Pakistan का डिफॉल्ट होना तय! नहीं बचा पाएगी दुनिया की कोई ताकत, ये है सबसे बड़ी वजह

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Pakistan Economic Crisis: पाकिस्तान संकट के गहरे दलदल में फंस चुका है. उस पर दिवालिया होने का खतरा मंडरा रहा है. लेकिन सियासत मुल्क को सिविल वार की ओर धकेलने पर तुली है. इसकी नई बानगी है शहबाज शरीफ की सरकार और पाकिस्तान की ज्यूडिशियरी के बीच टक्कर. उधर पाकिस्तान के दुर्दिन के काउंटडाउन का आखिरी लैप है. पाकिस्तान में कैश क्राइसिस का बवंडर उठ चुका है. पाकिस्तान के पास बस थोड़े ही दिन बचे हैं. एक झटका और फिर उसे दिवालिया होने से दुनिया की कोई ताकत नहीं बचा सकती है. पाकिस्तान में हालात सुधरने की बजाय दिनों-दिन बिगड़ते जा रहे हैं. ऐसा लगता है पाकिस्तान के पास इस संकट से मुकाबला करने की न तो समझ है और न ही जज्बा बचा है.

पाकिस्तान की गुलामी तय?
लेकिन दुनिया जान चुकी है कि पाकिस्तान ने अब चूक की तो उसकी गुलामी तय है. अमेरिका के एक बड़े थिंक टैंक यूनाइटेड स्टेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ पीस ने कहा है कि पाकिस्तान दिवालिया होने की कगार पर पहुंच चुका है और उसने इसकी वजह भी बता दी है. रिपोर्ट में बताया गया है कि पाकिस्तान को अप्रैल, 2023 से जून,2026 के बीच 77.5 अरब डॉलर का कर्ज चुकाना है. दुनिया में शायद ही कोई ऐसा देश हो जो पाकिस्तान को ये कर्ज चुकाने के लिए इतने ज्यादा डॉलर दे दे. बाकी अभी पाकिस्तान की 1-2 अरब डॉलर की मदद सऊदी अरब और चीन जैसे जो देश कर भी रहे हैं, उससे पाकिस्तान ज्यादा दिन तक बच नहीं पाएगा.

आर्थिक संकट में घिरा पाकिस्तान
पाकिस्तान एक तरफ तो आर्थिक संकट की गिरफ्त में है लेकिन दूसरी ओर इस मुल्क की ऐसी सियासत है जो अपनी ही आवाम के जले पर नमक छिड़क रही है. शहबाज शरीफ की सरकार ने चीफ जस्टिस ऑफ पाकिस्तान के खिलाफ ही मोर्चा खोल दिया है. सरकार में सूचना मंत्री मरियम औरंगजेब ने चीफ जस्टिस उमर अता बांदियाल का इस्तीफा मांगा है.

पाकिस्तान में गृहयुद्ध का खतरा!
इसकी वजह है पाकिस्तान के पंजाब में चुनाव को लेकर टकराहट. दरअसल, पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब में चुनाव कराने के लिए स्वत: संज्ञान लिया था. लेकिन दूसरे जज ने इस पर असहमति जता दी. इसके बाद मरियम औरंगजेब ने चीफ जस्टिस की इस पोजिशन को विवादास्पद करार दे दिया है और इस्तीफे की मांग कर डाली है. जाहिर है ऐसी सियासत जो पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट को भी नहीं बख्शती हो उसे देखकर जनता के दिलो-दिमाग पर गृहयुद्ध का खौफ कैसे ना छाए.