रायपुर: ईडी की 4 दिनों की रिमांड पर हवालात पहुंची छत्तीसगढ़ की सुपर सीएम सौम्या चौरसिया पर सच उगलने का दबाव बनाया जा रहा है। भ्रष्टाचार की कुख्यात चलती-फिरती मूरत से सच निकलवाने के लिए उसके सामने सबूतों और कई प्रामाणिक तथ्यों के दस्तावेज रखकर ईडी पूछताछ में जुटी है। सूत्रों द्वारा यह जानकारी देते हुए बताया जा रहा है कि सौम्या चौरसिया कई महत्वपूर्ण सवालों का जवाब देने के बजाए पूछताछ कक्ष से ही बार-बार बाहर भाग रही है। नए-नए बहाने कर वो कभी वाशरूम की ओर रुख कर रही है तो कभी बहस और बड़बड़ाते हुए पूछताछ कक्ष से बाहर निकलने के लिए हांथ-पांव मार रही है।
सूत्र बताते है कि ईडी ने अब उससे अवैध उगाही करने के निर्देश देने वाले शख्स के बारे में पूछताछ शुरू कर दी है। बताया जाता है कि यही शख्स इस गिरोह का सरगना है। सूत्र बताते है कि अब तक की पूछताछ में ईडी के सामने उन संदेहियों की साफ़ तस्वीर आ चुकी है जिनका सौम्या चौरसिया और उसके कार्यालय से सीधा संबंध था। संदेहियों में एक बड़े नेता जी और उनके कुनबे के कई सदस्य शामिल बताए जाते है। इसके अलावा ऑफिस ऑफ़ प्रॉफिट से जुड़े अन्य नेता,कारोबारी और उद्योगपति भी जाँच के दायरे में बताए जा रहे है।
सूत्र बताते है कि आने वाली 10 दिसंबर की तिथि कुछ संदेहियों के लिए मुसीबत भरी हो सकती है। दरअसल,इस दिन मौजूदा FIR में दर्ज नामो के अलावा कुछ नए आरोपियों का नाम ईडी की चार्जशीट में शामिल हो सकता है। जबकि चालानी कार्यवाही ख़त्म होने के बाद ईडी एक अन्य बड़े मामले की पड़ताल को अंतिम रूप देने में जुटी है। सूत्र बताते है कि इसके लिए नई FIR और नए आरोपियों का नाम सामने आ सकता है।
हालांकि इस FIR में भी सौम्या चौरसिया के काले कारनामो की झलक देखने को मिल सकती है। सूत्रों का दावा है कि भले ही सौम्या चौरसिया ने हकीकत बयां करने के मामले में अपना मुँह ना खोला हो,लेकिन ईडी के पास मौजूद काले कारनामो के दस्तावेज उन संदेहियों को जेल की सैर कराने के लिए काफी है। सूत्र यह भी बता रहे है कि सौम्या चौरसिया को जेल की सैर पर भेजे जाने के बाद नए भ्रष्टाचारियों के सामने आने के आसार है।
सूत्र यह भी बता रहे है कि छत्तीसगढ़ में सुनियोजित रूप से हो रही उगाही में सौम्या चौरसिया एक मैनेजर के रूप में काम कर रही थी। जबकि लाभार्थियों में परदे के पीछे भी कई प्रभावशील लोग शामिल है। ऐसे संदेहियों को चिन्हित कर ईडी के कदम एक नए रैकेट की ओर बढ़ रहे है। बताया जाता है कि ईडी ने अब तक की जांच में यह भी पाया है कि सौम्या चौरसिया को उसके पद और अनुभव की तुलना में वो असीमित अधिकार सौंप दिए गए थे,जो किसी संवैधानिक प्रमुख के हाथो में होते है। नतीजतन सौम्या चौरसिया अपने पद और प्रभाव का दुरुपयोग करते हुए कई गैरकानूनी कृत्यों और अपराधों को अंजाम देने में जुट गई।
यह तथ्य भी सामने आया है कि संवैधानिक पद की शपथ लेने के बाद शासन से जुड़ी कई गोपनीय जानकारियां कोयला दलाल सूर्यकांत और उसके गिरोह के साथ साझा की जा रही थी। अपराध के जानकार इसे प्रदेश में संवैधानिक संकट के रूप में देख रहे है।उनका मानना है कि संवैधानिक शपथ लेने के बावजूद गोपनीयता भंग करना और उसका उपयोग अपराधों को अंजाम देने में करना लोकतंत्र के खिलाफ है।
उधर,सौम्या चौरसिया के ईडी के हत्थे चढ़ने के 5 दिनों बाद भी सौम्या चौरसिया को सस्पेंड किए जाने के मामले को लेकर प्रशासनिक महकमों में गहमा गहमी मची है। प्रशासनिक सूत्रों के मुताबिक कुख्यात आरोपी सौम्या चौरसिया को निलंबित किए जाने को लेकर “साहब” ने अब तक हरी झंडी नहीं दी है।
उनके निर्देश के बाद ही सौम्या के निलंबन आदेश पर प्रशासनिक मुहर लगने के आसार है।आमतौर पर किसी भी सरकारी कर्मी की गिरफ्तारी के 48 घंटे बाद उस पर निलंबन की गाज गिर जाया करती है। लेकिन इस तरह के मामलो में छत्तीसगढ़ का विधान और कानून देश के कानून से पृथक बताया जाता है। फिलहाल सौम्या चौरसिया के निलंबन आदेश का इंतज़ार किया जा रहा है।