Trending News :छत्तीसगढ़ कैडर के IPS अधिकारी दीपांशु काबरा के भालू ने मचाया धमाल, जाने वजह…

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रायपुर : छत्तीसगढ़ कैडर के IPS अधिकारी दीपांशु काबरा चर्चा में है। छत्तीसगढ़ सरकार के ब्यूटी पार्लर याने की प्रचार-प्रसार विभाग में DPR के  पद के अलावा वे एक साथ कई पदों पर सेवाएं दे रहे है, मौजूदा कांग्रेस सरकार में भी काबरा का जलवा बरक़रार है। एक दौर वह भी था जब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कुर्सी संभालते ही दीपांशु काबरा को फील्ड पोस्टिंग से हटाकर पुलिस मुख्यालय में अटैच कर दिया था।

बताते है कि करीब साल भर तक बगैर किसी कार्यभार के अपने कर्तव्यों को बखूबी निभाने वाले दीपांशु काबरा ने अपनी काबिलियत का लोहा आखिरकार मनवा कर ही दम लिया था। उनकी मेहनत रंग लाई, लम्बे इंतजार के बाद ही सही अधिकारियो की भीड़ में से, बघेल सरकार ने हीरे को खोज निकाला। उनके मजबूत इरादों को भांपते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पहले IG पुलिस रेंज बिलासपुर की जवाबदारी सौंपी। फिर सरकार की मुख्यधारा में शामिल कर कई बड़े विभागों और महत्वपूर्ण कार्यो की जवाबदारी दीपांशु काबरा को सौंप दी। साहब ने ऐसा दीप जलाया कि घने अंधेरे में भी कांग्रेस सरकार का चेहरा जगमगा उठा। 

बताते है कि काबरा साहब ने एक विदेशी भालू लोगो के बीच छोड़ दिया है। लेकिन ये भालू जंगल की मौज-मस्ती छोड़ राजनीति की राह में दौड़ पड़ा है। यही नहीं कई लोगो के लिए चाय की प्याली के साथ बहस का मुद्दा भी बन गया है। कभी टी-टेबलों पर तो कभी महफ़िल में लोग साहब के भालू को लेकर माथा-पच्ची कर रहे है। दरअसल, इस भालू ने कई लोगो की दिमागी कसरत तेज कर दी है। इस विदेशी भालू का मुकाबला अब छत्तीसगढ़ के देशी भालू से हो रहा है। साहब के भालू की दास्तान निराली है,इसकी बानगी देखकर आपका चेहरा खिल जाएगा जबकि छत्तीसगढ़ी भालू का संघर्ष सुनकर आपका चेहरा लाल-पीला भी हो सकता है। 

छत्तीसगढ़ कैडर के IPS अधिकारी दीपांशु काबरा सरकारी काम-काज के साथ-साथ सोशल मीडिया में भी काफी एक्टिव रहते है। अब तो जनसम्पर्क विभाग की कमान सँभालने के बाद उनके कई ट्वीट चर्चा का विषय बनते है। ऐसे ही उनका एक ट्वीट देश-दुनिया में सुर्ख़ियों बटोर रहा है। इस ट्वीट को देखने के बाद कई लोगो को भूपेश बघेल और उनकी सरकार की दशा-दिशा की चिंता सताने लगी है। भले ही काबरा का ट्वीट राजनीति से परे हटकर प्रकृति और वन्य जीवों पर आधारित हो,लेकिन चुनावी साल में उनके ट्वीट के मायने भी निकाले जाने लगे है। इसी के चलते काबरा साहब का यह “भालू” खूब धूम मचा रहा है। 

दरअसल,सोशल मीडिया में एक जंगली भालू की तस्वीरें तेजी से वायरल हो रही हैं। इसे देखने से लगता है कि सेल्फी लेने का क्रेज सिर्फ इंसानों में ही नहीं बल्कि भालू में भी है।  सेल्फी लेने वाला भालू रातो रात स्टार बन गया है। विदेशी भालुओ की मौज-मस्ती से जुड़ा यह ट्वीट देशी भालुओ को मुँह चिढ़ा रहा है।अब देशी भालू दावा कर रहे है कि उनके पास भी बौद्धिक शक्ति है। देशी भालुओ ने ADG साहब के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उनके विकास के लिए भी प्रयास किए जाने चाहिए।  

