रायपुर में 15 हजार मासिक वेतन वाले कर्मचारी के नाम पर 500 करोड़ की संपत्ति, बालको प्लांट में अरबो का ट्रांसपोर्ट ठेका भी, मुख्यमंत्री बघेल की ईमानदार करीबी अफसर सौम्या चौरसिया का मुलाजिमों को रातों – रात करोड़पति बनाने का हैरतअंगेज फार्मूला

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रायपुर : पुरानी कहावत है ”किसी न किसी आदमी की सफलता के पीछे महिला” का हाथ होता है। ये कहावत छत्तीसगढ़ में जोर -शोर से चरितार्थ भी हो रही थी। लेकिन कामयाबी के मुकाम पर पहुंचने से पहले ही IT और ED जैसी केंद्रीय जाँच एजेंसिया उसकी राह की रोड़ा बन गई। फिलहाल राजनेताओं और भ्रष्ट अफसरों की सुध ली जा रही है। उनके कारनामे रोजाना उजागर हो रहे है।

ऐसे में एक ऐसे शख्स का खुलासा हुआ है, जो दो -तीन बरस पहले तक शराब कारोबारी सुभाष शर्मा का मुलाजिम हुआ करता था। वह उनकी ट्रांसपोर्ट कम्पनी में 15 हजार रूपए मासिक वेतन पर काम करता था। लेकिन राज्य में कांग्रेस सरकार के आने के बाद मुख्यमंत्री कार्यालय में पदस्थ ईमानदार अफसरों की कृपा उस पर क्या हुई ? उसकी जिंदगी ही बदल गई। देखते ही देखते यह शख्स अरबो का मालिक बन गया। उसने अपनी खुद की ट्रांसपोर्ट कम्पनी डाल ली। फिर ऐसा धमाका किया कि रातो – रात वो कोरबा में बालको कम्पनी का सबसे बड़ा ट्रांसपोर्ट ठेकेदार भी बन गया। 

देखते ही देखते यह शख्स अरबो का मालिक बन गया। उसने अपनी ट्रांसपोर्ट कम्पनी डाल ली। फिर ऐसा धमाका हुआ कि रातो – रात वो कोरबा में बालको कम्पनी का सबसे बड़ा ट्रांसपोर्ट ठेकेदार भी बन गया। 

उसकी कम्पनी में खुद के सैकड़ो ट्रक, डम्फर , डोजर ऐसे ही कई किस्म के वाहनों की लम्बी कतार लग गई। इस शख्स के पास कोई जादुई चिराग होने की जानकारी तो नहीं मिली।अलबत्ता उसके तार मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के कार्यलय से जुड़े पाए गए है। इस शख्स की कामयाबी से ईमानदार अफसर सौम्या चौरसिया का फार्मूला भी चर्चा में है। एक खास वर्ग उसकी कार्यप्रणाली का कायल है। बताते है कि मैडम ने जिस किसी के सिर पर भी हाथ रखा, उसके दिन फिर गए। सूर्यकान्त की तर्ज पर इस शख्स की दुनिया ही बदल गई है। जानिये कौन है यह शख्स ? पढ़िए, यह खोज खबर। 

नाम – संतोष सिंह, उम्र – लगभग 40 साल, रंग – गेहुंआ, हाइट – लगभग 5 फूट 5 इंच, निवासी – रायपुर, मूल निवास – राजस्थान,  वर्तमान पता / ठिकाना – कोरबा, व्यवसाय – पृथ्वी रियलकोन लिमिटेड का मालिक,असल कारोबार – ट्रांसपोर्ट कम्पनी की आड़ में मनी लॉन्ड्रिंग और हवाला। इस शख्स की पहचान कई लोगों द्वारा कुछ इस तर्ज पर तस्दीक की गई है। बताया जाता है कि यह व्यक्ति दो – तीन साल पहले तक शराब कारोबारी सुभाष शर्मा का कर्मचारी था। 15 हजार मासिक वेतन पर वो उनकी कंपनी के वाहनों की देखरेख किया करता था।

