छत्तीसगढ़ में सुपर CM सौम्या के जेल जाने के बाद,जानिए IAS, IPS और IFS अफसरों का हाल,सत्ता की गोद में ”जनधन” की लूट

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रायपुर : छत्तीसगढ़ की सुपर CM और मुख्यमंत्री बघेल की करीबी अफसर सौम्या चौरसिया रायपुर सेन्ट्रल जेल में कैद है। महिला बंदीगृह में उसकी राजकीय तिमारदारी की खबरे सुर्खियों में है। महिला जेल प्रहरियों के बीच कुख्यात आरोपी सौम्या चौरसिया का वक्त यादगार गुजर रहा है। लेकिन राजनैतिक और प्रशासनिक गलियारों में उन अधिकारियों की दिनचर्या चर्चा में है, जो चौबीसों घंटे सौम्या जी, जी जी जी, यश मेम, श्योर मेम, और डन इट मेम कहकर सिर्फ दिन ही नहीं बल्कि रात भी गुजारा करते थे। इन अफसरों की कार्यप्रणाली देश भर में चर्चित हो रही है। राजनैतिक, प्रशासनिक और सामाजिक हलकों में अखिल भारतीय सेवाओं के अफसरों को एक डिप्टी कलेक्टर स्तर के अफसर के सामने इतना जलील होते किसी ने नहीं देखा था। 

कई चुनिंदा अफसर सत्ता के करीब रहकर जिस तरह से कुख्यात आरोपी सौम्या चौरसिया के आगे नतमस्तक होते थे, उसकी बानगी देखकर अखिल भारतीय सेवाओं के वो अफसर हैरत में पड़ जाते थे, जिन्हे छत्तीसगढ़ कैडर में तैनात होना पड़ा है। ऐसा नहीं है कि ये अफसर नौकरशाही और लोकशाही की मर्यादा नहीं जानते। बल्कि नजारा देखकर उनकी आँखे उस वक्त फटी की फटी रह जाती थी, जब उनसे वरिष्ठ अफसर गैरकानूनी आदेशों – निर्देशों को क़ानूनी अमलीजामा पहनाते नजर आते थे। एकेडमी में संविधान की रक्षा की कसम लेकर कर्तव्य स्थल में भ्रस्टाचार की रकम खाते अपने सीनियरों की धूर्त्तता देखकर उन्हें हैरानी होती है। 

सूत्र बताते है कि सौम्या चौरसिया उन अफसरों को धुत्तकारते हुए आपराधिक साजिशो को अंजाम देने का एक ओर फरमान सुनाती थी, वही दूसरी ओर से सुनाई पड़ता था, सौम्या जी, जी जी जी, यश मेम, श्योर मेम, और डन इट मेम। इन अफसरों के साथ नजदीकी वक्त गुजारने वाले बताते है कि सौम्या के जेल जाने के बाद ”साहब” ने आज राहत की सास ली है। कुछ अफसरों के परिजन भी तस्दीक कर रहे है की उनके बेटे ने कल चैन की नींद ली है। सुबह उनके साथ वक्त भी गुजार कर चाय -नाश्ता किया है।यही नहीं साहब ने तो आज कोई हामी नहीं भरी। उनके मुँह से सौम्या जी, जी जी जी, यश मेम, श्योर मेम, आज नहीं निकला। 

लिहाजा जेल की काल कोठरी में बंद सौम्या की दिनचर्या से ज्यादा चर्चा अब ऐसे IAS -IPS और IFS अफसरों की हो रही है। अखिल भारतीय सेवाओं के इन अफसरों की कार्यप्रणाली जाँच और शोध का विषय है। बताते है कि छत्तीसगढ़ कैडर में कुछ चुनिंदा, महज दर्जन भर ऐसे IAS ,IPS और IFS अफसर है जो सीधे तौर पर जनधन की लूट में शामिल है।

ऐसे अफसरों की रोजाना की आमदनी लाखो में है, कुछ की तो अनुपातहीन संपत्ति का आंकड़ा 50 और 100 करोड़ के बीच बताया जाता है। जबकि दूसरी ओर अधिकांश अधिकारी अपनी कार्यप्रणाली पर लगने वाले दागों से काफी सचेत है।

ऐसे अफसर ना तो सत्ता के दबाव में कोई कार्य करते है, और ना ही सौम्या चौरसिया उनसे गैरकानूनी कार्य करने के लिए निर्देश देने की हिम्मत जुटा पाती है। ऐसे अफसर नियमानुसार कार्यवाही कर अपनी ड्यूटी बखूबी बजा रहे है। उनमे सत्ता के रंग के बजाय कर्तव्य परायणता की झलक देखने मिलती है। 

राज्य में IAS समीर विश्नोई, कलेक्टर रानू साहू समेत कुछ ऐसे IPS अफसर है जो रोजाना लाखो की रकम पर हाथ साफ़ कर रहे थे। उनका लेखा -जोखा लगातार सामने आ रहा है। ”धान के कटोरे” के लिए विख्यात इस प्रदेश को कई लोग भ्रष्टाचार के हब के रूप में जानने -पहचानने लगे है। सरकार के ब्यूटी पार्लर ”जनसंपर्क” के मैदानी अफसरों को इस नई पहचान को दबाने – छिपाने के लिए जमकर एड़ी -चोटी का जोर लगाना पड़ रहा है। 

छत्तीसगढ़ में अखिल भारतीय सेवाओं के कुछ चुनिंदा अफसर पूरवर्ती बीजेपी शासनकाल में अपनी स्वच्छ कार्यप्रणाली के लिए जाने -पहचाने जाते थे। इस दौरान उनके पास अनुपातहीन संपत्ति भी नहीं थी। यही नहीं उन अफसरों के खिलाफ कोई गंभीर शिकायते और आरोप भी ढूंढे नहीं मिलते थे। लेकिन अब दौर बदल चुका है। नया दौर गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ का है। आपदा में अवसर तलाश लेने की काबिलियत रखने वाले ऐसे IAS, IPS और IFS अफसर सत्ता के बेहद करीबी है।

बताते है कि सौम्या की अवैध वसूली में 30 फीसदी कमीशन की रकम सीधे तौर पर इन चुनिंदा अफसरों के जेब में जाती थी। लिहाजा ये अफसर उसके तमाम गैरकानूनी आदेशो -निर्देशों को सिर -आँख पर लेते थे। हुक्म के गुलामो की तरह उन अवैधानिक कार्यो को पूरी तत्परता के साथ अंजाम देते थे। पत्रकारों को ठिकाने लगाना हो या फिर गब्बर सिंह टैक्स से वसूली जाने वाली रकम को उचित स्थानों पर पहुँचाना हो, ये अफसर बखूबी इस कार्य को संपन्न करते थे। कुछ ने तो सत्ताधारी दल का गमछा तक लपेट लिया था।

बताया जाता है कि छत्तीसगढ़ कैडर में अफसरों की कार्यप्रणाली में आई गिरावट का पैमाना काफी चिंताजनक है। भारत सरकार, PM मोदी और शीर्ष अदालत को ऐसे अफसरों की कार्यप्रणाली से रूबरू होना बेहद जरूरी है। अन्यथा अखिल भारतीय सेवाओं के अफसरों का रुख लोक कल्याण के लिए नहीं बल्कि जनता के साथ लूटपाट करने वाले एक संगठित गिरोह के रूप में सामने आएगा।