News Today Exclusive: 54 करोड़ की ठगी के मामले में कोलकाता से रायपुर पहुंची CBI ने आरोपी को फ़ौरन धर दबोचा,छत्तीसगढ़ में सालाना 20 हजार करोड़ की अवैध वसूली की शासन ने जांच तक नहीं की, फिर सुर्खियों में CBI….

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छत्तीसगढ़ में CBI पर बैन है,राज्य सरकार टुटेजा,सौम्या समेत दर्जनों दागी अफसरों की शिकायतों के बाद भी कार्यवाही नहीं करती। बल्कि केंद्रीय जांच एजेंसियों के खिलाफ सडको पर उतरती है,पश्चिम बंगाल में मात्र 54 करोड़ की ठगी की वारदात पर निवेशकर्ता की शिकायत रंग लाती है, मुख्यमंत्री बघेल के मोहल्ले से आरोपियों को धर दबोच कर CBI कोलकाता ले जाती है,फिर भी भिलाई में आराम फरमा रहे सीएम की आंखे नहीं खुलती। सुबह उठते ही वो मुँह धोने से पहले ED और CBI को धकियाते है,उन्हें पश्चिम बंगाल के टका और छत्तीसगढ़ के रूपए-पैसो में फर्क साफ़-साफ़ नजर आता है। ऐसी बात नहीं है मोटे चश्मे के भीतर मुख्यमंत्री मिचमिचाती आंखे सरकारी तिजोरी के धन और पीड़ितों के धन को बड़ी आसानी से स्कैन कर लेती है,तभी तो यहां 500 करोड़ के कोल खनन परिवहन और 2 हजार करोड़ के आबकारी घोटाले के बाद भी CBI जांच के निर्देश नहीं होते। यही तो बघेलखण्ड का गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ है।

दिल्ली/कोलकाता/रायपुर : छत्तीसगढ़ के शराब घोटाले की जांच जल्द ही CBI के हवाले होगी। भले ही मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कितने भी रोड़े अटका लें। सूत्र दावा कर रहें है कि छत्तीसगढ़ का शराब घोटाला दिल्ली,उत्तर प्रदेश और झारखण्ड तक फैला हुआ था,यह अकेले छत्तीसगढ़ को प्रभावित नहीं कर रहा है,बल्कि भूपेश बघेल का भ्रष्टाचार पडोसी राज्यों के हितो को भी प्रभावित कर रहा है। इन राज्यों की अर्थव्यवस्था को मनी लॉन्ड्रिंग के जरिए नुकसान पहुंचाया जा रहा है।

कांग्रेस शासित राज्य छत्तीसगढ़ के हवाला ऑपरेटर पडोसी राज्यों के लिए चूनौती बन गए है। छत्तीसगढ़ शासन द्वारा भ्रष्टाचार और संदिग्ध आरोपियों को संरक्षण देने के चलते मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का भ्रष्टाचार अब अन्तर्राजीय समस्या बन चुका है। लिहाजा भारत सरकार से राज्य की सरकारी तिजोरी में जनधन की वापसी की मांग जोर पकड़ रही है। राज्य की जनता PMO की ओर आशा भरी निगाहो से देख रही है। 

झारखण्ड के बाद छत्तीसगढ़ में भी CBI के दफ्तर में अरसे से जमीं धूल अब साफ़ हो गई है। केंद्रीय जांच एजेंसिया भ्रष्टाचार में लिप्त दागी अफसरों,कारोबारियों और राजनेताओ को ढूंढ-ढूंढ कर निकाल रही है। कोलकाता से रायपुर पहुंची CBI की टीम ने अचानक मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनके परिजनों के करीबी “मितान” कोठारी बंधुओं के ठिकानों पर छापेमारी की कार्यवाही को अंजाम दिया। फिर धर दबोच कर अपने साथ कोलकाता ले कर गई।

राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नाक के नीचे से उनके राजदार के गिरेबान में हाथ डालकर CBI के दस्ते ने कोठारी बंधुओं को दुर्ग,भिलाई और पाटन विधान सभा सीट होते हुए राजधानी रायपुर से नवा रायपुर और मंत्रालय के प्रमुख मार्गो से गुजारा। केंद्रीय एजेंसियों ने डंके की चोट पर तमाम आरोपियों को उनके असल ठिकानों मतलब कोठारी को जेल की कोठरी में भेज दिया है। उनका मामला मात्र 54 करोड़ का है,इस घोटाले में CBI आज कोठारी बंधुओ को अदालत में पेश कर रही है।

