रायपुर : गणतंत्र दिवस समारोह में आयोजित कार्यक्रमों में कई कर्मचारियों,अधिकारियों और नेताओ की निगाहें “माई के लाल” पर लगी रही। समारोह स्थल में हुजूर तो नजर आए लेकिन माई का लाल दूर-दूर तक दिखाई नहीं दिया। उनके नाम का पुकारा नहीं होने से कई मेहमानो ने पुरस्कार पाने वालो की सूची में “माई का लाल” के नाम पर नजर दौड़ाई लेकिन उनका नाम नदारद होने से लोगो को समझ में आ गया की इस बार माई का लाल का पत्ता किसी ने साफ़ कर दिया है। वर्ना उसके जैसा साहसिक कार्य बीते 4 सालो में किसी ने नहीं दिखाया।
निलंबन के मामले ही नहीं हकीकत को जानते-बुझते हुए भी साहसिक कार्य के लिए अपने कदम आगे बढ़ाना लोगों के मुताबिक सचमुच हुनर नहीं कोई जौहर दिखाने जैसा है। बहरहाल,लोगो को उम्मीद है कि इस साल ना सही आने वाले साल नई सरकार में “माई का लाल” की सुध ली जाएगी। उसके प्रशासनिक साहस की गौरव गाथा से प्रदेश की जनता को अवगत कराया जाएगा।
रायपुर से लेकर बस्तर तक लोगो की जुबान में “माई का लाल” की चर्चा है। गणतंत्र दिवस पर उनका सम्मान ना होने की ख़बरें भी दिन भर सुर्ख़ियों में रही। बताते है कि माई का लाल ने काम ही ऐसा किया है कि उसके साहस के चर्चे होना लाजिमी है। छत्तीसगढ़ के प्रशासनिक और राजनैतिक गलियारो में माई का लाल का किस्सा जमकर सुना जा रहा है। माई का लाल के परिचित कर्मी उनकी लेखन कला खासतौर पर नोटशीट लिखने की कला के मुरीद है।
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हाल ही में ED की कार्यवाही के बाद उन्होंने एक नोटशीट लिखी थी। इस नोटशीट ने प्रशासनिक हलकों में खलबली मचा दी थी। हालांकि इस नोटशीट को बड़े सलीके से सहज कर अलमारी में रख दिया गया है। दरअसल इसमें हुजूर के ऑटोग्राफ बताए जाते है। यह भी बताया जा रहा है कि नोटशीट को ठिकाने लगाने के बाद एक पूरा आर्डर A-4 साइज के पेपर पर निकाला गया। लेकिन इसे दो भागो में आधा कर सोशल मीडिया में वायरल कर दिया गया।
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आधे अधूरे इस आर्डर की वैधानिकता की पुष्टि सरकारी संस्थानों और जिम्मेदार अधिकारियों के बजाए मीडिया से कराई गई। इस आदेश की पुष्टि के लिए ना तो हुजूर सामने आए और ना ही उनकी टुकड़ी के लोग। सरकारी प्रचार-प्रसार के दफ्तर से भी माई के लाल के साहसिक कार्यो पर उनकी पीठ थपथपाने से परहेज बरता गया। बताते है कि ये आर्डर किसी खौफनाक “भ्रष्टाचारन” का था। हालाँकि उसे दफ्तर से बाहर का रास्ता दिखाने से पहले ही ED ने उसके असल ठिकाने में भेज दिया था। बताते है कि GAD में भ्रष्टाचारन महोदया के साबुत आर्डर की पड़ताल शुरू हो गई है। दरअसल अभी तक महोदया का कटा-फटा आधा-अधूरा आर्डर ही सुर्ख़ियों में है। उसका अगला हिस्सा शायद ही किसी के पास उपलब्ध हो।
यह भी बताते है कि भ्रष्टाचारन महोदया को अभी तक वाकई निलंबित किया गया है या नहीं,अधिकृत तौर पर पुष्टि नहीं हुई है। सोशल मीडिया में तैर रहा आर्डर का अगला हिस्सा आखिर क्यों जारी नहीं किया गया ? यह खोज का विषय है। फिलहाल तो माई का लाल का वो किस्सा लोगो की जुबान पर है,जब वो भ्रष्टाचार और साजिशो से मुक्ति के लिए डायरी पेन लेकर हुजूर के दरबार में हाजिर हुआ था। इस बीच प्रदेश के आलाधिकारियों को पदको और कलाकारों को पद्म पुरस्कार से नवाज़े जाने की चर्चाए भी समारोह में शामिल लोगो की जुबान पर थी।
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