News Today Cg: इलाहबाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर बन सकते है छत्तीसगढ़ लोक आयोग के अध्यक्ष,रायपुर दौरा सफल….

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रायपुर : प्रयागराज हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर छत्तीसगढ़ लोक आयोग के अध्यक्ष बन सकते है। न्यायमूर्ति दिवाकर अपने रिटायरमेंट के करीब बताए जा रहे है। सूत्र बताते है कि न्यायमूर्ति दिवाकर अगले 4 माह बाद रिटायर हो जाएंगे,लिहाजा उनके अनुभवों का लाभ इस प्रदेश को मिल सकेगा। दावा यह भी किया जा रहा है कि लोक आयोग के नए अध्यक्ष के लिए मुख्यमंत्री ने इसकी सहमति भी दे दी है। 

उधर,न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर का रायपुर दौरा कामयाब बताया जा रहा है,उनके नगर आगमन से बतौर जनप्रतिनिधि प्रदेश के मुखिया भूपेश बघेल की बांछे खिली हुई है। प्रदेश के ऊर्जावान शख्स के पडोसी राज्य में चीफ जस्टिस बनने से विधि विधायी कार्य से जुड़ा महकमा गदगद है। बताते है कि गंगा की त्रिवेणी भी इन दिनों छत्तीसगढ़ का मार्ग तय कर रही है। 

मुख्यमंत्री की पसंद सामने आने के बाद लोक आयोग के अध्यक्ष की कुर्सी और कार्यालय के कायाकल्प की चर्चा महकमे में शुरू हो गई है।विधि सचिव रामकुमार तिवारी के प्रयासों से प्रदेश में अदालतों और शासन के बीच की कड़ी सुर्खियों में रही है।

बताते है कि छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट बिलासपुर के तत्कालीन चीफ जस्टिस पीआर रामचंद्र मेनन को भी पूर्व में लोक आयोग के चैयरमैन का सपना इसी शख्स ने दिखाया था। इसके बाद अपने साले सूर्यकांत तिवारी के जरिए उस चार्टर प्लेन की हकीकत भी जनता के सामने बयां कर दी थी,जिस पर तत्कालीन चीफ जस्टिस पीआर रामचंद्र मेनन सवार थे। 

सूत्र बताते है कि कोरोना काल के पहले दौर में जब यात्री विमानों और चार्टर प्लेन की उड़ान पर भारत सरकार ने रोक लगाईं थी। तब एक चार्टर प्लेन झूठी जानकारी और अनुचित यात्रा अनुमति प्राप्त कर दिल्ली से कोयम्टूर पहुंचा था। इस पर सवार होकर न्यायमूर्ति ने कोयम्टूर से बिलासपुर के लिए सीधी उड़ान भरी थी।

बिलासपुर एयरपोर्ट से यह विमान अन्यत्र उड़ान के साथ दिल्ली लैंड किया था। मामले की शिकायत DGCA से भी की गई थी। न्यायपालिका को अनुचित हितो के पालन के लिए प्रभावित करने के इस मामले के खुलासे का खामियाजा पीआर रामचंद्र मेनन को भोगना पड़ा था। बताते है कि कोरोना काल में विशेष वायुयान का उपयोग पीआर रामचंद्र मेनन ने किसी आपात स्थिति या फैसला देने के लिए नहीं किया था। बल्कि बिलासपुर पहुँचते ही वे लम्बे दिनों के लिए क्वॉरेंटाइन हो गए थे।

छत्तीसगढ़ में अदालतों को प्रभावित करने के मामलों में विधि सचिव रामकुमार तिवारी की भूमिका अक्सर विवादों में रही है। बताते है कि ED के आरोपी अनिल टुटेजा को नान घोटाले में अग्रिम जमानत दिलाने की फील्डिंग भी रायपुर के पूर्व डिस्ट्रिक्ट एंड सेशन जज रामकुमार तिवारी ने ही की थी।

नौकरशाही और राजनीति के साथ अदालती दलाली के लिए चर्चित इस शख्स के कार्यप्रणाली के कारण ही बताया जाता है कि बिलासपुर हाई कोर्ट के एक जज के फैसले पर ED सुप्रीम कोर्ट में उँगलियाँ उठा रही है।सूत्र बताते है कि  ED ने बंद लिफाफे में लेनदेन और आरोपियों से मेल मुलाकात का हवाला दिया है।  

सूत्र बताते है कि सौम्या चौरसिया और अनिल टुटेजा के संपर्क से महासमुंद विधान सभा सीट के भावी उम्मीदवार न्यायमूर्ति रामकुमार तिवारी की चुनावी तैयारी जोरो पर है। वे अपने निकटतम साले सूर्यकांत तिवारी के मार्फ़त अपनी टिकट पुख्ता कराने के लिए कांग्रेस का अदालती हाथ मजबूत करने में जुटे है। उनकी इस मुहिम की महाधिवक्ता कार्यालय में भी धूम है।

अनिल टुटेजा जैसे ED के कुख्यात आरोपी और दागी IPS अफसर शेख आरिफ की सार्वजनिक चैट बताती है कि निचली अदालतों के कई जज कांग्रेस के हितो को देखकर फैसले दे रहे है। इसके एवज में उन्हें उपकृत किया जा रहा है। ऐसे जजों के फैसले अदालत की मान-मर्यादा पर सवालिया निशान लगा रहे है।   

जानकारी के मुताबिक सौम्या चौरसिया का जेल या बेल का फैसला अभी आया नहीं है,लेकिन उसकी जारी उल्टी गिनती के बीच प्रयागराज से पधारे सम्मानीय न्याय मित्र के आगमन से बघेलखण्ड गदगद है,उसे भरोसे की उम्मीद जगी है। हालाँकि दिनों-दिन टल रहे फैसले से दलाल स्ट्रीट में ब्लैक मनी की रोजाना मोटी होती थैली उछाल पर है। निवेशकर्ताओं के मुताबिक न्यायधानी अवसर की तलाश में है,आपदा के और संगीन होने का इंतज़ार किया जा रहा है।

बताते है कि दुकानदारी में एकाधिकार होने के चलते गू चरण जी को मैदान में उतारा गया था। लेकिन भ्रष्टाचार के दलदल में फंसे चरण इससे पहले की कानून के वैधानिक जानकार के रास्ते को नाप पाते ED ने अचानक उनके ठिकानो पर दबिश दे दी।

फिलहाल जेल या बेल की तस्दीक कर रहे कानून के अच्छे खां बताते है कि मंदिर-मस्जिद की तर्ज पर जेल या बेल का फैसला तौला जा रहा है,गाँधीवादी सिद्धांत का पालन सुनिश्चिंत होते ही ऊंट किस करवट बैठेगा जल्द ही लोगो को इसका भी पता पड़ जाएगा। फिलहाल तो कानून के मंदिर का रुख गौरतलब है।