छत्तीसगढ़ की सुपर CM सौम्या चौरसिया की अब भी करोडो की बेनामी संपत्ति का सौदा, बाप और माँ के पति का नया नाम, OM चौरसिया के आलावा ओम चौरसिया के नाम से भी खरीदी गई संपत्ति, IAS समीर विश्नोई की नई बेनामी संपत्ति के दस्तावेज उजागर

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रायपुर : छत्तीसगढ़ में सरकार के बैनर तले होने वाली अवैध उगाही के नत्य – न्याय खुलासे हो रहे है। छत्तीसगढ़ की गरीब जनता और आदिवासियों के कल्याण में खर्च होने वाली रकम को डकारने वाले सरकार के दुश्मन रायपुर सेन्ट्रल जेल में हवा खा रहे है। वही उनकी काली कमाई का रोजाना नया खुलासा हो रहा है। ताजा मामला मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की उपसचिव सौम्या चौरसिया और IAS समीर विश्नोई की उस बेनामी संपत्ति का है जो अभी तक ED की नजर में नहीं आई। 

छत्तीसगढ़ महतारी के दोनों दुश्मनो ने यह बेस कीमती जमींन रायपुर से सटे जोरा इलाके में खरीदी है। दोनों ही कुख्यात अधिकारियो की यह जमींन पचासों करोड़ की बताई जाती है। यह भी बताया जा रहा है कि इन दोनों अधिकारियो की कई और ऐसे जमीने है जो ED की नजरो में अभी तक नहीं आई है। इन जमीनों का सौदा इन दिनों रियाल स्टेट कारोबार से जुड़े कई निवेशकर्ताओं की टेबलों पर चर्चा का विषय बना हुआ है। न्यूज़ टुडे छत्तीसगढ़ को सौम्या चौरसिया और समीर विश्नोई के रोजाना वो काले छिट्टे प्राप्त हो रहे है जो ED की फहरिस्त में शामिल नहीं है। 

रायपुर से सटे जोरा में कुख्यात आरोपी समीर विश्नोई का लगभग 50 हजार स्क्वेर फीट का रकबा सौदे के लिए बाजार में घूम रहा है। यह जमींन बेनामी बताई जाती है। इसे रायपुर के ही विशाल नगर में निवासरत गिरीश कुमार पिता टोपन दास भागदेव और दीपक धर्मानी पिता रतन लाल कटोरा तालाब रायपुर के नाम पर ख़रीदा जाना बताया जाता है। इस जमीन का रकबा 0 . 0 8 1 0 हेक्टेयर है। यह जमीन RI 19 रायपुर 18 कांदुल गांव – पिरदा में स्थित बताया गया है। जानकारी के मुताबिक समीर विश्नोई की अभी भी करोडो की बेनामी जमीने अटैच होना बाकी है। दरअसल ऐसी जमीनों का राजस्व रिकॉर्ड सरकारी दफ्तरों से नदारत कर दिया गया है। कम्प्यूटर रिकार्ड में भी हेर – फेर कर छेड़छाड़ की गई है। 

बताया जाता है कि छत्तीसगढ़ सरकार की इलेक्ट्रानिक और डिजिटल एजेंसी चिप्स का संचालन खुद IAS समीर विश्नोई के हाथो में था। सौम्या चौरसिया के गिरोह में शामिल यह कुख्यात आरोपी प्रदेश भर के ऑनलाइन डाटा को ठप कर ऑफलाइन कर सरकारी सिस्टम को जाम करता था। नतीजतन सरकारी दफ्तरों में अपने वैधानिक काम कराने वालो को लेव्ही चुकाने के बाद ही सरकारी काम – काज निपटाने का मौका मिलता था। कई जरुरतमंदो को वैधानिक कार्य के लिए बेवजह दफ्तरों के चक्कर लगाने पड़ते थे। 

बताते है कि छत्तीसगढ़ की सरकारी मशीनरी को जामकर समीर विश्नोई भी रोजाना लाखों रूपए कमाता था। विश्नोई और उसकी पत्नी का ऑडियो क्लिप भी ED ने अदालत के संज्ञान में लाया है। बताया जाता है कि इस क्लिप में छापे के पूर्व करोडो के सोने के आभूषणों को ठिकाने लगाने की चर्चा हो रही थी। ED ने विश्नोई के ठिकानो से 45 लाख से ज्यादा की नगदी और लगभग 4 करोड़ ज़ेवरात जप्त किये है। हालांकि कोर्ट में उसके खिलाफ चालान प्रस्तुत होने के बाद भी उसकी बेनामी संपत्ति को ठिकाने लगाने के मामले सामने आ रहे है। 

