CG NEWS: छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री बघेल का जमीन से आसमान तक सिर्फ भ्रष्टाचार,गरीबो का 10 करोड़ फूंक दिया “भारत जोड़ो यात्रा” में,100 अंदर,100 करोड़ का फिर प्रस्ताव ,देंखे दस्तावेजी रिपोर्ट….

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रायपुर / दिल्ली : छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के कामकाज का आंकलन शुरू हो गया है। राज्य में कुछ माह बाद आदर्श आचार संहिता प्रभावशील हो जाएगी। ऐसे समय इन 5 वर्षो में जनता ने क्या पाया और क्या खोया, का भी हिसाब-किताब जारी है। कांग्रेस की अगुवाई में राज्य की भूपेश बघेल सरकार ने जनता के साथ,जो भी वादे किए हों,इसका फैसला तो मतदान से होगा। लेकिन मुख्यमंत्री की कुर्सी बैठकर बघेल भ्रष्टाचार के जो कीर्तिमान स्थापित कर रहे है,वो किसी लुटेरे शासक से कम नहीं है।

इतिहास में दर्ज है कि सोमनाथ को 17 से अधिक बार तक महमूद ग़ज़नवी  ने लूटा था। अरब यात्री अल बरूनी ने अपने यात्रा वृतान्त में इसका विवरण लिखा है। बताते है कि इससे प्रभावित हो महमूद ग़ज़नवी ने सन 1025 में सोमनाथ मंदिर पर हमला किया था। उसकी सम्पत्ति लूटी और उसे नष्ट कर दिया था। इसके बाद गुजरात के राजा भीम और मालवा के राजा भोज ने इसका पुनर्निर्माण कराया था। अमूमन लोकतंत्र में छत्तीसगढ़ की हालत ऐसी ही है।

सरकारी मशीनरी जाम करने से राज्य में संवैधानिक संकट का  दौर है। ऐसे में कानून की धज्जियाँ उड़ा कर राजनेता सरकारी तिजोरी की लूट-पाट में जुटे है।दस्तावेजी प्रमाणों के साथ पढ़िए पूरी खबर…. 

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के अधीन विभागों में भ्रष्टाचार का नजारा देखकर आप,दांतो तले ऊँगली दबा लेंगे अभी तक मुख्यमंत्री बघेल का जमीनी भ्रष्टाचार सुर्ख़ियों में है,लेकिन अब रूबरू होइए उनके आसमानी भ्रष्टाचार से। राहुल गाँधी की “भारत जोड़ो यात्रा” पर राज्य की गरीब जनता की 10 करोड़ से ज्यादा की रकम खर्च कर दी गई।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के “हाथ” यही नहीं थमे। मौजूदा वित्तीय वर्ष अभी पूरी तरह से ख़त्म भी नहीं हुआ लेकिन राज्य सरकार ने लगभग 100 करोड़ की रकम सिर्फ मुख्यमंत्री बघेल पर खर्च कर दी। वित्तीय वर्ष के बीच में इस रकम के खर्च हो जाने पर पुनः 100 करोड़ की प्राप्ति के लिए एक प्रस्ताव शासन को भेजा गया है।

सूत्र बताते है कि वित्त विभाग के अधिकारी दोबारा इसी वित्तीय वर्ष में 100 करोड़ की रकम नए सिरे से स्वीकृत किए जाने को लेकर दो-चार हो रहे है।गौरतलब है कि राज्य की गरीब जनता की तिजोरी पर सरेआम मची लूट पर लगाम लगाने के लिए इन दिनों IT-ED  जैसी केंद्रीय एजेंसियां प्रदेश में लगातार दबिश दे रही है। बावजूद इसके “बघेलखण्ड” के हौसले इतने बुलंद है कि जमीन से लेकर आसमान तक बेजा कमाई का धंधा दिन दूनी रात चौगुनी प्रगति कर रहा है।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के “हाथो” में प्रदेश के विमानन मंत्रालय की भी जवाबदारी है। ऐसे में सरकारी रकम की मितव्ययिता और उसके बेजा इस्तेमाल पर रोक लगाने की भी नैतिक जवाबदारी होती है। लेकिन बघेल का हवाई सफर और जनता की रकम का ऐसा नायाब नमूना फिलहाल तो छत्तीसगढ़ के अलावा देश के अन्य किसी और राज्य में दिखाई नहीं दे रहा है।               