जबकि दूसरी ओर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल 2 हजार करोड़ के शराब घोटाले के उजागर होने के बाद तमाम आरोपियों को बचाने में जुटे है। आबकारी घोटाले को लेकर ही नहीं,बल्कि 10 हजार करोड़ सालाना के कोल खनन परिवहन घोटाले को लेकर भी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का यही हाल है। 

छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े नान घोटाले में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पहले तो आरोपियों को जेल भेजने के लिए गुहार लगाते है,विधान सभा चुनाव 2018 में नान घोटाले के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह को कटघरे में खड़ा करते है,फिर रमन सिंह सरकार के ख़ास अफसर रहे अनिल टुटेजा के खिलाफ वैधानिक कार्यवाही किए जाने को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखते है,लेकिन सौदा पट जाने के बाद वही अनिल टुटेजा बघेल सरकार में सुपर सीएम बन जाता है।

नान घोटाले के मुख्य आरोपी अनिल टुटेजा के निर्देश पर सीएम बघेल आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो,EOW से नए सिरे से 36 हजार करोड़ के घोटाले की जांच के लिए SIT गठित करते है, लेकिन इसकी रिपोर्ट ना तो विधिसंगत रूप से विधान सभा में पेश करते है,और ना ही इसे सार्वजानिक किया जाता है। 

सांकेतिक तस्वीर, श्रोत-इंटरनेट 

News Today Chhattisgarh ने साढ़े पांच फुट ऊंचाई,रंग गेहुआ,बाल सफ़ेद,आँखों में चश्मा उसके भीतर मिच मिचाती दो आंखे,सिर में लगे दो कच्चे कान,दिल में सौम्या,दिमाग में गोबर,दो खूनी पंजे,शराब के नशे में लड़खड़ाते कदमो पर पूरा शोध किया है। वरिष्ठ पत्रकार सुनील नामदेव ने तो दिल्ली से लेकर देश के कई राज्यों की खाक छानी है। 

इस दौर में उनका राजनीति के उन सूरमाओ से भी सामना हुआ था,जो अपनी बात के धनी और जनता के प्रति समर्पण की मिसाल थे। मौजूदा दौर की राजनीति के उन बघेलों की तर्ज पर नहीं,जिनकी मुख्यमंत्री की कुर्सी में बैठते ही,बुद्धि गुल हो जाती है,फिर सुपर मुख्यमंत्री के जरिए वे अपने अपराधों को अंजाम देते है।   

वरिष्ठ पत्रकार ने तो देश की धड़कन मध्यप्रदेश से लेकर छत्तीसगढ़ तक राजनीति के कई बघेलों की नब्ज टटोली है,ऐसे में पाटन के सोहदे कैसे छूट सकते है। मध्यप्रदेश में बदलते दौर की तत्कालीन किसी भी पार्टी की लोकप्रिय सरकार हो उनके मुख्यमंत्रियों की नब्ज टटोल कर जनता के प्रति उनका हाजमा ठीक बनाए रखने की सीख कई वरिष्ठ राजनेता चुनिंदा पत्रकारों को स्वयं देते है,वे उनसे निंदक नियरे रखिये के मधुर संबंधो के साथ जनहितैषी योजनाओ को साझा कर शासन चुस्त-दुरुस्त बनाए रखते है। लेकिन छत्तीसगढ़ के मिस्टर नगद नारायण,इस फार्मूले के खिलाफ है।

देश की राजनीति में सिर्फ बीजेपी-कांग्रेस नहीं ,बल्कि तमाम दलों के कई नेताओ को वरिष्ठ पत्रकार ने कवर किया है। ये सिलसिला अभी से नहीं पुराने दौर से जारी है,मुख्यमंत्री जी।

इस दौर में सडको पर दिन रात बिताकर वरिष्ठ पत्रकार ने पाया कि राज्य की धरोहर और पुरखे संविधान की शपथ लेकर झूठ नहीं बोलते थे। मतभेद होने की सूरत में किसी पत्रकार के खिलाफ झूठे मामले लादकर जेल में नहीं ठूंसा करते थे। उनके घरो में बुलडोज़र नहीं चलाया करते थे।

आकाशवाणी दूरदर्शन समेत कई राष्ट्रीय चैनलो और अखबारों के दफ्तरों की धूल साफ़ करने और कर्त्यवनिष्ठ पत्रकारों,कलमकारों,साहित्यकारों की जूतियों का कचरा उठाने के बाद ही किसी शख्स को पत्रकारिता का प्रतिसाद मिलता है,मिस्टर नगद नारायण,सदैव आपको यह याद रखना चाहिए। कुर्सी पर बैठकर नोट गिनने से बेहतर जनता की सेवा का मेवा लूटते,तो ज्यादा बेहतर होता,आप तो सेवा का ही धंधा करने लगे।

