पहले से ही चल रही थी 2000 के नोट को बंद करने की तैयारी, RBI के फैसले के पीछे ये हो सकते हैं कारण

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2000 Rupee Note: भारतीय रिजर्व बैंक के 2000 रुपये के नोट को चलन से वापस लेने का एलान करने के बाद इस पर तरह-तरह की खबरें आ रही हैं. सत्ता पक्ष के इसके फायदे बताने से लेकर विपक्ष के इसके नुकसान गिनाने तक- लगातार खबरों का दौर जारी है. ऐसे में भारतीय रिजर्व बैंक के इस कदम के पीछे क्या-क्या कारण हो सकते हैं- इसको लेकर भी चर्चा जारी हैं. यहां उन कारणों के बारे में चर्चा की जा रही है जो आरबीआई के इस फैसले के पीछे की वजह हो सकते हैं.

2000 रुपये मूल्यवर्ग के बैंक नोटों की जालसाजी में वृद्धि जैसे फैक्टर, कम मूल्यवर्ग के नोटों को प्राथमिकता देने वाले लोग भी भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा उस नोट को धीरे-धीरे वापस लेने की घोषणा करने के कारण हो सकते हैं.

वित्त वर्ष 2022 के लिए आरबीआई की वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2020 के दौरान, 17,020 रुपये 2,000 मूल्यवर्ग के नकली नोटों का पता चला और वित्त वर्ष 2021 में यह संख्या घटकर 8,798 हो गई, लेकिन वित्त वर्ष 2022 में यह संख्या अचानक बढ़कर 13,604 हो गई.

गौरतलब है कि आरबीआई ने वित्त वर्ष 2019 के दौरान 2,000 रुपये के नोटों की छपाई बंद कर दी थी.

2020 में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्रीय बैंक ने 2,000 रुपए के एक नोट की छपाई पर 3.54 रुपए खर्च किए थे.

शुक्रवार को, आरबीआई ने क्रमिक तरीके से 2,000 रुपये मूल्यवर्ग के बैंक नोट को वापस लेने की घोषणा की थी.

भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण के मुताबिक, 100 रुपये के नोटों को सबसे अधिक पसंद किया गया, जबकि 2000 रुपये को लोगों द्वारा सबसे कम पसंद किया गया.

आरबीआई की वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2012 में मुद्रा नोटों की छपाई के लिए 4,984.80 करोड़ रुपये खर्च किए थे, जो वित्त वर्ष 21 के दौरान खर्च किए गए 4,012.09 करोड़ रुपये थे.

आरबीआई 2 रुपये, 5 रुपये, 10 रुपये, 20 रुपये, 50 रुपये, 100 रुपये, 200 रुपये, 500 रुपये और 2,000 रुपये के नोट जारी करता है. प्रचलन में 50 पैसे और 1 रुपये, 2 रुपये, 5 रुपये, 10 रुपये और 20 रुपये के सिक्के शामिल हैं. 1 रुपये का नोट भारत सरकार के वित्त मंत्रालय द्वारा जारी किया जाता है.