छत्तीसगढ़ में भूपेश और भ्रष्टाचार का बोलबाला है,मुख्यमंत्री का कार्यालय IT-ED और CBI के आरोपियों के कब्जे में है। इसके प्रामाणिक दस्तावेज और चैट लगातार सुर्खियां बन रही है। सरकार के कई विभागों में सरकारी कामकाज पटरी से उतर चूका है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के अधीन शायद ही ऐसा विभाग बचा है जहां भ्रष्टाचार चरम पर ना हो। इसकी जड़े मुख्यमंत्री कार्यालय-निवास से लेकर पूरे “बघेलखण्ड” तक फ़ैली बताई जा रही है। यह भी बताया जा रहा है कि अखिल भारतीय सेवाओं के कई अधिकारी “बघेलखण्ड” में लहलहा रही भ्रष्टाचार और अपराधों की फसल की देखरेख में जुटे है। 

आपको यह जानकर हैरानी होगी कि छत्तीसगढ़ सरकार का एविएशन विभाग रोजाना मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और कांग्रेस पार्टी के हितो को पूरा करने के लिए रोजाना लाखो रूपए आसमान पर उड़ा रहा है। उसने राहुल गाँधी की “भारत जोड़ो यात्रा” में नेताओ की आवाजाही के लिए मौजूदा वित्तीय वर्ष में लगभग 100 करोड़ उड़ा दिए। मुख्यमंत्री बघेल की आसमानी उड़ान जमीन पर ना आ जाए,इस चिंता में अधिकारीयों ने पुनः 100 करोड़ का प्रस्ताव वित्त विभाग को भेजा है। सूत्रों का दावा है कि लगभग 10 करोड़ का भुगतान तिरुअनंतपुरम,दिल्ली,कर्नाटक,राजस्थान और कश्मीर यात्रा के लिए किया गया था। 

आपको यह जानकर हैरानी होगी कि जमीन में फर्राटा भरने वाली किसी स्कूटी या मोटरसाइकिल की तर्ज पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कुछ खास विमान और हेलीकॉप्टर भारत जोड़ो यात्रा के दौरान आसमान में उड़ाए थे। इस यात्रा में कई बार हेलीकाप्टर और विमानो ने खाली अर्थात बगैर यात्रियों के साथ उड़ान भरी थी। बताते है कि रायपुर में विमानन विभाग के कार्यालय में इन दिनों 10 करोड़ के भुगतान को सुनिश्चित किए जाने को लेकर बवाल मचा है।

बताते यह भी है कि लगभग 200 करोड़ की बंदरबांट का मास्टर प्लान सरकार के सलाहकारों ने काफी पहले ही तैयार कर लिया था। उन्होंने अधिकारीयों समेत विमानन कंपनियों को भरोसा दिलाया था कि 2004 बैच की IAS अलरमेलमंगई डी. वित्त सचिव उनकी जेब में है,जितनी चाहो उतनी रकम निकालो,बताते है कि एविएशन विभाग में हो भी ऐसा ही रहा है।

ED ने हालिया छापेमारी में IAS दंपत्ति अलरमेलमंगई डी. और उनके पति पी अलबगन के ठिकानों में दबिश दी थी। सूत्र बताते है कि इस छापेमारी में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का अंकगणित सामने आ गया है। केंद्रीय जांच एजेंसियां पड़ताल में जुटी है।

सूत्र बताते है कि उक्त दंपत्ति “बघेलखण्ड” के लिए वित्तीय अधिकारों का ऑंखें बंद करके उपयोग-दुरूपयोग कर रहे थे। भारत सरकार की वित्तीय अंश वाली कई विभागों की योजनाओ के बजट की रकम को इधर से उधर करने में उनकी भूमिका संदिग्ध बताई जाती है। बताते है कि इस दंपत्ति की कार्यप्रणाली के चलते बघेलखण्ड के भ्रष्टाचारों ने जमीन से लेकर आसमान तक अपनी ऊंचाई तय की थी। 

आपको जानकर हैरानी होगी कि हवाई खर्चों का भुगतान तय रकम से कहीं ज्यादा किया जा रहा है।मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने शपथ लेने के बाद लगभग जितनी भी उड़ान भरी,उसका स्वीकृत दर से अधिक भुगतान किया जा रहा है। इस दस्तावेज में आप विमानन दरों का स्वीकृत किराया देख सकतें है। बताते है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल इन दिनों अगुस्ता-139 हेलीकॉप्टर से रोजाना उड़ान भर रहे है,इसका भुगतान 3 लाख 50 हजार प्रति घंटे के हिसाब से किया जा रहा है। जबकि इस हेलीकाप्टर की किराए की दरों को आज दिनांक तक विधिवत रूप से स्वीकृत नहीं किया गया है।

इस हेलीकॉप्टर की बगैर किराया दर स्वीकृत हुए विमानन विभाग किस आधार पर इतनी मोटी रकम का भुगतान कर रहा है,इसका जवाब अधिकारीयों के पास भी नहीं है। हालांकि शासन द्वारा AW-139, VT-HLL की स्वीकृत दर 3 लाख 20 हजार रुपए है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि 30 हजार रुपए प्रति घंटा की दर से अधिकतम भुगतान क्योँ किया जा रहा है ? 

