रायपुर : छत्तीसगढ़ में ED की कार्यवाही में तेजी आते ही कई विभागों में खलबली मच गई है। ताजा मामला छत्तीसगढ़ राज्य के PHE विभाग का है। यहां ठेकेदारों ने विभागीय मंत्री गुरु रूद्र कुमार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। ये ठेकेदार सरकारी योजनाओ में भ्रष्टाचार के जरिये होने वाले भुगतान में कमीशन को लेकर आमने सामने है। सूत्र बता रहे है कि कई ठेकेदारों ने सतनाम भवन पहुंच कर विभागीय मंत्री रूद्र कुमार गुरु को कई मामलो में ‘ना’ कर दी है। बताते है कि पिछले 2 दौर की बैठक में कई ठेकेदारों ने मंत्री रूद्र कुमार गुरु की मंशा और कार्यप्रणाली पर ही सवालिया निशान लगाया है।
बताते है कि मंत्री ने उन अधिकारियो के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है, जो बजट सत्र 2023 की तय रकम समय पर उपलब्ध नहीं करावा रहे है। कई ठेकेदारों और अधिकारियो के पहले जैसे भ्रष्टाचार को नकारने से विभाग में हड़कंप मच गया है। बताते है कि नए MD ने कई संदेही अधिकारियो को ठिकाने लगाना शुरू कर दिया है। इसके बाद योजना में आई तेजी से कई ठेकेदारों ने उन अफसरों और वसूली भवन में तैनात नुरू-पंडा से दूरियां बनाना शुरू कर दिया है,जो चेक कटने से पहले नगद नारायण के चक्कर में जीना मुहाल कर देते थे।
सूत्र बताते है कि वसूली भवन में विधान सभा में उठाए गए सवालों को लेकर हंगामा बरपा है। सूत्र बताते है कि ED और अन्य केंद्रीय जांच एजेंसियों के सक्रिय होते ही योजनाओ में कमीशन मांगने वाले PHE के कई अधिकारियो के माथे पर बल पड़ गया है। कई ठेकेदारो और अधिकारियों ने पाइप लाइन बिछाने और ठेके की शर्तो के अनुरूप नियमानुसार गुणवत्ता बरकरार रखने पर जोर दिया है। जबकि विभागीय मंत्री रूद्र कुमार गुरु परम्परानुसार ही कार्य करने पर जोर दे रहे है।
बताते है कि मंत्री जी की कार्यप्रणाली के चलते कई अफसर विभाग से ही दूरियां बनाने पर जोर दे रहे है। दरअसल,ज्यादातर अधिकारी अब मंत्री जी की मांग को ख़ारिज कर रहे है। इसके चलते विभाग में जल-जीवन मिशन के कार्य पटरी पर आने लगे है। बताते है कि नए MD के साफ़ निर्देश है,अनुचित कार्यो में शामिल अधिकारियों को विभागीय संरक्षण नहीं मिलेगा,ऐसे ठेकेदारों और अफसरों की खैर नहीं।
बताया जा रहा है कि जेल रोड स्थित वसूली भवन में इन दिनों उन ठेकेदारों और अधिकारियों का मेला लगा हुआ है,जो पिछले 4 सालो से चांदी की फसल काट रहे थे। अब ऐसे दागी अफसरों और ठेकेदारों पर ED की नजर बताई जा रही है। सूत्र बताते है कि एक राजनैतिक दल के साथ-साथ खुद की तिजोरी भरने वाले RG की उगाही से दर्जनों सरकारी विभागों का माहौल गरमाया हुआ है,इसमें PHE विभाग का जल-जीवन मिशन भी शामिल है।
सूत्र बताते है कि कई ठेकेदारों ने मंत्री रूद्र कुमार गुरु के अरमानो पर पानी फेर दिया है। इससे बिफरे मंत्री ने बगावती तेवर अपना लिए है। हालाँकि मंत्री जी के जोश में आते ही विभाग के लगभग सभी अफसरों ने किनारा कर लिया है। सूत्र बताते है कि PHE के ENC और जल-जीवन मिशन के पूर्व डायरेक्टर और MD के काले कारनामो से विभाग की छवि दांव पर है। इसमें विभागीय मंत्री की एक से बढ़कर एक मांग से गतिरोध की स्थिति निर्मित हो गई है।
बताते है कि कई ठेकेदारों ने विभागीय मंत्री को ही कटघरे में खड़ा करते हुए उनकी CM से शिकायत किए जाने की चेतावनी दी है। सूत्रों का दावा है कि मंत्री जी के बंगले में चल रही बैठक आने वाले दिनों मंत्री रूद्र कुमार गुरु और विभाग का भविष्य तय करेगी। लिहाजा कई अधिकारियो और ठेकेदारों ने वसूली भवन से नुरू-पण्डा के जारी होने वाले फरमानो को सिरे से ख़ारिज कर दिया है।
बताते है कि दीपावली के पूर्व से ढेरो ठेकेदारों का भुगतान बकाया है। पिछले करीब तीन माह से 800 करोड़ के भुगतान की बंदरबाट को लेकर विभाग में अफरातफरी है, ऐसे में कई अधिकारियो ने नियमो का हवाला देकर उन ठेकेदारों के भुगतान पर रोक लगा दी है, जिनकी शिकायतों का निपटारा नहीं हो पाया है। बताते है कि दूध के जले कई ठेकेदार अब मंत्री रूद्र कुमार गुरु से लिखित आदेश की मांग कर रहे है। जबकि ENC और नुरू-पण्डा को भविष्य में कमीशन की रकम देने से इंकार कर रहे है।
गौरतलब है कि राज्य में जल जीवन मिशन जैसी महती योजना पिछले 4 सालो में भ्रष्टाचार की भेट चढ़ गई है। प्रदेश के अधिकांस जिलों में जल जीवन मिशन में भ्रष्टाचार आम है। इसके पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को PHE मंत्री की रूचि वाली टेंडर प्रक्रिया के विवादों में आने के चलते केबिनेट बुला कर 10 हजार करोड़ से ज्यादा की निविदा/टेंडर रद्द करने पड़े थे।
बताते है कि चुनावी साल में ED के लगातार छापो के बावजूद जल जीवन मिशन में भ्रष्टाचार पर रोक टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। विधान सभा में विपक्षी दलों के सवालों से मंत्री गुरु रूद्र कुमार की कार्यप्रणाली बे नकाब हो रही है। सत्र के दौरान विपक्षियों को उम्मीद है कि सौम्या चौरसिया के बाद मंत्री रूद्र कुमार, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के लिए बड़ी चुनौती साबित होंगे। अंदेशा है कि मंत्री के कारनामे मुख्यमंत्री की परेशानी का सबब बन सकते है।