहस्ती में गैर क़ानूनी गतिविधियां संचालित हो रही है। उधर, मुख्यमंत्री बघेल कभी घोटाले के आरोप बीजेपी पर तो कभी ईडी पर आरोप लगा रहे है कि वो उनके साथियों के साथ मारपीट कर रही है। बघेल, यह नहीं बता रहे है कि उनकी घटिया शराब के सेवन से  क्लब के कई सदस्यों को किडनी, लीवर, फेफड़े में संक्रमण और याददाश्त में कमजोरी की समस्या क्यों हो रही है ?

सूत्र बताते है कि कई ब्रांडेड कंपनियां अपनी दारू छत्तीसगढ़ की ही डिस्लरी में तैयार कर रही थी। इन डिस्लरी पर मुख्यमंत्री की टोली ने एक तरफ़ा कब्ज़ा कर लिया था। डिस्लरी के परम्परगत और विधिसंगत मालिक अपने ही व्यापारिक प्रतिष्ठानों में सिर्फ नौकर बनकर रह गए थे। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल वल्द नन्दलाल बघेल निवासी पाटन जिला दुर्ग के गुर्गे पीड़ित शराब कारोबारियो को उनकी डिस्लरी संचालन का मेहनताना भर दे रहे थे। डिस्लरी से 24 घंटे निकलने वाली नकली शराब छत्तीसगढ़ के अलावा झारखण्ड, उत्तरप्रदेश, ओडिशा, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्यों तक खपाई जा रही थी।  

सूत्र बताते है कि प्रवर्तन निर्देशालय के अफसर समस्त “भटिया बंधु” की गुहार से रूबरू होने के बाद उनकी व्यापारिक दुर्दशा से वाकिफ भी हुए है। जानकारी के मुताबिक बीते 23 सालो में पहली बार शराब के परम्परागत कारोबारियों का सामना मदिरा प्रेमी  डॉक्टर दारूवाला से हुआ है। राज्य में अत्याधिक मुनाफा कमाने के लिए विदेशी शराब कंपनियों ने छत्तीसगढ़ शासन की तिजोरी को जहां जमकर चूना  लगाया है, वही गुणवत्ता वाली शराब के भरोसे में उपभोग्ताओ ने भी पूरी कीमत चुका कर घटिया शराब का सेवन किया था। जानकार बताते है कि  उपभोग्ता शारीरिक नुकसान पहुचाने वाली सस्ते केमिकल युक्त शराब का लगातार सेवन कर अपनी शारीरिक शक्ति खोते रहे वही गली- कूचो में शराब के नये-नये ठिकाने खुल गए। 

 सूत्रों के मुताबिक कई नामचीन ब्रांडेड शराब की सुगंध वाले घातक केमिकल का धड़ल्ले से  उपयोग किया जा रहा था। आबकारी विभाग और पर्यावरण विभाग भी निम्नस्तरीय शराब उत्पादन को संरक्षण देते रहे। आबकारी  सचिव एपी त्रिपाठी और उनकी पत्नी मंजुला त्रिपाठी समेत कई तस्कर इन वर्षो में सीएम बघेल सरकार की आमदनी  छप्पड़ फाड़ के बढ़ाते रहे। नकली होलोग्राम भी इस गिरोह की रीढ़ की हड्डी बन गया।

इस गिरोह के गुलाबी नोट कमाने की होड़ में कई नौ जवानो के शारीरिक अंग अत्यधिक केमिकल की वजह से जहां शिथिल पड़ गए वहीं कई लोगो को अपनी जान भी गवानी पड़ी। छत्तीसगढ़ समेत पड़ोसी राज्यों की कई होटलों , क्लब, दारू के अड्डों और सरकारी दुकानों से घटिया विदेशी शराब की नियमित आपूर्ति ने जनता का हाल बेहाल कर दिया है।

मुख्यमंत्री की सरकारी शराब पर भरोसा कर जनता की जान जोखिम में पड़ रही है, क्लबों में भी आपूर्ति की जा रही शराब की गुणवत्ता की जाँच इन पौने पांच सालों में आखिर क्यों नहीं कराई गई, कई पीड़ित परिवार पूछ रहे है। यही नहीं राज्य में परोसी जा रही शराब की विश्वसनीय रिपोर्ट का इंतजार भी अरसे से हो रहा है, लेकिन मुख्यमंत्री बघेल मौन है।  

न्यूज़ टुडे छत्तीसगढ़ की रिसर्च में यह तथ्य सामने आया है कि सस्ती शराब का सेवन करने वाले उपभोक्ताओं की तुलना में गंभीर बीमारियों से ग्रसित, मरीजों में ऐसे मदिरा प्रेमियों की संख्या ज्यादा थी जो ब्रांडेड विदेशी शराब के सेवन को प्राथमिकता दे रहे थे।

रायपुर, मुंबई, दिल्ली,हैदराबाद, विशाखापटनम  और दक्षिण के विभिन्न अस्पतालों में लीवर, किडनी, लंग्स-फेफड़े और भूलने की बीमारी से पीड़ित मरीजों की जाँच रिपोर्ट बताती है कि अज्ञात केमिकल मदिरा प्रेमियों के शरीर के लिए घातक है। शराब में मिश्रित केमिकल की मात्रा और मापदंडों के बारे में कोई वैधानिक जानकारी जनता को छत्तीसगढ़ शासन द्वारा न दिया जाना सवालों के घेरे में है।