उधर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की करीबी और मुख्यमंत्री कार्यालय में पदस्थ उपसचिव सौम्या चौरसिया की भी अवैध कमाई चर्चा में है। रायपुर कोर्ट में ED के द्वारा पेश चालान में उन औद्योगिग घरानों का जिक्र किया गया है जो कोयला दलाल सूर्यकान्त तिवारी को हर महीने गब्बर सिंह टैक्स के रूप में करोडो का भुगतान करते थे। इसमें रायगढ़ का जिंदल स्टील, वेदांता और बजरंग पावर का नाम सुर्खियों में है। अकेले इन संस्थानों से अरबो रूपए मुख्यमंत्री बघेल की करीबी सौम्या चौरसिया के हाथो में जाता था।

 बताते है कि यह रकम कोयला दलाल सूर्यकान्त तिवारी के जरिये मुख्यमंत्री के दफ्तर में तैनात सौम्या की तिजोरी में जाती थी। लिहाजा इस तिजोरी के हिस्सेदारों के गिरेबान तक भी ED के हाथ पहुंचने की तैयारी में है। ED अब तक भ्रष्टाचार की कुख्यात आरोपी सौम्या चौरसिया की 21 प्रॉपर्टी अटैच कर चुकी है। लेकिन न्यूज़ टुडे की संज्ञान में लाइ गई एक नई संपत्ति का सौदा चर्चा में है। बताया जाता है कि करोडो की यह संपत्ति कौड़ियों के दाम ठिकाने लगाने के लिए रियल स्टेट के कई कारोबारी मैदान में डटे है। 

न्यूज़ टुडे को प्राप्त जानकारी के अनुसार सौम्या चौरसिया ने रायपुर से सटे जोरा में यह संपत्ति शांति देवी चौरसिया के नाम पर खरीदी थी। इसमें खरीददार का पता कोसाबाड़ी कोरबा अंकित किया गया है। इसे कृषि भूमि में दर्शाया गया है। इसका रकबा 0 . 2 4 0 हेक्टेयर खसरा नंबर 1 1 4 / 4 अंकित है।

दस्तावेज बताते है कि इस जमीन का भू राजस्व 10 हजार रूपए मात्र पटाया गया है। जबकि सौदे में शहर के इस नए पॉश इलाके में यह जमीन करोडो की आंकी जा रही है। सौदा करने वाले लगभग 25 हजार स्क्वेयर फीट जमीन का बाजार मूल्य लगभग डेढ़ हजार रूपए प्रति स्क्वेयर फीट आँक रहे है। हालांकि ED की डर की वजह से कई कारोबारी जोखिम शामिल कर इस जमींन को औने – पौने दाम में ठिकाने लगाने में दिलचस्पी ले रहे है। उनकी दलील है कि यह जमींन कभी भी मुसीबत खड़ा कर सकती है। 

बताते है कि सरकार और जाँच एजेंसियों के नजरो से बचने के लिए इस जमींन को खरीदते वक्त सौम्या चौरसिया ने अपनी माँ शांति देवी के पति और स्वयं के पिता का नाम बदल दिया था। वो कई जमीनों की खरीद फरोख्त में पिता के नाम कही, OM चौरसिया तो कही ओम चौरसिया दर्ज कर अनुपातहीन संपत्ति अर्जित कर रही थी।

यह जमींन इसी कड़ी से सम्बद्ध बताई जाती है। जानकारी के मुताबिक अब तक सौम्या की जो संपत्ति सामने आई है, उसमे उसने अपने पिता का नाम OM चौरसिया और माँ शांतिदेवी का पति का नाम भी OM चौरसिया ही दर्शाया है। लेकिन इस नई जमींन पर मालिकाना हक़ शांतिदेवी चौरसिया पति OM चौरसिया न दर्ज करते हुए ओम चौरसिया दर्ज किया गया है। सूत्र बताते है कि चिप्स के तत्कालीन प्रभारी समीर विश्नोई के जरिये रजिस्ट्री और राजस्व रिकॉर्ड में भी बड़े पैमाने पर हेरफेर किया गया है। ताकि बेनामी सम्पत्ती की खरीदी – बिक्री का कई रिकॉर्ड एजेंसियों को आसानी से उपलब्ध न हो पाए।