Cg News: छत्तीसगढ़ में राहुल-प्रियंका और मुख्यमंत्री बघेल की राजनीति चमकाने के लिए न्याय पालिका का दुरूपयोग, कई जज कांग्रेस के संपर्क में, अब तो हो गई हद, मामलो को संज्ञान में लीजिए “माय लॉर्ड”,देंखे चैट…

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न्यूज़ टुडे छत्तीसगढ़ पूरी जवाबदारी के साथ इस समाचार का प्रकाशन कर माननीय शीर्ष अदालत और बिलासपुर हाई कोर्ट से आग्रह करता है कि संदर्भित मामलो को जनहित के मुद्दे के रूप में स्वीकार करने की कृपा करे। राज्य में पिछले तीन सालो में बेलगाम नौकरशाही के चलते कई सरकारी संस्थान भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गए। कोल खनन परिवहन घोटाले की रकम से न्याय पालिका में भी सेंधमारी हुई। प्रदेश में विभिन्न जिलों में निचली अदालतों में पदस्थ चंद न्यायिक अधिकारी अपनी कार्यप्रणाली से अदालत की साख पर बट्टा लगा रहे है। वे ED और CBI के आरोपियों के साथ मिल कर न्याय का फैसला कर रहे है। एक राजनैतिक दल विशेष के हितो को ध्यान में रखते हुए न्याय पालिका के राजनैतिक इस्तेमाल की रणनीति पर कार्य कर रहे है, ऐसे न्यायिक अधिकारियो के फैसले जनचर्चा का विषय रहे है। इसके खिलाफ पीड़ितों ने आवाज भी उठाई है।लेकिन अब ऐसी चैट सार्वजनिक हो रही है, इससे समय रहते ठोस कदम उठाए जाने की आवश्यकता है। माननीय अदालत से निवेदन है कि न्याय प्रभावित होने के मामलो को संज्ञान में लेते हुए फौरी कार्यवाही करने पर विचार करे। सादर धन्यवाद

रायपुर / दिल्ली : छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव 2023 की सरगर्मियां जोरो पर है। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, बीजेपी समेत तमाम दल चुनावी तैयारियो में जुट गए है। इस बीच दिल्ली से लेकर रायपुर तक कई ऐसे चैट वायरल हो रही है, जो निचली अदालत की साख पर बट्टा लगाने के लिए पर्याप्त है। दरअसल, राज्य में केंद्रीय जाँच एजेंसी IT-ED और CBI में दर्ज मामलों के कुख्यात आरोपी ही न्याय का फैसला कर रहे है।जबकि न्यायिक अधिकारी सिर्फ अपनी “मुहर” लगा रहा है।

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राज्य में सत्ता की लड़ाई और राजनीति इस कदर हावी है कि बेलगाम नौकरशाही के जरिये निचली अदालतों के चंद जजों को भी प्रभावित किया गया है। ये जज उस दल विशेष के हितो को ध्यान में रखते हुए न्यायिक शक्तियों का दुरूपयोग करने के मामलो में पीछे नहीं है। राज्य के सबसे बड़े कोल खनन परिवहन घोटाले के आरोपियों सूर्यकान्त तिवारी, सौम्या चौरसिया, और IT-ED के मुख्य आरोपी अनिल टुटेजा के संपर्क वाले निचली अदालतों के चंद जज अपने फैसलो को लेकर काफी चर्चित है। देखे चैट…..

बताते है कि निचली अदालतों के कुछ जजों के प्रभावित होने से पीड़ितों की दुविधा बढ़ गई है। ऐसे जजों की कार्यप्रणाली से छत्तीसगढ़ जैसे गरीब प्रदेश में निचली अदालतों का राजनैतिक इस्तेमाल का मामला सामने आया है। छत्तीसगढ़ कैडर के 2005 बैच के IPS अधिकारी शेख आरिफ और 2003 बैच के प्रमोटी IAS अनिल टुटेजा की ऐसी चैट सार्वजनिक हुई है, जो कांग्रेस नेता राहुल-प्रियंका गाँधी और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के राजनैतिक भविष्य से जुडी हुई बताई जाती है। देखे चैट….