गंभीर तथ्य यह है कि प्रदेश भर में शराब की गुणवत्ता पर लगे सवालिया निशान के बावजूद छत्तीसगढ़ सरकार ने समय-समय पर कोई जाँच नहीं कराई। नतीजतन आज भी लोगों को नहीं पता कि सरकारी दुकानों से उपलब्ध कराई जा रही शराब, गुणवत्ता के पैमाने में कितनी खरी है? जबकि सरकारी दुकानों से उपभोक्ता शराब खरीदी के लिए बाध्य है।

छत्तीसगढ़ में सालाना 20 हजार करोड़ की अवैध वसूली वाले सरकारी लाइसेंस प्राप्त छत्तीसगढ़ शासन के कर्णधारी ही सुनियोजित रैकेट के हिस्सेदार बन गए है। बताते है कि इनके घरों से लेकर तमाम ठिकानों में ही दिन में होली और रात में दीपावली रोजाना मनाई जा रही है, जबकि आम जनता के गले में मुसीबतो का पिटारा लटक रहा है।

राज्य में लगभग 10 हजार करोड़ सालाना के कोल खनन परिवहन घोटाले में अब तक मात्र 500 करोड़ के सबूत ही ED इक्क्ठा कर पाई है,इसमें से महज 171 करोड़ की संपत्ति ही ED सीज कर पाई है,जबकि सालाना 20 हजार करोड़ के आबकारी घोटाले में ED को महज 2 हजार करोड़ के सबूत ही उसे हाथ लगे है,इसमें से मात्र 180 करोड़ की संपत्ति ही ED सीज कर पाई है। इस तरह से घोटालो के आरोपियों से लगभग 2149 करोड़ की शेष वसूली केंद्रीय जाँच एजेंसियों के सामने बड़ी चुनौती है। हालांकि छत्तीसगढ़ की आम जनता की भी नैतिक जवाबदारी है कि वो लूटी गई सरकारी तिजोरी में टैक्स पेयर की रकम जमा कराने के लिए सरकारी एजेंसियों की मदद करे, वर्ना ED के अलावा देश में अन्य कोई ऐसी सरकारी एजेंसी नहीं है,जो प्रभावशील आरोपियों के गिरोह पर लगाम कस सके। 

राजनीतिक दलो द्वारा बगैर सोचे-समझे पेश “गू” से प्रदेश में बदबू का आलम है। लोग समझ नहीं पा रहे कि केबल के गू और गू-पेश में कोई अंतर है भी या नहीं ? उनके मुताबिक स्व कल्याण की कोई सीमा तो होनी चाहिए, दरअसल लोकतंत्र में सरकार, जन कल्याण – लोक कल्याण के लिए निर्वाचित होती है, लूटपाट या फिर स्व कल्याण के लिए नहीं।

 शरीर विज्ञान, एनाटॉमी के जानकार बताते है कि इंसान और प्राणी के मल-मूत्र में थोड़ा नहीं बल्कि काफी अंतर होता है। मनुष्य शरीर को इतना तो संवेदनशील होना चाहिए कि वो शुभ – लाभ की ओर अपने चरण बढ़ा सके।

बहरहाल, यूनियन क्लब के अनुचित आवंटन को जनहित में रद्द किये जाने की वकालत कर रहे वरिष्ठ अधिकारी साफ कह रहे है कि यहां कामकाजी नौ जवानो के लिए आवासीय परिसर उपलब्ध कराने की सालो पुरानी मंजूरी दी गई एक योजना सिर्फ कागजो में ही सिमटा दी गई थी, इसकी फाइल ही लालफीताशाही का शिकार हो गई है।

नाम न छापने की शर्त पर अधिकारी दावा कर रहे है कि इस क्लब को जनहित में शराब परोसे जाने से रोका गया है, यहाँ परोसी जा रही शराब संदेह के दायरे में है, उनके मुताबिक क्लब का लाइसेंस रिन्यू करने के लिए सीएम की टोली जोर आजमाइश कर रही है। वे आगाह कर रहे है कि क्लब के सदस्य यहां दस्तक देने से पूर्व अपने शरीर और शराब की गुणवत्ता की एक बार जांच जरूर करवाएं, क्योंकि जान है, तो जहान है।    

उधर खबर आ रही है कि शराब घोटाले के वांटेड अरविन्द सिंह को नेपाल- भारत बॉर्डर पर सुनौली के आस-पास धर दबोचा गया है, ED की टीम उसे रायपुर ला रही है। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने आबकारी विभाग के सचिव निरंजन दास और पिंकी सिंह की अंतरिम बेल से जुडी एक याचिका पर ED को नोटिस जारी किया है। बताया जा रहा है कि सोमवार को मामले की अगली सुनवाई है। जानकारी के मुताबिक ED का समन जारी होते ही रिटायर IAS निरंजन दास गायब हो गए है, सूत्र दावा कर रहे है कि इन दिनों वे दिल्ली के गुड़गांव स्थित पांच सितारा अस्पताल में मौज-मस्ती में है, हालांकि दोनों ही घटनाओ की आधिकारिक पुष्टि अभी नहीं हो पाई है।

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