कुख्यात आरोपी सौम्या चौरसिया गिरोह की गुलामी में छत्तीसगढ़ पुलिस,अदालत में ही नजरबंदी के खिलाफ हाईकोर्ट की शरण में वरिष्ठ पत्रकार सुनील नामदेव

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बिलासपुर : छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे कई सरकारी अफसरों और कारोबारियों के खिलाफ IT – ED की कार्यवाही जोरो पर है। वही सरकारी तिजोरी की लूटपाट में शामिल आरोपियों का न्यूज़ कवरेज़ रोके जाने को लेकर छत्तीसगढ़ पुलिस और उसके अफसर चर्चा में है। राज्य में भ्रष्टाचार के मामलो की जाँच और रोकथाम का जिम्मा एंटी करप्शन ब्यूरो और EOW का है। लेकिन उसने सौम्या चौरसिया और अनिल टुटेजा गिरोह के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की। यहाँ तक की गंभीर शिकायतों को रफा -दफा कर दिया।

नतीजतन भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए IT -ED समेत अन्य केंद्रीय एजेंसियों को प्रदेश का रुख करना पड़ा। ED ने आरोपियों को खोज निकाला और उनके खिलाफ वैधानिक कार्यवाही को अंजाम देने में जुट गई। भ्रष्टाचार के इन मामलो के न्यूज़ कवरेज को लेकर छत्तीसगढ़ पुलिस का आपत्तिजनक रवैया सामने आया है। इस मामले में अदालत परिसर में ही पुलिस कानून की धज्जियाँ उड़ा रही है। इस मामले में दायर एक याचिका पर जल्द सुनवाई के आसार है।  

 छत्तीसगढ़ में सरकारी मशीनरी जाम कर रोजाना करोड़ो की कमाई करने वाले भ्रष्टाचारियो के खिलाफ ED की कार्यवाही की प्रदेश में प्रशंसा हो रही है। इस बीच सुपर CM और कुख्यात आरोपी सौम्या चौरसिया का न्यूज़ कवरेज रोके जाने का मामला गरमाया हुआ है। दरअसल वरिष्ठ पत्रकार सुनील नामदेव को छत्तीसगढ़ पुलिस और उसके अफसर बार – बार नजरबन्द कर रहे है। न्यूज़ कवरेज रोकने के लिए आला अधिकारियो की फौज सुनील नामदेव के इर्द -गिर्द मंडरा कर उनका कार्य बाधित किया जा रहा है। रायपुर कलेक्टर कार्यलय से लेकर जिला अदालत के परिसर तक पुलिस के आला अधिकारी वरिष्ठ पत्रकार नामदेव की घेराबंदी करते है। उन्हें तब तक खबर करने से रोक दिया जाता है जब तक की सौम्या चौरसिया और उसका गिरोह कोर्ट में अपनी पेशी में हाजिर रहता हैं।

रायपुर कलेक्टर और अदालत परिसर में लगातार सैकड़ो पुलिस कर्मियों और अधिकारियो ने दूसरी बार सौम्या चौरसिया की खबर करने से वरिष्ठ पत्रकार को रोक दिया। ये अफसर बगैर किसी नोटिस और वैधानिक कार्यवाही के सुनील नामदेव की घेराबंदी में जुटे रहे। बिलासपुर हाईकोर्ट में दायर एक याचिका में अधिवक्ता सुमित सिंह ने रायपुर कोर्ट में पुलिसिया कार्यवाही को बेहद गंभीर मामला बताया है। सुमित सिंह ने छत्तीसगढ़ पुलिस की गैरक़ानूनी नजरबंदी को प्रेस – मीडिया की आजादी पर हमला करार दिया है। उन्होंने इसे नागरिकों के मौलिक अधिकारों का हनन बताते हुए पूरे मामले को हाई कोर्ट के संज्ञान में लाया है। उन्होंने मामले की जल्द सुनवाई की उम्मीद जाहिर की है।  

दरअसल छत्तीसगढ़ पुलिस के दर्जनों अफसर गिरफ़्तारी के बावजूद आरोपी सौम्या चौरसिया के गैर क़ानूनी निर्देशों का पूरी तत्परता के साथ पालन करते नजर आ रहे है। राज्य सरकार ने भी इस कुख्यात आरोपी को अपना सरंक्षण अब भी जारी रखा है। उसकी हिफाजत के लिए सैकड़ो अधिकारियो को तैनात किया गया है। ये पुलिस अधिकारी संविधान की धज्जियाँ कोर्ट परिसर में ही उड़ा रहे है। वे प्रेस -मीडिया की आजादी और नागरिको के मौलिक अधिकारों का हनन कर रहे है।