राज्य में सुपर सीएम के पद नाम से चर्चित अनिल टुटेजा नान घोटाले के मुख्य आरोपी है। बिलासपुर हाई कोर्ट से अग्रिम जमानत प्राप्त आरोपी अनिल टुटेजा निचली अदालतों के कई आरोपियों की जमानत का फैसला खुद कर रहा है। हैरान करने वाली बात नहीं है, यकीन नहीं आता, तो देखे इस चैट को….

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बताते है कि ऐसी दो-चार नहीं बल्कि दर्जनों चैट है, जो बताती है कि निचली अदालतों के चंद जज IT-ED के आरोपियों से कुछ ज्यादा ही प्रभावित है। उनके फैसलों से पीड़ित राजनैतिक बंदियों की संख्या में जहाँ उछाल आया है, वही उनकी माली हालत में भी काफी सुधार देखा गया है। देखे चैट….

बताते है कि निचली अदालतों में राज्य की बेलगाम नौकरशाही और कतिपय राज नेताओ के गठजोड़ से निचली अदालतों के राजनीतिकरण की नीव रखी गई है। इसकी रणनीति घोर चिंतक शेख आरिफ और राजनीति के कुशल शिल्पी आरोपी अनिल टुटेजा ने तैयार की थी। बताया जाता है कि वर्ष 2023 में छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार की पुनर्स्थापना का बीड़ा चुनिंदा नौकरशाहो ने उठाया है। देखे चैट….

नौकरशाही के इस मास्टर प्लान को कोल खनन परिवहन घोटाले से सिंचित किया जा रहा था। इसके तहत अखिल भारतीय सेवाओं के कई अधिकारी दोहरे मोर्चे पर डटे थे। एक की बागडोर IAS अधिकारियो ने संभाल रखी थी। जबकि दूसरे मोर्चे की कमान IPS अधिकारियो ने अपने कंधो पर उठा रखी थी।

मास्टरप्लान के तहत मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपनी छबि निखारने के लिए अरबो रूपये पानी की तरह बहा दिए। बताते है कि राहुल,प्रियंका और सोनिया गाँधी तक की छबि निखारने के लिए सैकड़ो समाचार चैनलों, अखबारों और सोशल मीडिया में बड़े पैमाने पर विज्ञापन जारी किये गए। राज्य के जनसम्पर्क विभाग की प्रचार प्रसार की मद से अपव्यय का आंकड़ा हैरान करने वाला है। दिल्ली की तर्ज पर यहाँ भी सरकारी रकम से नेता जी का ज्यादा प्रचार-प्रसार हो रहा है। योजनाओ की जमीनी हकीकत भले ही विज्ञापनों में किए गए दावों से ठीक विपरीत क्योँ ना हो ? सरकारी रकम का बेजां इस्तेमाल सदैव वर्जित है।

बताया जाता है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल समेत कांग्रेस के शीर्ष नेताओ की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगाने वाले कई पत्रकारों, सामाजिक, राजनैतिक और RTI कार्यकर्ताओ के खिलाफ राज्य सरकार द्वारा फर्जी प्रकरण पंजीबद्ध किये जा रहे है। इसमें फरियादी भी कांग्रेस सरकार के, न्याय का फैसला भी अनिल टुटेजा जैसे अफसरों के हाथो में जबकि मुहर सिर्फ अदालत की, जैसे संगीन मामले निचली अदालतों की न्याय प्रणाली की कटघरे में खड़ा कर रहे है।

छत्तीसगढ़ में कोल खनन परिवहन घोटाले के उजागर होते ही कई ऐसी चैट भी सामने आ रही है, जो उन जजों की कार्यप्रणाली पर चोट करती है। ऐसे न्यायिक अधिकारी प्राकृतिक न्याय सिद्धांत के पालन में भी खरे नहीं उतर रहे है। बताते है कि एक राजनैतिक दल विशेष के हितो को ध्यान में रख कर दिए जा रहे उन फैसलों से पीड़ितों का हाल बेहाल है। देखे चैट….