भालू की सेल्फी वाली दास्तान को ट्विटर पर काफी सराहा जा रहा है। बताते है कि इन तस्वीरों को देश के संवेदनशील और प्रेस मीडिया कर्मियों के रक्षक के रूप में पहचाने जाने वाले छत्तीसगढ़ कैडर के IPS अधिकारी दीपांशु काबरा ने अपनी एक पोस्ट में शेयर किया है। बताते है कि इस पोस्ट को देखने के बाद कई लोगो के मन में प्रदेश के भालुओ के विकास और सरंक्षण को लेकर उथल पुथल मच गई है।

बताते है कि कई लोग गोधन बचाव योजना की तर्ज पर छत्तीसगढ़ में भी भालुओ को सेल्फी खींचने के लिए कैमरा उपलब्ध कराए जाने की मांग कर रहे है। उनकी दलील है कि विदेशो की तर्ज पर यहां भी भालुओ को संसाधन उपलब्ध कराए जाए। भालुओ के विकास और संरक्षण की वकालत करने वाले कई वन्यजीव प्रेमी भी इस ट्वीट को देखने के बाद छत्तीसगढ़ी भालुओ को लेकर चिंतित नजर आ रहे है।बताते है कि प्रदेश में भालुओ की सुध लेने वाला कोई नहीं।बीजेपी शासन काल में सरकार ने भालुओ पर अपनी नज़ारे इनायत की थी। वन विभाग द्वारा भालुओं के संरक्षण के लिए ऑपरेशन जामवंत चलाया गया था।लेकिन सत्ता परिवर्तन होते ही बघेल सरकार ने गाय का दामन थाम लिया। 

छत्तीसगढ़ में गौ संरक्षण की दिशा में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गौ धन न्याय योजना की शुरुआत की है। इससे गाय तो उपकृत हुई है, साथ ही साथ उसके रखवाले भी मालामाल हो गए है।इस योजना का व्यापक असर हुआ है। बताते है कि गौ पालको को इससे जहाँ रोजगार मिला है,वहीं आमदनी के मामले में कई सरकारी अधिकारियो और नेताओ के दिन फिर गए है। कुल मिलाकर गाय सरंक्षण वाली प्रदेश की महती योजना ने कई घर परिवारों में खुशहाली ला दी है।

इन दिनों गांव की एक बड़ी आबादी जहां गोबर बीनने में जुट गई है,वही सरकारी प्रचार माध्यमों में कई ग्रामीण गोबर बेचकर लखपति बनने का दावा कर रहे है। लोगो को लगता है कि जिस तरह से राज्य में गाय जमकर दूध,दही,घी और गोबर दे रही है। गांव-गांव में गोबर उद्योगपति और कारोबारी रोजाना नई-नई मिसाल कायम कर रहे है।उससे छत्तीसगढ़ में क्रांति आ गई है। वही दूसरी ओर एक खास वर्ग कोयला खदानों समेत अन्य खनिजो की लूटमार से रोजाना करोडो की कमाई कर रहे है।  

बताते है कि महिलाओ समेत कई बेरोजगार दिन-रात गांव कस्बो में घूम-घूम कर की गई मेहनत के रूप में रोजाना जहाँ बामुश्किल सौ दो सौ रूपये ही कमा पाते है,वहीँ सरकारी सरंक्षण में कई कारोबारियों और अधिकारियों की एक ही झटके में रोजाना करोड़ो की कमाई का खुलासा IT-ED के छापो में हुआ है। बताते है कि भ्रष्टाचार और उसमे लिप्त लोगो की हिफाजत और सहायता करने को लेकर ED राज्य के मुख्यमंत्री को अदालत के कटघरे में खड़ा कर रही है। उसने सुप्रीम कोर्ट में मुख्यमंत्री पर भ्रष्टाचारियों को सरंक्षण देने के आरोप मय दस्तावेजों के साथ पेश किए है।

