छत्तीसगढ़ में शिक्षकों की पहचान अब आईडी कार्ड से होगी |

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रायपुर | प्राइवेट विद्यालयों की तरह अब सरकारी विद्यालयों के शिक्षकों की अलग पहचान होगी । इसके लिए शिक्षकों के आईडी कार्ड बनाए जाएंगे । सरकारी स्कूल में कौन सा शिक्षक पढ़ा रहा है, वह किस विद्यालय में कार्यरत है। यह अब पूछने की जरूरत नहीं होगी । शिक्षकों को देखते ही उनके बारे में सबकुछ पता लग जाएगा । दरअसल छत्तीसगढ़ के सरकारी स्कूल के शिक्षकों को “समग्र शिक्षा अभियान” के तहत परिचय पत्र (आइडी कार्ड) मिलेगा । कक्षा नौवीं से 12वीं तक बच्चों को पढ़ाने वाले करीब एक लाख 48 हजार 680 शिक्षकों का परिचय पत्र बनाने के लिए प्रस्ताव दिया गया है ।

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के प्रोजेक्ट अप्रूवल बोर्ड (पीएबी) की बैठक में इस प्रस्ताव को पास कर दिया गया है । इसके लिए सरकार को प्रति शिक्षक पर 50 रुपये खर्च आएगा । परिचय पत्र में स्कूल का यू-डाइस कोड, शिक्षक का नाम और पता आदि की जानकारी रहेगी । इससे यह पता चल सकेगा कि जो शिक्षक पढ़ा रहा है, वाकई वह उसी स्कूल का है ।  परिचय पत्र पर कार्मिक का नाम, पद, सर्विस आईडी नंबर, स्कूल का नाम व स्थायी पता दर्ज होगा। ये आईडी कार्ड सरकारी कार्यक्रमों में कार्मिक की पहचान व अन्य कार्यों में उपयोगी होगा । 

 

   नक्सल प्रभावित क्षेत्र के बच्चो को मिलेगा ट्रांसपोर्ट की सुविधा

  इसके साथ ही नक्सल प्रभावित क्षेत्र के बच्चो को ट्रांसपोर्ट की सुविधा भी दी जाएगी | इसके लिए 48 लाख का बजट भी स्वीकृत हुआ है | बताया जा रहा है इसमें प्रत्येक छात्र को छह हजार रुपए सालाना ट्रांसपोर्ट के लिए दिए जाएंगे | इसमें नक्सल प्रभावित इलाकों से 800 बच्चों को फायदा मिलेगा । हाई और हायर सेकंडरी स्कूलों की दूरी अधिक होने पर बच्चों के लिए विशेष यातायात शुल्क देने का प्रावधान रखा गया है । “समग्र शिक्षा अभियान” के तहत शिक्षा अफसरों ने सिर्फ नारायणपुर जिले के बच्चों को ट्रांसपोर्टेशन शुल्क दिलाने का प्रस्ताव रखा है ।

गौरतलब है कि राज्य के ज्यादातर जिलों में करीब 250 से अधिक हाई और हायर सेकंडरी स्कूल तय दूरी से अधिक हैं, जहां बच्चों को पढ़ाई करने में परेशानी हो रही है । कक्षा आठवीं उत्तीर्ण कर कक्षा नौवीं में जाने वाले छात्र-छात्राओं के लिए आवासीय सुविधा न होने से बच्चे या तो शाला छोड़ देते हैं या फिर शहरों में किराए के घर लेकर पढ़ने के लिए मजबूर हैं ।