रायपुर ” सरकार ” अब नहीं तो कब होगा न्याय ? पूछ रही है, प्रदेश की जनता और पीड़ित परिवार | विधान सभा चुनाव 2018 के दौरान कांग्रेस के इस जबरदस्त नारे ” अब होगा न्याय ” ने प्रदेश के गांव गांव में पूर्बवर्ती बीजेपी सरकार की ” नींव ” हिला दी थी | नतीजतन चौथी बार सत्ता में काबिज होने का सपना देख रही बीजेपी के अरमानो पर ऐसा पानी फिरा, कि सरकार बनाना तो दूर रहा पार्टी का ” सूपड़ा ” ही साफ़ हो गया | दरअसल बड़ी तादात में मतदाताओं ने कांग्रेस पर विश्वाश जताया था कि राज्य के प्रदूषित राजनैतिक महौल में एक मात्र वही पार्टी है, जो पीड़ितों को ” न्याय ” दिलवाएगी | लेकिन जैसे जैसे राज्य सरकार का कार्यकाल आगे की ओर बढ़ता जा रहा है, वैसे वैसे लोगो की उम्मीदे भी ” टूटती ” जा रही है | अब मतदाता पूछने लगे है, क्या हुआ तेरा वादा ? ” सरकार ” अब नहीं तो कब होगा न्याय ? अंबिकापुर की मीना खलको हत्याकांड हो या फिर भदौरा काण्ड जैसे दर्जनों ऐसे प्रकरण है, जिनका दंश आज भी पीड़ित परिवार भोग रहा है | इन परिवारों को मौजूदा कांग्रेस सरकार से ” न्याय ” की उम्मीद बंधी थी | लेकिन उनकी राह में आज भी वही ” प्रभावशाली वर्ग ” रोड़ा बनकर खड़ा है, जो पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार के कार्यकाल में भी ” गुनाहो ” और जनता पर जुल्मो सितम के लिए कुख्यात था |
ताजा मामला डाक्टर मिक्की मेहता की मौत का है | मौजूदा कांग्रेस सरकार से ” मेहता परिवार ” को काफी उम्मीदे है | पीड़ित परिवार आशा भरी निगाहो से मुख्यमंत्री ” भूपेश बघेल ” की ओर देख रहा है | इस आस में कि कमोबेश देर से ही सही ” रक्षाबंधन ” के मौके पर उनकी लाड़ली बेटी को कानून का सहारा मिलेगा | 7 सितंबर 2001 को डाक्टर मिक्की मेहता रायपुर के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक मुकेश गुप्ता के ” सरकारी आवास ” में संदेहस्पद परिस्तिथियों में ” मृत ” पायी गयी थी | जानकारों के मुताबिक मुकेश गुप्ता ने अपने ” पद और प्रभाव ” का इस्तेमाल करते हुए डाक्टर मिक्की मेहता कि लाश को ” जीवित ” दर्शाने का जमकर प्रयास किया था | यहाँ तक कि उसने रायपुर के स्थानीय अस्पतालो में उसे दाखिल करने के बजाए ” भिलाई ” ले जाना मुनासिब समझा था | ताकि षडयंत्र पूर्वक अपने अपराधों पर पर्दा डाल सके | बताया जाता है कि डाक्टर मिक्की मेहता को प्राथमिक इलाज के लिए घटना स्थल के निकटतम अस्पताल में भर्ती कराने के बजाए भिलाई ले जाने का एक मात्र कारण सिर्फ यही था कि वहां पदस्थ अपने करीबी डाक्टर के जरिये अपने मन मुताबिक मेडिकल सर्टिफिकेट प्राप्त कर सके | जानकारों के मुताबिक भिलाई अस्पताल में ” इलाज के दौरान होने वाली मौत ” का प्रमाण पत्र हासिल करने के लिए ही डाक्टर मिक्की मेहता को रायपुर के बजाए भिलाई शिफ्ट किया गया था | डाक्टर मिक्की मेहता की मौत से जुड़े तमाम पहलू उसकी ” संदेहस्पद मौत ” की ओर इशारा करते है | यही नहीं ” पीड़ित परिवार ” तो मय सबूत ” शासन प्रशासन ” को कई बार शिकायत कर चुका है कि मुकेश गुप्ता ने ही डाक्टर मिक्की मेहता को ” मौत के घाट ” उतारा था | यह भी बताया जा रहा है कि मुकेश गुप्ता को मिले राजनैतिक संरक्षण के चलते इस प्रकरण की जांच परवान नहीं चढ़ पाई | वर्ष 2001 में छत्तीसगढ़ राज्य के गठन के बाद अस्तित्व में आई ” कांग्रेस ” की सरकार और उसके बाद सत्ता में आयी ” बीजेपी ” सरकार में मुकेश गुप्ता के हस्ताक्षेप के चलते तमाम प्रकरण फाइलों में ही ” कैद ” होकर रह गए | हाल ही में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने डाक्टर मिक्की मेहता से जुड़े मामले की निष्पक्ष जांच के निर्देश दिए थे | इस मामले की जांच पूर्ण हुए दो माह से ज्यादा का वक्त बीत चूका है | लेकिन जाँच रिपोर्ट के आधार पर किसी भी संदेही के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं हुई |