छत्तीसगढ़ के जंगलो में पुरातन काल से भालुओ का रैन बसेरा है। लेकिन यहाँ कुछ खास उद्योगपतियों और माफियाओं ने भालुओ की शरण स्थली में कोयला खदानों और अन्य उपक्रमों के पटटे, लायसेंस और अन्य दस्तावेज हासिल कर उद्योग धंधे स्थापित कर लिए है। इसके चलते भालुओ के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है। आपदा में अवसर और सत्ता की सनक में भालूओ की शरणस्थली कोरबा रायगढ़ और अंबिकापुर में कोयला खदानों के लिए जंगलो का सफाया कर दिया गया है। इस इलाके के प्राकृतिक रूप से खुले मैदानों और पहाड़ो में कोयला कंपनियों और माफियाओं के ठिकाने  नजर आते है। बताते है कि इन इलाको में पर्यटन के विस्तार की अपार सम्भावनाए है। 

जानकारो के मुताबिक इस इलाके में भालुओ का सेल्फी जोन बन जाने से रोजगार के नए अवसर पैदा किए जा सकते है। प्रभावित इलाकों में भालुओं के हमले से लोगो की जान-माल की सुरक्षा की जा सकती है। इससे सरकार को दावा और मुआवजे के मामलो में अनावश्यक वित्तीय भार से मुक्ति मिलेगी। दरअसल, पर्यटन बढ़ने से न केवल भालू सेल्फी लेकर अपनी तस्वीरें खींचने में व्यस्त रहेंगे वही उनकी मस्ती से पर्यटकों का मनोरंजन होगा। यही नहीं सेल्फी लेने के मामले में प्रदेश के भालू आत्मनिर्भर भी बन सकेंगे। गली मोहल्लों में भालू का करतब दिखाने वाले मदारी लुप्त हो चुके है, इन्हे पुनर्जीवित कर रोजगार पैदा किया जा सकता है।   

जानकार बताते है कि प्रकृति के करीब जाने से मन को शांति और तन को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसलिए यहां के प्राकृतिक जंगलो के आध्यात्मिक महत्व से देश-दुनिया रूबरू हो सकेगी। छत्तीसगढ़ में चुनाव करीब है, वोटरों को प्रभावित करने और उन्हें डराने धमकाने के मामलों में सजग विरोधी दल,मतदान में भालुओं का उपयोग-दुरूपयोग कर सकते है, बताते है कि प्रदेश के जंगलो में स्थित कई बूथों पर इंसानी आबादी की तुलना में भालुओं का बोल-बाला है। भालुओं को शिक्षित करने का असर मतदान के प्रतिशत पर भी पड़ सकता है। मसलन, भालुओं के खौफ से कई बूथों में वोटरों को मतदान से वंचित भी किया जा सकता है। तो कहीं उनके दोस्ताना संबंधो से लोगो के बीच मतदान के प्रति जागरूकता बढ़ाई जा सकती है।

बताते है कि कमजोर राजनैतिक नेतृत्व के चलते प्रदेश में भालुओं की स्थिति काफी डांवाडोल है। राज्य के कई इलाको में भालू की आबादी भी किसी जाति समुदाय से कम नहीं है। रायगढ़, अंबिकापुर और बिलासपुर के गौरेला, पेंड्रा और मरवाही के जंगल में तो सेल्फी के शौकीन भालुओं के लिए सेल्फी जोन और पढाई लिखाई के सेंटर स्थापित किये जा सकते है। बताते है कि इस इलाके में सदियों से आदिवासियों के साथ कई वन्यजीव नैसर्गिक रूप से निवासरत है। लेकिन कई सरकारी योजनाएं ना तो कभी जरुरतमंदो तक पहुंची और ना ही वन्यजीव लाभान्वित हो सके। 

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भालुओ के हिमायती और उनके लिए योजनाए तैयार करने पर जोर देने वालो का मानना है कि, ADG साहब पहले तो फुर्सत में है।मसलन अपने व्यस्त कार्यक्रमों में से कीमती समय निकालकर उन्होंने प्रकृति और वन्यजीवों के प्रति प्रेम भाव प्रदर्शित किया है।उनका मानना है कि उनके कई ट्वीट में सरकार की योजनाओं और उसके भविष्य की दशा-दिशा की झलक भी मिलती है। लिहाजा उन्हें लगता है कि इसके जरिए साहब ने किसी आगामी योजना की ओर इशारा किया है। भालू की इन मजेदार सेल्फी को देखकर लोगों के चेहरे पर जहां मुस्कान बिखर रही है, वही छत्तीसगढ़ की प्राकृतिक पहचान कायम रखने और जल, जंगल और जमीन की हिफाजत के लिए लोग टी-टेबल पर माथा-पच्ची करते नजर आ रहे है।   

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