अब तक हमने सुना था कि महिलाओं की हड्डियां पुरुषों की तुलना में कमजोर होती हैं. छोटी तथा पतली होती हैं. क्योंकि उम्र बढ़ने पर एस्ट्रोजन का स्तर कम होने लगता है. यह एक आवश्यक हार्मोन होता है जो हड्डियों की रक्षा करता है. लेकिन एक प्रोफेसर ने चौंकाने वाला दावा किया है. उनका कहना है कि महिलाओं की हड्डियां पुरुषों से कमजोर नहीं होतीं. इसके पीछे उन्होंने तर्क भी दिए हैं. हालांकि, इस अजीबोगरीब दावे को लेकर उन्हें ट्रोल किया जा रहा है.
पिट्सबर्ग विश्वविद्यालय में एंथ्रोपोलॉजी की प्रोफेसर गैबी ईयरवुड ने यह दावा किया. हालांकि, जब वह बात कर रही थीं तब वहां मौजूद सभी स्टूडेंट हंस पड़े क्योंकि उन्हें भी यही बताया गया था कि दोनों की हड्डियों में काफी अंतर होता है. ईयरवुड जानी मानी प्रोफेसर हैं और उन्होंने नस्लवाद, मैस्क्यूलिनिटी, जेंडर और ब्लैक फेमिनिज्म पर काफी लंबा रिसर्च किया है. उनकी किताबें पूरी दुनिया में मशहूर हैं.
150 साल का डेटा इनके पास
ईयरवुड ने स्टूडेंट्स से पूछा, अगर आप आज से 100 साल बाद दो इंसानों की कब्र खोदकर निकालें तो क्या आप हड्डियों के बीच अंतर बता सकते हैं? नहीं. क्योंकि अंतर होता ही नहीं. हालांकि, उनके इस जवाब पर स्टूडेंट हंस पड़ते हैं. इस पर इयरवुड कहती हैं. क्या आप में से कोई एंथ्रोपोलॉजिकल साइट्स पर गया है ? क्या किसी ने बॉयोलॉजिकल एंथ्रोपोलॉजी की स्टडी की है? मैं सिर्फ इतना कह रही हूं कि मेरे पास 150 साल से अधिक का डेटा है. आखिर आप इसे समझ क्यों नहीं पा रहे हैं.
5.13 लाख बार से ज्यादा देखा गया
द इंडिपेंडेंट वुमन फ़ोरम ने ट्विटर पर यह वीडियो पोस्ट किया जो देखते ही देखते वायरल हो गया. फोरम ने लिखा, यह वामपंथ वास्तविकता से कितनी दूर है. उन्हें बुनियादी वैज्ञानिक तथ्यों के बारे में नहीं पता. या तो पता होते हुए भी इससे इनकार कर रहे हैं. वीडियो को अब तक 5.13 लाख बार से ज्यादा देखा गया है. वीडियो में प्रोफेसर हकीकत को झुठलाती दिख रही हैं. क्योंकि स्मिथसोनियन इंस्टीट्यूशन के अनुसार, पुरुषों में बड़ी, अधिक मजबूत हड्डियां होती हैं. उनकी हड्डियों का एक ज्वाइंट सर्फेश होता है. मांसपेशियों का काफी अच्छी तरह विकास होता है और मांसपेशियों के लगाव वाले स्थानों पर हड्डियों का अधिक विकास नजर आता है. साइंस कई बार इसकी पुष्टि कर चुका है.