बताते है कि भ्रष्टाचार के मामलो को उजागर करने वालो को सबक सीखाने के लिए दागी अफसर पहले तो अपराधों की पृष्ठ भूमि तैयार करते है। फिर पुलिस द्वारा प्रायोजित शिकायतकर्ता और गवाह तलाशे जाते है। इसके बाद FIR दर्ज कर मामलो को अनिल टुटेजा के दरबार में पेश किया जाता है। टुटेजा अपनी टोली के न्यायिक अधिकारियो को जमानत देने या ना देने के लिए निर्देशित करता है। देखे चैट….

बताते है कि असल खेल तो तब शुरू होता है, जब फर्जी मामलो में गिरफ्तार शख्स पुलिस के थानों और अदालत में सुनियोजित रूप से प्रताड़ित होता है। प्रेस मीडिया में ऐसे लोगो के खिलाफ सरकारी दुष्प्रचार की मुहीम जोर पकड़ती है। उधर टुटेजा एंड कंपनी से उपकृत न्यायिक अधिकारी आरोपी को अधिकतम दिनों तक जेल में निरुद्ध रखने के क़ानूनी दाव पेचों को आजमाता है। देखे चैट….

बताते है कि निचली अदालतों में चंद जज ही कोल खनन परिवहन और नान घोटाले के आरोपियों के साथ मिल कर न्याय का मोल भाव कर रहे है। हालांकि उनकी कार्यप्रणाली को जानकार निचली अदालतों के राजनीतिकरण के शुरुवाती दौर के रूप में देख रहे है। उन्हें चिंता इस बात की है कि जिस तर्ज पर न्यायिक अधिकारी न्याय के मूल सिद्धांतो से भटक रहे है, वो लोकतंत्र पर मंडराता गंभीर खतरा है। देखे चैट…

दरअसल एक गन्दी मछली जिस तरह से तालाब को बदबूदार बना देती है, उसी तर्ज पर निचली अदालतों की साख पर बट्टा लगने लगा है। फर्जी मामलो के संज्ञान में आने के बावजूद कतिपय न्यायिक अधिकारी आरोपियों को अलग अलग अंदाज में प्रताड़ित कर रहे है। देखे चैट….

IT-ED और CBI के आरोपियों के दरबार में निचली अदालतों के जजों के फैसलो को लेकर अर्जी लगती है। इसमें IAS और IPS अधिकारी उन आरोपियों के भाग्य का फैसला करते है, जो उनके सामने घुटने नहीं टेकते। उनकी जेल या बेल का फैसला जज नहीं बल्कि कुख्यात आरोपी कर रहे है, भले ही मुहर अदालत की लग रही हो। देखे चैट….

छत्तीसगढ़ में एक राजनैतिक दल से प्रभावित चुनिंदा न्यायिक अधिकारियो की संख्या में दिनों दिन इजाफा हो रहा है। वही ऐसे जजों की अदालत से पीड़ित लोगो की संख्या में भी दिन दुगुनी रात चौगुनी प्रगति हो रही है। बताते है कि विचार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर लगाम लगाने के लिए चुनिंदा न्यायिक अधिकारियो द्वारा अपनी शक्तियों के बेजा इस्तेमाल के मामलो की तस्दीक कई चैट कर रही है।