आपको जानकर हैरानी होगी कि मुख्यमंत्री बघेल और राज्य सरकार द्वारा जिस BELL-412 HLK हेलीकॉप्टर का उपयोग इन दिनों नियमित रूप से किया जा रहा है,उसका किराया विधिवत रूप से 2 लाख 65 हजार रूपए स्वीकृत है। लेकिन बघेलखण्ड को इसका भुगतान 2 लाख 89 हजार रुपए प्रति घंटा के हिसाब से किया जा रहा है। इन दस्तावेजों में हेलीकाप्टर और विमानों के लिए छत्तीसगढ़ शासन द्वारा स्वीकृत दरों का अवलोकन किया जा सकता है।

जानकारी के मुताबिक BELL-412 HILL हेलीकॉप्टर का किराया 3 लाख रुपए प्रति घंटा (अब शासन द्वारा 3 लाख 25 हजार स्वीकृत ) है,दोनों ही हेलीकॉप्टर में सिर्फ Call Sign अर्थात रजिस्ट्रेशन का फर्क है। ऐसे में दोनों हेलीकॉप्टर का भुगतान निर्धारित दर से अधिकतम 24 हजार रुपए प्रति घंटा क्योँ किया जा रहा है ? इसका जवाब भी देने में विभाग के अधिकारी कन्नी काट रहे है।  

आपको जानकर हैरानी होगी कि छत्तीसगढ़ सरकार का राजकीय हेलीकाप्टर अगुस्ता रख-रखाव के आभाव में दिनांक 12/04/2022 को रायपुर एयरपोर्ट में उड़ान भरते ही दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। इस हादसे में पायलट एपी श्रीवास्तव और कैप्टन गोपाल कृष्ण पांडा की मौत हो गई थी। बताते है कि इस दुर्घटना की रिपोर्ट आज दिनांक तक नहीं आई है।

बताते है कि आमतौर पर ऐसे हादसों की रिपोर्ट 3 माह के भीतर आ जाती है,लेकिन भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों ने रिपोर्ट मैनेज करने को लेकर जमकर हाथ-पांव मारे थे।फलसवरूप मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को कामयाबी हाथ लगी,साल भर से अधिक वक्त बीत गया। लेकिन इस हादसे की रिपोर्ट आज दिनांक तक पेश नहीं की गई। बताते है कि जांच अधिकारियों को मैनेज कर हादसे की हकीकत पर पर्दा डालने के लिए बघेलखण्ड का प्रयास काबिल ए तारीफ़ रहा। 

आपको जानकर हैरानी होगी कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल नए-नए तरीको से बघेलखण्ड के फायदे के लिए दिन-दहाड़े सरकारी तिजोरी पर हाथ साफ़ कर रहे है। जानकारी के मुताबिक,राजकीय हेलीकॉप्टर के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद छत्तीसगढ़ सरकार के पास खुद का अपना कोई हेलीकॉप्टर नहीं है। विमानन कम्पनियाँ अपने स्टाफ के साथ एविएशन का संचालन कर रही है। इसके बावजूद भी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल दुर्घटनाग्रस्त विमान के संचालन के एवज में सालाना करोडो रूपए व्यय कर रहे है।

बताते है कि बगैर हेलीकॉप्टर के चीफ पायलट और तकनीकी स्टाफ पर लाखों रुपए हर माह पानी की तरह बहाए जा रहे है। आमतौर पर सरकारी विमान हादसों की जिम्मेदारी तय की जाती है। लेकिन बघेलखण्ड का कॉन्टैक्ट इतना मजबूत बताया जाता है कि सरकारी पायलट और तकनीकी स्टाफ जमीन पर मक्खी उड़ा रहा है।बगैर हेलीकॉप्टर आखिर कैसे पायलट और तकनीकी स्टाफ पर सालाना करोडो खर्च किए जा रहे है,इसका जवाब देने में भी बघेलखण्ड मुँह मोड़ रहा है।

न्यूज़ टुडे छत्तीसगढ़ ने राज्य की मौजूदा हालत पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से चर्चा करने का भरपूर प्रयास किया,लेकिन परम्परानुसार सीएम बघेल हकीकत से रूबरू होने के बजाए कन्नी-काटते नजर आए। बहरहाल मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का “गढ़बो नवा छत्तीसगढ़” मुग़ल शासन की यादों को तरोताजा कर रहा है। उम्मीद की जानी चाहिए की लोकतंत्र में जनता की गाढ़ी कमाई को उसके हितो में गढ़ने के मामलों पर “सरकार” गौर फरमाए।