प्रदेश के महान पुरखो की तस्वीरें मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ की विधान सभा में आज भी विराजमान है,उनके दौर के राजनैतिक क्रियाकलाप आज भी सुनाने वाले लोग जीवित है,उनके लिए जनता की सेवा का मेवा,रंग-बिरंगे नोट नहीं,अपितु जरुरतमंद गरीब की सहायता से उसके चेहरे पर नजर आने वाला संतोष ही मेवा था। लेकिन मिस्टर नगद नारायण आप तो अपनी टोली सहित अमानत में खयानत करने में जुट गए।

मिस्टर नगद नारायण,शिक्षा लो पुरखो से,उनके पास आप से ज्यादा शक्तियां और जनसमर्थन था। लेकिन उन्होंने जनता का साथ नहीं छोड़ा,सरकारी तिजोरी पे ना तो हाथ साफ़ किया और ना ही सेंधमारी की। ऐसा नहीं है कि उन्हें मौका नहीं मिला,आप से बेहतर विकल्प और अवसर थे। उन्होंने मनी लॉन्ड्रिंग नहीं की बल्कि एक प्रेस-मीडिया कर्मी को पत्रकार बनाने का काम किया।

मिस्टर नगद नारायण,कान खोल और आंखे फाड़ कर देख लो,पत्रकारिता की जिस नर्सरी में हमारा पालन-पोषण हुआ है,वहां अर्थ से मतलब मुहावरों और समानार्थी वाक्यों के शाब्दिक स्वर मतलब,अर्थ निकाला जाता था। लेकिन आप की पाठशाला और प्रशासनिक व्यवस्था में तो अर्थ का शाब्दिक पर्याय अनुपातहीन संपत्ति से निकाला जाने लगा है।

योगी आदित्यनाथ, मुख्यमंत्री उतर प्रदेश शासन ने साफ़ किया है कि उनके राज्य में छत्तीसगढ़ से भेजी गई ब्लैक मनी से कांग्रेस ने विधान सभा चुनाव लड़कर झूठ परोसा था। उनके मुताबिक आयकर और सुप्रीम कोर्ट चुनाव में ब्लैक मनी के इस्तेमाल पर रोक लगाने के लिए प्रयासरत है,वही छत्तीसगढ़ में होने वाली जन धन की लूट से उनके राज्य में भी झूठ बोलने की राजनैतिक परम्परा शुरू की गई है,मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने चुनाव प्रभारी के रूप में इसकी आधारशीला रखी थी।

वामपंथी सोच वाली छत्तीसगढ़ सरकार के मुख्यमंत्री की कार्यप्रणाली पर नाराजगी जाहिर करते हुए योगी ने साफ़ किया कि घोटालो की रकम से उत्तर प्रदेश की अर्थव्यस्था को रायपुर से प्रभावित करने के मामलों की जांच CBI को सौंपने के लिए उनकी सरकार विचार कर रही है। छत्तीसगढ़ के असल माटी पुत्रो में से एक पंडित रविंद्र चौबे और उनका पूरा कुनबा सदैव इस प्रदेश की सुगंध को दिल्ली से लेकर मध्यप्रदेश के सदन तक महकाते रहे है।

राज्य में कांग्रेस के विजनफूल नेता रविंद्र चौबे का बतौर उच्च शिक्षामंत्री का कार्यकाल छत्तीसगढ़ विभाजन के 22 वर्षो बाद भी स्कूल कालेजो में गूंजता है। छात्र संगठनो की राजनीति हो या फिर शिक्षा की गुणवत्ता और प्रोफेसर के ट्रांसफर के मामले,संयुक्त मध्यप्रदेश के दौर में तत्कालीन उच्चशिक्षा मंत्री रविंद्र चौबे के कड़े फैसले इस प्रदेश में आज भी नजीर के तौर पर देंखे जाते है। भ्रष्टाचार के मामलों में ऐसे मंत्रियो की चुप्पी दूर दूर तक चर्चा का विषय बनी हुई है। 

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को छोड़कर मंत्री मंडल का कोई भी सदस्य सरकारी भ्रष्टाचार के बारे में आखिर अपनी जुबान क्यों नहीं खोल रहा है,सुर्खियों में है। क्या 11 मंत्री मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की कार्यप्रणाली का समर्थन करते है,आखिर क्यों उन्होंने कोल खनन परिवहन घोटाले और आबकारी समेत कई और घोटालो को लेकर चुप्पी साधी हुई है ? जनता को बताना होगा। 

