दिल्ली / रायपुर : प्रवर्तन निर्देशालय द्वारा छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार के खिलाफ जारी मुहीम अब अपना रंग दिखा रही है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नाते रिश्तेदारों और करीबी अफसरों पर ED का शिकंजा कस चूका है। छापेमारी में बड़े पैमाने पर ब्लैक मनी अवैध लेन-देन और अनुपातहीन संपत्ति के मामले रोजाना सामने आ रहे है। भ्रष्टाचार में लिप्त कई बड़े नेताओ और उद्योगपतियों की सांठगांठ सामने आने के बाद ED की जाँच को प्रभावित करने और उसके चुनिंदा जाँच अधिकारियो की घेराबंदी भी शुरू हो गई है।
सूत्रों के मुताबिक सीएम बघेल के करीबी उद्योगपतियों ने बीजेपी के एक नेता के जरिये ED के एक वरिष्ठ अधिकारी से मुलाकात की है। बताया जा रहा है कि भिलाई में निवासरत एक उद्योगपति ने दिल्ली में इस वरिष्ठ अधिकारी से मुलाकात की थी। बताते है कि नान घोटाले के मुख्य आरोपी अनिल टुटेजा के ED के कब्जे में आते ही कुम्हारी स्थित एक डिस्लरी का मालिक ED के गलियारे में खूब सुर्खियां बटोर रहा था।
बताया जा रहा है कि हालिया छापेमारी में राज्य में चल रहे एक बड़े आबकारी घोटाले का खुलासा हुआ है। इसके बाद बड़ी तादाद में कई शराब कारोबारी और उद्योगपति ED की राडार पर है। इस मामले में ED ने आबकारी सचिव एपी त्रिपाठी से लम्बी पूछताछ की है। अरबो के इस घोटाले की जड़ भी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के कार्यालय से जुडी बताई जाती है। यह भी तथ्य सामने आया है कि आबकारी मंत्री कवासी लखमा सिर्फ मुहर छाप केबिनेट मंत्री है, जबकि सरकार का पूरा काम काज बघेलखण्ड के हाथो में है।
सूत्र बताते है कि हालिया छापो में एक डिस्लरी मालिक के ठिकानो से वो ‘डायरी’ हाथ लगी है जिसमे शराब कारोबार का काला सच दर्ज है। सूत्र बताते है कि जाँच की जद में आये शराब कारोबारी बड़े पैमाने पर टैक्स की चोरी के अलावा बघेलखंड के लिए दिन दूनी और रात चौगुनी शराब का उत्पादन कर रहे थे। इसका एक छोटा हिस्सा ही नंबर एक अर्थात वैधानिक था, जबकि बड़ा हिस्सा बघेलखण्ड की झोली में जा रहा था।
बताते है कि मात्र चार सालो में छत्तीसगढ़ में शराब का उत्पादन विश्व की सबसे बड़ी फैक्ट्री से भी ज्यादा हुआ है। जबकि राज्य में गिनी चुनी मात्र चार-पांच ही डिस्लरी अपनी क्षमता के अनुसार उत्पादन कर रही है।
बताया जा रहा है कि सरकारी आबकारी माफिया एपी त्रिपाठी ने अपने लठैतो के साथ छत्तीसगढ़ से लेकर झारखण्ड तक जा पहुंचा था। एक सरकारी मुलाजिम पडोसी राज्य की आबकारी नीति का घोषित रूप से हिस्सेदार बन गया और छत्तीसगढ़ शासन ने आपत्ति तक नहीं की। बताते है कि दोनों ही राज्यों में वैध-अवैध शराब का बड़ा कारोबार सरकारी तंत्र के हाथो से निकलकर बघेलखण्ड की झोली में चला गया था। झारखण्ड में ED के साथ CBI की दबिश से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने समय रहते, काले सांप को बाहर निकाल फेंका।
नोट:-उपरोक्त समाचारो के जुमले का नीचे की तस्वीर से कोई लेना-देना नहीं है,यह तस्वीर सांकेतिक है।
बताया जा रहा है कि झारखण्ड सरकार ने एपी त्रिपाठी के साथ किये गए आबकारी करार तोड़ लिए है। जबकि छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार का काला नाग फन फैलाये बघेलखण्ड के खजाने की देखभाल में जुटा है। सूत्र बताते है कि आबकारी मंत्री कवासी लखमा कभी अपने बंगले में तो कभी अपने दफ्तर में सिर्फ सरकारी फाइलों में अंगूठा लगाते रहे जबकि छत्तीसगढ़ शासन के बजाय ‘साहब’ का कारोबार दूर प्रदेशो तक भी फलता-फूलता रहा।
बताया जा रहा है कि छत्तीसगढ़ के शराब कारोबार में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अगुवाई में कई नए खिलाडी दाखिल हो गए थे। इन्होने आउटसोर्सिंग के जरिये शराब के करोबार में एकाधिकार प्राप्त कर लिया था। आबकारी विभाग के सरकारी अधिकारी सिर्फ दफतरो में बैठकर मक्खी मारते रहे जबकि दूसरी ओर सरकार की तिजोरी में आर्थिक मार रोजाना पड़ती रही।
नोट:- उपरोक्त समाचारो के जुमले का नीचे की तस्वीर से कोई लेना-देना नहीं है,यह तस्वीर सांकेतिक है।
राज्य में शराब माफियाओ के कारनामे अखबारों की सुर्खियां बनते रहे वही दूसरी ओर आउटसोर्सिंग गैंग ने पूरे प्रदेश में माफियाराज स्थापित कर लिया। बताते है कि शराब घोटाले की मूल जड़ यही डिस्लरी उद्योग है।
जानकारी के मुताबिक शराब कारोबार के माफियाराज पर ED का शिकंजा कसते ही साहब के धंधे में खलबली है। सूत्रों के मुताबिक छत्तीसगढ़ के एक वरिष्ठ बीजेपी नेता के जरिये दिल्ली में पदस्थ एक वरिष्ठ अफसर से संपर्क किया गया था। बताते है कि इस अफसर ने अपने अधीनस्थ अफसर को भिलाई के शराब कारोबारी से मेल मुलाकात के निर्देश दिए गए थे।
सूत्रों के मुताबिक बघेलखण्ड की समृद्धि के लिए हाथो में कमल थामे ‘सेठ जी’ ने कथित अफसर से मुलाकात तो की लेकिन बीजेपी नेता के रुसवा होने में देर नहीं लगी। बताते है कि अफसर ने एक ओर जहाँ बघेलखंड के अरमानों पर पानी फेर दिया वही बीजेपी नेता को भविष्य में इस ‘काले सांप’ से सतर्क रहने की गुहार भी लगाई गई।
बताया जा रहा है कि छत्तीसगढ़ में सरकार किसी भी दल विशेष की हो। शराब कारोबारी ही उसकी खाली झोली भरते है, लेकिन इस बार मामला दूजा किस्म का है, ‘जन धन’ सरकारी तिजोरी में राई के बराबर वो भी कछुआ चाल से पंहुचाया गया, लेकिन बघेलखण्ड की तिजोरी में चौबीसो घंटे नोटों की बरसात होते रही। फ़िलहाल कोल खनन परिवहन घोटाले की तर्ज पर छत्तीसगढ़ का नया शराब घोटाला भी राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में सुर्खियां बटोर रहा है। यह देखना गौरतलब होगा कि ED के गलियारे में सेंधमारी का मामला क्या गुल खिलाता है।