रायपुर : छत्तीसगढ़ में ”गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ ” किस तरह धरातल पर नजर आ रहा है, ये खबर उसकी बानगी मात्र है। अदालत में ED ने सबूतों के साथ जो तथ्य पेश किये है वो इस राज्य की जनता को जानना बेहद जरुरी है। प्रदेश में सरकारी मशीनरी जाम कर रोजाना करोडो की अवैध उगाही के मामलो की पड़ताल में जुटी ED की टीम अब उन मगरमच्छो पर शिंकजा कस रही है ,जो ब्लैक मनी को ठिकाने लगाने के लिए नए-नए आर्थिक अपराधों को अंजाम दे रहे थे। इसमें रियल स्टेट कारोबार में निवेश,बेनामी संपत्ति की खरीद फरोख्त और औने-पौने दाम में कोल वाशरी की खरीदी का मामला मुख्य है।
छत्तीसगढ़ सरकार की नाक के नीचे चल रहे इस कारोबार की भनक मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के संज्ञान में ना आना हैरान करने वाला मामला है। उनके करीबी कई अफसरों और कारोबारियों के जेल की हवा खाने के बावजूद राजधर्म के पालन से पीछे हटने का मामला चर्चा में है। इस बीच,रायपुर में ED की विशेष अदालत ने कोल माफिया सूर्यकांत तिवारी,उसका चाचा लक्ष्मीकांत तिवारी,कोल कारोबारी सुनील अग्रवाल और IAS अधिकारी समीर विश्नोई की जमानत रद्द कर दी है। इन सभी आरोपियों को 14 दिनों की ज्यूडिशियल रिमांड पर सेन्ट्रल जेल भेज दिया गया है। ED ने तीन अलग-अ लग जिलों से माइनिंग अधिकारियो को भी अपने कब्जे में लिया है। हालाँकि उनकी गिरफ़्तारी की अधिकृत रूप से पुष्टि नहीं हो पाई है।
सूर्यकान्त के ग्रह नगर महासमुंद के करीब 70 लोगो को ED ने पूछताछ के लिए बुलाया है। खबरों के मुताबिक ये सभी वो लोग बताए जा रहे है जो सूर्यकांत से कच्चे में मोटी रकम लेकर उसे अपनी जमीन-जायदाद बेच रहे थे। इनमे से ज्यादातर सौदे करोडो के है। लेकिन पक्के की रकम महज कुछ हजार रुपए में ही भुगतान किया गया है। ED ने जब ब्लैक मनी के दस्तावेज पलटने शुरू किए तो कई सौदे ऐसे पाए गए जो करोडो के थे। लेकिन उसका भुगतान महज चंद लाख में कर रजिस्ट्री करा ली गई थी। इस तरह से दर्जनों रजिस्ट्री में स्टाम्प फ़ीस की चोरी के बावजूद पंजीयन कार्यालयों ने उन बेशकीमती जमीनों की रजिस्ट्री सूर्यकांत के पक्ष में करने के मामले में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी। नियमो को ताक में रखकर रजिस्ट्रार भ्रष्टाचार में लिप्त हो गए।
ED अब कई बेनामी सम्पत्तियो को अटैच करने की मुहीम में जुटी है। उसने इस मामले में पंजीयकों से भी पूछताछ शुरू कर दी है। उन मामलों को लेकर ED हैरत में है, जिसमे नाममात्र की स्टाम्प ड्यूटी का भुगतान कर पंजीयकों ने सरकारी तिजोरी पर चोट की है। मामलो की पड़ताल के बीच बुधवार को ED ने सूर्यकांत गिरोह की जमानत रद्द करने के लिए जो तथ्य पेश किए थे,वो गौरतलब है।इसमें माइनिंग घोटाले और कोल वाशरी की खरीदी का मामला काफी महत्वपूर्ण बताया जा रहा है। इसमें एक कड़ी जमीन -जायजाद की पंजीयन करने वाली सरकारी एजेंसी रजिस्ट्रार स्टाम्प का कार्यालय भी जुड़ गया है। बेनामी सम्पति का पंजीयन और ब्लैकमनी खपाने के मामलो में रजिस्ट्रार भी इस गिरोह में शामिल बताया जा रहा है।
दरअसल कोरबा जिले में सूर्यकांत ने कई जमीन -जायजाद और दो कोल वाशरी का सौदा किया था। इनमे से एक रेलवे स्लाइडिंग सहित वाशरी की कीमत 150 करोड़ के लगभग आंकी जाती है। लेकिन इसका सौदा मात्र 96 करोड़ में किया गया था। दिलचस्प बात यह है कि इस सौदे में 33 लाख की रकम एक नंबर में दी गई,जबकि 20 लाख रूपए नगद दिए गए थे। शेष रकम का भुगतान और कोई ब्यौरा नहीं है। मतलब साफ़ है कि ये रकम ब्लैक में दी गई थी। यह सौदा रजिस्ट्री सहित मात्र 53 लाख रूपए में निपटा दिया गया। इतनी मोटी रकम ब्लैक मनी के रूप में विक्रेता के हाथो में पहुंची और उसने भी यह रकम बाजार में खपा दी।
उधर पंजीयकों ने बड़े पैमाने पर स्टाम्प ड्यूटी की चोरी को नजर अंदाज़ करते हुए औने-पौने दाम में ही कोल वाशरी की रजिस्ट्री पर अपनी मुहर लगा दी थी। एजेंसिया अब ऐसी जमीन -जायजाद की खोजबीन में जुटी है। पंजीयन कार्यालयों से उसका ब्यौरा इकठ्ठा किया जा रहा है। बताया जाता है कि ED ने माइनिंग विभाग के अफसरों के साथ -साथ स्टाम्प वेंडर और रजिस्ट्रार को भी रडार में लिया है। ED के वकील ने सूर्यकांत और उसके गिरोह के काले कारनामों के दस्तावेज पेश कर कोर्ट से सभी की जमानत रद्द करने की मांग की थी। ED के पेश दस्तावेजों में पंजीयन घोटाले की भी बू आ रही है। सुनिए ED की ओर से पेश एडवोकेट सौरभ पांडे की दलीलों का ये हिस्सा, काफी चौंकाने वाला है।
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