स्वर्गीय मोतीलाल वोरा,मुख्यमंत्री मध्यप्रदेश

छत्तीसगढ़ में नौकरशाही और राजनेता,घोषित रूप से मुख्यमंत्री उसका परिवार,परिजन,टोली और गिरोह भ्रष्टाचार के दलदल में डूब गए,पौने पांच साल में सरकारी तिजोरी से हजारो करोड़ पार कर दिए गए,फिर भी सरकार के मंत्रियो के अलावा संगठन के नेता भी मौन साधे हुए है। भारी भरकम भ्रष्टाचार के मामलों में भी राजनीति कर जनता को असलियत से गुमराह करने की सरकारी कोशिशे की जा रही है।

स्वर्गीय परसराम भारद्धाज,अध्यक्ष कांग्रेस मध्यप्रदेश   

पत्रकारों को झूठे मामलों में फंसाकर जेल में ठूंसा जा रहा है,अनुपातहीन सम्पत्तियाँ सबूतों के साथ एजेंसिया सामने ला रही है,फिर भी जांच में सहयोग करने के बजाए ED और CBI की राह में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल रोड़े अटका रहे है,केबिनेट उसका समर्थन कर जनता को शर्मसार कर रही है। मुख्यमंत्री ने राज्य में CBI बैन कर रखी है।

शरद पवार, तत्कालीन मुख्यमंत्री महाराष्ट्र 

छत्तीसगढ़ में दुर्ग जिले की पाटन विधान सभा सीट से मात्र 15 किलोमीटर दूर और भिलाई में मुख्यमंत्री आवास से महज 5 किलोमीटर दूर स्थित पद्मानभपुर के ठिकाने से CBI ने कोठारी बंधुओ को धर दबोचा और जकडकर कोलकाता ले गई। आरोपों के अनुसार 54 करोड़ के शेयर,ब्लैक मनी, नगद लेन देन की शिकायत मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी के प्रशासन में कोलकाता के बरतल्ला थाने में दर्ज मामले के गंभीर श्रेणी का मानते हुए,सरकार ने फ़ौरन CBI जाँच के फरमान को स्वीकार कर लिया। इसके लिए पीड़ित व्यापारी प्रकाश जायसवाल को सिर्फ सामान्य प्रक्रिया पूरी करनी पड़ी। आप अंदाजा लगा सकते है कि पीड़ित जायसवाल जी,यदि छत्तीसगढ़ में होते तो उनका क्या हाल होता ? यहां मुख्यमंत्री और कसाई में फर्क करना जनता को मुश्किल हो रहा है।  

मुख्यमंत्री ओडिसा नवीन पटनायक एवं रमेश बैस,अटल जी के मंत्री मंडल तत्कालीन सदस्य 

पश्चिम बंगाल पुलिस ने छत्तीसगढ़ की तर्ज पर ED और CBI के खिलाफ ना तो जासूसी कराई और ना ही सडको पर विरोध प्रदर्शनों को हवा दी। जाहिर है,जनधन की रक्षा की संवैधानिक कसम-शपथ लेने वाली मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी कुर्सी और शासन-प्रशासन के प्रति,इतनी तो ईमानदार है।लेकिन छत्तीसगढ़ में दूर दूर तक ऐसा होते नहीं दिख रहा है।  

स्वर्गीय डोमन सिंह नगपुरे,तत्कालीन मंत्री मध्यप्रदेश शासन 

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री इस कुर्सी को झारखण्ड और बिहार जैसे राज्यों के मोहजाल में धकेल रहे है। लोगो को लगने लगा है कि मुख्यमंत्री ने 17/12/2018 को सत्यनिष्ठा से भ्र्ष्टाचार करने की ही शपथ खाई है,वर्ना सरकार के कर्णधार आधे जेल में,तो आधे बेल में नजर नहीं आते। अभी भी वक्त है,सभल जाओ “राजा” वर्ना करो खाली सिहासन,जनता आती है, सीएम बघेल को कमोवेश अब तो CBI पर से बैन हटाने के लिए हिम्मत जुटानी होगी,क्योकि साँच को आँच नहीं,लिहाजा राजनीति के बघेल साहब,सत्यनिष्ठा से कसम एक बार फिर लीजिए,ताकि जनता को इस तस्वीर में नजर आने वाले शख्स की असलियत मालूम हो सके।