डाक्टर मिक्की मेहता कि संदेहजनक मौत के मामले की ही नहीं, बल्कि सरकारी सेवा में रहते हुए मुकेश गुप्ता के पहली पत्नी के जीवित रहते डाक्टर मिक्की मेहता को झांसा देकर दूसरी शादी करने के प्रकरण की जांच भी सिद्ध पायी गयी है | इस मामले में भी उसके खिलाफ शिकायत प्रमाणित पाए जाने के उपरान्त किसी भी तरह की कोई वैधानिक कार्यवाही नहीं की गयी है | आखिर क्यों ? जबकि दो-दो पत्नी रखने के आरोप में सिर्फ छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि देश के विभिन्न राज्यों में भारतीय पुलिस सेवा के कई अफसरों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा है |
रायपुर की नेत्र विशेषज्ञ डॉ. मिक्की मेहता के साथ 1988 बेच के आईपीएस मुकेश गुप्ता ने 1999 में कथित तौर पर गंधर्व विवाह किया था। उनकी एक बेटी ” मुक्ता” भी है , जो मुकेश गुप्ता के कब्जे में दिल्ली में रहती है | मिक्की मेहता की मां श्यामा मेहता के मुताबिक जब मिक्की हैदराबाद में रहती थी । उस दौरान तिरूपती बालाजी में मुकेश गुप्ता ने मिक्की से गंधर्व विवाह किया था । जबकि मुकेश गुप्ता पहले से ही शादीशुदा था । उसकी पत्नी का नाम श्रीमती उमा गुप्ता है, जो कि दिल्ली में निवासरत है | उनके मुताबिक 7 सितम्बर 2001 को डॉ. मेहता आईपीएस मुकेश गुप्ता के सरकारी बंगले में ” मृत ” पाई गई थी। मिक्की मेहता की मॉ श्यामा मेहता और भाई मानिक मेहता ने इस घटना को स्वभाविक मौत नहीं मानते हुए सुनियोजित ” हत्या ” बताया था | उन्होंने केन्द्रीय गृह मंत्रालय को पत्र लिखकर इस घटना की उच्चस्तरीय जांच की मांग की थी | उनकी शिकायत पर संज्ञान लेते हुए कई बार भारत सरकार और DOPT ने मुकेश गुप्ता के खिलाफ जांच के निर्देश तत्कालीन ” छत्तीसगढ़ सरकार ” को भेजे थे | लेकिन मुकेश गुप्ता के राजनैतिक ” रसूख ” के चलते उसके खिलाफ कोई विशेष कार्रवाई नहीं हुई। केंद्र सरकार के सभी जांच निर्देश पत्र सरकारी ” आलमारियों ” में धरे की धरे रह गए |
हाल ही में रिटायर हुए डीजी जेल एवं एंटी नक्सल ऑपरेशन गिरधारी नायक ने मुकेश गुप्ता के खिलाफ लंबित शिकायतों की विवेचना कर अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौप दी है | दो माह से ज्यादा का वक्त गुजर चुका है लेकिन यह जांच रिपोर्ट अब भी सरकारी आलमारियों में ” धूल ” खा रही है | उधर डाक्टर मिक्की मेहता के भाई माणिक मेहता को उम्मीद है कि ” रक्षाबंधन ” के पूर्व, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कांग्रेस की अब होगा ” न्याय यात्रा ” में इस प्रकरण की भी सुध लेंगे | माणिक मेहता और उनका परिवार बीते 18 सालो से ” न्याय की गुहार ” लगा रहा है | अपनी लाड़ली बेटी को न्याय दिलाने के लिए इस पूरे परिवार पर कई बार आफत का पहाड़ टुटा | मुकेश गुप्ता ने कई झूठे प्रकरण इस परिवार पर लादे | लेकिन मेहता परिवार ने संघर्षो के आगे कभी भी अपने घुटने नहीं टेके | इस विश्वाश पर कि देर से ही सही ” न्याय तो होकर रहेगा ” | अब यह देखना गौरतलब है कि संवेदनशील मुख्यमंत्री भूपेश बघेल क्या रुख अपनाते है |