बताया जा रहा है कि निचली अदालतों में कब्जे का मकसद उन लोगो पर लगाम लगाना है जो कांग्रेस पार्टी के जनमत को प्रभावित कर सकते है। उनकी विचार अभिव्यक्ति और समाचारो के संकलन से नौकरशाही और राजनीति के आपराधिक गठजोड़ का खुलासा होता है। बताते है कि ऐसे लोगो को चुनाव के दौरान ही नहीं बल्कि समय समय पर बंदी बनाये जाने के लिए न्यायिक अधिकारियो को प्रभावित किया जा रहा है।

बताते है कि रायपुर और बिलासपुर की कई सितारा होटलो में रंग बदल रहे न्यायिक अधिकारियो के लिए ऐशो आराम का पुख्ता बंदोबस्त किया गया है। यहाँ विचरण करने वालो की प्राइवेसी का बखूबी ध्यान रखा जाता है। कोल खनन परिवहन घोटाले की रकम का एक हिस्सा न्यायिक अधिकारियो के स्वागत सत्कार में भी व्यय होता था। इसकी संयुक्त जिम्मेदारी अनिल टुटेजा और कोयला दलाल सूर्यकान्त तिवारी के कंधो पर थी। देखे चैट….

सूत्र बताते है कि सूर्यकान्त की डायरी और दस्तावेजों में ऐसे न्यायिक अधिकारियो के नाम और उन पर व्यय की गई रकम का ब्यौरा भी दर्ज है।बताया जा रहा है कि कोल खनन परिवहन घोटाले में ED के गवाहों को प्रभावित करने का सिलसिला भी शुरू हो गया है। इसके लिए भी कई नौकरशाह गैरकानूनी हथकंडे अपना रहे है।

आमतौर पर प्रदेश के महाधिवक्ता के प्रति जनता में सम्मान की भावना होती है। महाधिवक्ता कानून के सरंक्षक के रूप में अदालत में पीड़ितों का पक्ष रखते है। प्रोटोकॉल के तहत राज्यपाल और मुख्यमंत्री के बाद महाधिवक्ता का ओहदा आता है। राज्य के महाधिवक्ता सतीशचंद्र वर्मा व्यव्हार कुशल होने के साथ ही सहज न्यायप्रिय व्यक्ति माने जाते है। ये चैट बताती है कि सिविल लाईन थाने में महाधिवक्ता, रायपुर के तत्कालीन SSP शेख आरिफ का लम्बा इंतज़ार करते रहे। लेकिन SSP ने आरोपी टुटेजा से इजाजत लेने के बाद ही महाधिवक्ता से मिलना मुनासिब समझा। देखिए चैट….

बताया जा रहा है कि ED  समेत अन्य केंद्रीय एजेंसियों की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है,वैसे-वैसे आए दिन नए-नए खुलासे हो रहे है। ताजा मामला निचली अदालतों के कुछ ऐसे जजों से जुड़ा है,जिनके सीधे संपर्क ED के कुख्यात आरोपियों से थे।ऐसे जजों की कार्यप्रणाली और फैसलों की समीक्षा बेहद जरुरी बताई जा रही है। देखे चैट…..

छत्तीसगढ़ में ED के आरोपियों ने सरकारी मशीनरी जाम कर जहां रोजाना करोडो की कमाई की वही संवैधानिक संस्थाओ की मान मर्यादा को तार-तार करने में कोई कसर बाकि नहीं छोड़ी है। न्याय के सिद्धांतो का निष्पक्ष पालन करने की वकालत करने वालो को सम्बंधित मामलों में पीड़ितों के पक्ष को गंभीरता से लेना होगा,ताकि छत्तीसगढ़ के कोल खनन घोटाले और ED के आरोपियों के साथ मिलकर फैसला करने वालो को न्याय के मंदिर से बाहर का रास्ता दिखाया जा सके। देखे चैट…..