केंद्रीय जाँच एजेंसियों के रडार में पूरी तरह समा चुका यह शख्स किसी राज्य का मुख्यमंत्री ना निकले,अब चिंता इस बात की होने लगी है। मशहूर शायर अल्लामा इक़बाल ने भी क्या खूब लिखा है, न समझोगे तो मिट जाओगे ऐ हिन्दोस्ताँ वालो ,तुम्हारी दास्ताँ तक भी न होगी दास्तानों में… यह शेर हर दौर में प्रासंगिक रहा है,चाहे काल मुगलो का हो या फिर अंगेर्जो का,या कहिए की राजनीति के नए दौर के बघेलों का।

मुख्यमंत्री को याद रखना चाहिए कि जनता ने उनके तमाम आरोपों को हाजिर नाजिर मानकर,बीजेपी को ख़ारिज किया था,बड़े अरमानो के साथ कांग्रेस के अब होगा न्याय की नीव रख भूपेश बघेल को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठाया था। लेकिन इस पर सवार होने के बाद कुर्सी बे लगाम हो गई,या मुख्यमंत्री बिदक गया, इसे लेकर जनता पसोपेश में है।  

स्वर्गीय जालम सिंह पटेल,मंत्री मध्यप्रदेश शासन

छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री बघेल और भ्रष्टाचार एक साथ जनता का विकास कर रहे है,दोनों को एक-दूसरे से निकाल पाना केंद्रीय जांच एजेंसियों के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। इस बीच कारोबारी गुरुचरण सिंह होरा के कदमो से लोगो को राहत की उम्मीद जगी है,दरअसल बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी गुरुचरण सिंह होरा के ठिकानों पर अभी तक आयकर की छपेमारी आम थी।

स्वर्गीय जालम सिंह पटेल एवं माधव सिंह धुर्वे,मंत्री मध्यप्रदेश शासन 

लेकिन मुख्यमंत्री बघेल का वरदहस्त प्राप्त होने के बाद होरा की चौतरफा धूम है,मनी लॉन्ड्रिंग, अवैध कब्जो,बेनामी संपत्तियों को खपाने के मामले में टुटेजा के टटुओ का जवाब पुलिस और प्रशासन के पास भी नहीं है। हालाँकि होरा के ठिकानो पर ED की छापेमारी से दलाल स्ट्रीट में उनका रूतबा चौथे आसमान तक हिलोरे मार रहा है। 

अतुल शर्मा, तत्कालीन अध्यक्ष NSUI मध्यप्रदेश   

बताते है कि कोठारी बंधुओं की तर्ज पर होरा साहब का भी कुछ देर ही सही पूछताछ तक ही ED हिरासत में वक्त गुजरा था। लेकिन समय रहते उनके कदम बजाए लड़खड़ाने के सदगति की ओर बढ़ गए है,अब कारोबारी गुरुचरण भी अपने नाम के अनुरूप सच की दुहाई दे रहे है। बताते है कि होरा ने पहली बार उन तथ्यों को ED के समक्ष दोहराया है,जिस मामले में अभी तक कई गवाह कन्नी काट रहे थे।

स्वर्गीय प्रमोद महाजन,तत्कालीन सूचना एवं प्रसारण मंत्री भारत सरकार 

सूत्रों के मुताबिक ED के एक प्रभावशील संदेही को कई घंटो की पूछताछ के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पूरी असलियत जाहिर कर दी है। उन्होंने मुख्यमंत्री के उन दावों की पोल खोल दी है,जो कभी आमसभाओं तो कभी प्रेस-मीडिया में जोर देकर किए जा रहे है। सूत्रों के मुताबिक गुरुचरण सिंह होरा का महत्वपूर्ण बयान आने वाले दिनों मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की राजनैतिक दशा दिशा तय करेगा।

गोविन्द राम मिरि,तत्कालीन राज्य सभा सदस्य 

बताते है कि पंडरी स्थित आवास में छापेमारी के बाद ED ने होरा को धर लिया था। उसे आज तड़के करीब 5 बजे ED दफ्तर से बाहर निकलते देखा गया है। News Today Chhattisgarh ने VIP रोड की होटल में गैरकानूनी गतिविधि और उनके खिलाफ जारी जनता के प्रदर्शनों को लेकर प्रतिक्रया जाननी चाही थी,बताते है कि पौ फटते ही ED के कब्जे से छूटने के बाद होरा का मोबाइल स्विच ऑफ आ रहा है। फिलहाल 2 हजार करोड़ के आबकारी घोटाले की CBI जांच की मांग कांग्रेस के भीतरखानो में भी उठने लगी है। देखना गौरतलब होगा कि आखिर ऊंट किस करवट बैठेगा।