वरिष्ठ पत्रकार सुनील नामदेव और वीडियो एडिटर साजिद हाशमी की घेराबंदी में दिनभर जुटे रहने वाले पुलिस अफसरों की हकीकत से हाईकोर्ट को अवगत कराया गया है। याचिका में पीड़ित पत्रकारों ने यह भी बताया जाता है कि गैर क़ानूनी गतिविधियों में लिप्त ऐसे अफसरों ने उन्हें फर्जी मामलो में फ़साने की धमकियाँ भी दी है। ताकि सौम्या चौरसिया एवं उसके गिरोह में शामिल भ्रष्टाचारियो के न्यूज़ कवरेज को रोका जा सके।

उधर छत्तीसगढ़ पुलिस के कई वरिष्ठ अफसर पत्रकारों के साथ दुर्वयवहार को लेकर हैरानी जता रहे है। वे जूनियर अफसरों की इस तरह की कार्यप्रणाली से काफी नाराज बताये जाते है। वरिष्ठ पत्रकार सुनील नामदेव ने छत्तीसगढ़ पुलिस के गैर क़ानूनी कृत्यों की वीडियो ग्राफ़ी को बतौर सबूत अदालत के संज्ञान में लाया है। उन्होंने ऐसे अफसरों पर वैधानिक कार्यवाही किये जाने की गुहार अदालत से लगाई है। उन्होंने अदालत में ही उन्हें गैरकानूनी रूप से बंदी बनाए जाने के मामले को मानव अधिकारों का हनन भी बताते हुए कड़ी कार्यवाही की माँग की है। 

उन्होंने याचिका में कहा है कि ऐसे अफसरों की जाँच कर गैरकानूनी गतिविधियों को उनकी CR में दर्ज कर नौकरी से बाहर का रास्ता दिखाया जाना चाहिए। चूँकि ढेरों शिकायतों के बावजूद पुलिस ने आरोपी सौम्या चौरसिया और अनिल टुटेजा गिरोह के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की। अपितु भ्रष्टाचार उजागर करने पर उनके खिलाफ फर्जी प्रकरण दर्ज कर दिए गए। यही हाल अन्य पत्रकारों का भी किया गया। ऐसे पीड़ित पत्रकार अभी भी पुलिस की फर्जी कार्यवाही के अंदेशे में अपना कामकाज कर रहे है। 

हाईकोर्ट में दायर याचिका में DGP अशोक जोनेजा, IG अजय यादव, SSP प्रशांत अग्रवाल, कलेक्टर रायपुर और गृह सचिव को भी पार्टी बनाया गया है। गौरतलब है कि सरकारी भ्रष्टाचार को उजागर करने के चलते मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनकी सरकार ने वरिष्ठ पत्रकार सुनील नामदेव के खिलाफ 4 फर्जी प्रकरण दर्ज किये थे। इसके बाद उनके आवास पर बुलडोजर भी चलाया था। इसके बावजूद भी वरिष्ठ पत्रकार सुनील नामदेव ने सरकारी सरंक्षण में चल रहे भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी आवाज़ बुलंद रखी। 

वे सौम्या -टुटेजा गिरोह की खबरों को लगातार प्रकाशित और प्रसारित करते रहे। उनकी तथ्यात्मक रिपोर्टिंग के चलते बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार उजागर हुआ था। कोयले पर 25 रूपए टन अवैध वसूली और गब्बर सिंह टैक्स की खबरों से लोगो को सबसे पहले उन्होंने ही रूबरू कराया था। इस पर कई केंद्रीय एजंसियों ने छत्तीसगढ़ में व्यापक भ्रष्टाचार के मामलो को संज्ञान में लिया। 

 फिलहाल सौम्या चौरसिया और उसके गुर्गो की बुधवार को रिमांड ख़त्म हो रही है। इस दौरान अदालत में पेश होने वाले आरोपियों के फरमानों की तामीली को लेकर एक बार फिर लोगो की निगाहें छत्तीसगढ़ पुलिस के कदमो पर टिकी हुई है।   

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