नान घोटाले के मुख्य आरोपी अनिल टुटेजा की अग्रिम जमानत रद्द करने की मांग वाली ED की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है। ED ने बिलासपुर हाई कोर्ट के एक जज और आरोपी टुटेजा के बीच हुई चैट का हवाला अपनी याचिका में दिया है। मामला अभी तक सिर्फ हाई कोर्ट तक ही सीमित था,लेकिन अब ऐसी चैट से निचली अदालतों में भी सेंधमारी की खबरें आ रही है।

बताते है कि कांग्रेस के शीर्ष नेताओ के अलावा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल,सौम्या चौरसिया,सूर्यकांत तिवारी और राज्य के पूर्व चीफ सेक्रेटरी विवेक ढांड से जुड़े कई घोटालो आपराधिक और भ्रष्टाचार के मामलों को कई पत्रकारों ने उजागर किया था। उन ख़बरों से भड़के गिरोह ने पत्रकारों को फर्जी मामलों में फंसाया। इन मामलो में निचली अदालतों के कुछ चुनिंदा जज कानूनी दाँव पेंचो का सहारा लेकर पीड़ितों को ही परेशान करने लगे। ऐसे जजों की चैट भी अब सामने आ रही है। देखे चैट

राज्य के सबसे बड़े 36 हजार करोड़ के नान घोटाले के लगभग सभी गवाह अपने बयानों से मुकर चुके है। यही हाल फर्जी सेक्स सीडी कांड का बताया जा रहा है।इस मामले में जहां सुप्रीम कोर्ट से तारीख पे तारीख मिल रही है, वही दूसरी ओर बेलगाम नौकरशाही ने सेक्स सीडी कांड के तमाम गवाहों पर ऐसा दबाव बनाया कि वे भी चारो खाने चित्त हो गए। वे भी अपने बयान बदल रहे है।

बताते है कि कतिपय न्यायिक अधिकारियो ने राज्य के पूर्व मंत्री राजेश मूणत की फर्जी सेक्स सीडी कांड के गवाहों को उनका बयान बदलवाने के मामलो में भरपूर क़ानूनी उपचार प्रदान किया है। इसकी कमान खुद शेख आरिफ ने संभाल रखी थी। वो रोजाना सेक्स सीडी कांड समेत कांग्रेस के नेताओ के हितो से जुड़े मामलो को आरोपी अनिल टुटेजा के साथ मिल कर अंजाम तक पंहुचा रहे थे। देखे चैट….

शेख आरिफ बतौर SSP रायपुर एक खास मुहीम में जुटे थे। इससे जुडी चैट राजनैतिक और प्रशासनिक गलियारों में चर्चा का विषय बनी हुई है। गौरतलब है कि फर्जी सेक्स सीडी कांड में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल उनके सरकारी सलाहकार विनोद वर्मा, कैलाश मुरारका समेत अन्य आरोपियों के खिलाफ CBI ने मामला दर्ज किया था। बताते है कि रिंकू खनूजा आत्महत्या मामले में सुनियोजित रूप से CBI के खिलाफ छत्तीसगढ़ पुलिस ने आपराधिक मामला दर्ज किया था। CBI के खिलाफ ही आत्महत्या मामले में आपराधिक प्रकरण दर्ज होने से एजेंसी ने अपने कदम वापिस खींच लिए। नतीजतन CBI की विवेचना ठप्प होते ही गवाहों को प्रभावित करने का खेल शुरू हो गया। देखे चैट….

छत्तीसगढ़ में एक राजनैतिक दल और उसके आरोपी नेताओ के साथ-साथ कुख्यात आरोपी नौकरशाहों का निचली अदालतों में कब्जे का मकसद ऐसी चैट से जाहिर हो रहा है। ये चैट अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारियो के काले कारनामो का प्रमाणित दस्तावेज है। न्याय के मंदिर में स्थापित हो रही  मौजूदा परिस्थितियों में न्यायिक व्यवस्था का यही हाल रहा तो वो दिन दूर नहीं जब राज्य में न्याय का फैसला, अदालतों में नहीं बल्कि राजनैतिक दलों के दफ्तरो और दागी नौकरशाहो के दरबारों में होगा।