चंद वर्षों पहले तक संतोष सिंह माली हालत कुछ खास नहीं बल्कि पतली थी। लेकिन अब वो प्रदेश का प्रभावशील ठेकेदार बन गया है। बताते है कि सुभाष शर्मा पर हुई IT की कार्यवाही के दौरान संतोष भी लपेटे में आया था। वो कई दिनों तक जेल में रहने के बाद जमानत पर छूटा था। जानकारी के मुताबिक सुभाष शर्मा के ट्रांसपोर्ट पर कब्ज़ा कर उसने अचानक शर्मा ट्रांसपोर्ट से दुनिया बना ली। फिर छत्तीसगढ़ कैडर में पदस्थ एक आईपीएस अफसर के साथ संतोष सिंह तत्कालीन कलेक्टर कोरबा रानू साहू के ठिकानो पर नजर आने लगा। इसी दौरान वो सूर्यकान्त गिरोह की कई शैल कंपनियों में हिस्सेदार भी बन गया। उसके करीबियों के नाम से भी कई कंपनियां रजिस्टर्ड कर ट्रांसपोर्ट का नया बड़ा गोरख धंधा शुरू हो गया। 

सूत्र बताते है कि संतोष सिंह के कारोबार और उसकी शैल कंपनियों में हिस्सेदारी की जाँच बेहद जरुरी है। सूर्यकान्त समेत उसके गिरोह में शामिल अफसरों की काली कमाई को ठिकाने लगाने के लिए संतोष सिंह कारगर बताया जा रहा है। यह भी बताया जा रहा है कि संतोष सिंह के अलावा रायगढ़ में पदस्थ रहे पुलिस कांस्टेबल SC तिवारी के नाम पर भी करोडो की सम्पति खरीदी गई थी। बताते है कि सूर्यकान्त के इस कथित मामा के जरिये कई और ऐसे नए – नए रिश्तेदार गढ़कर इस गिरोह ने बड़े पैमाने पर निवेश किया है। रायपुर समेत प्रदेश के कई जिलों में करोड़ो की चल – अचल संपत्ति का हक़ पुलिस कर्मियों को भी दिया गया है। सूर्यकान्त के ED के हत्थे चढ़ने के बाद इस बेनामी सम्पत्ति की अफरा – तफरी के खबर भी सुर्खियों में है।     

बताया जाता है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की उपसचिव सौम्या चौरसिया के सम्पर्क में आने के बाद अचानक संतोष के दिन फिर गए । वो भी कोयला दलाल सूर्यकान्त तिवारी की तर्ज पर सौम्या का शागिर्द बन गया। सूत्र बताते है कि संतोष सिंह को बालको में ट्रांसपोर्ट का ठेका दिलाने के लिए तत्कालीन कोरबा कलेक्टर रानू साहू ने एड़ी चोटी का जोर लगा दिया था। बतौर कलेक्टर वो बालको में इस शख्स को ठेका दिलाने के लिए धरने पर बैठ गई थी।

उसने अपने पद और प्रभाव का दुरुपयोग करते हुए जिले में जमकर  बवाल भी काटा था। रानू साहू की कार्यप्रणाली को लेकर उद्योगपतियों और राजनेताओं ने आपत्ति भी जताई थी। इस दौरान मचे बवाल के बीच राज्य सरकार के कैबिनेट मंत्री जय सिंह अग्रवाल ने कलेक्टर के कार्यो पर फटकार लगाई थी। उन्होंने, प्रदेश की सबसे बड़ी लुटेरी कलेक्टर बता कर रानू साहू को कठघरे में भी खड़ा किया था। लोगों के मुताबिक कोरबा में उनके कार्यकाल की निष्पक्ष जाँच जरुरी है। 

दरअसल बालको में संतोष सिंह के कारोबार में हिस्सेदारी और सरंक्षण के मामले में उनकी कार्यप्रणाली काफी संदिग्ध बताई जाती है। जानकारी के मुताबिक बालको में कई वर्षों से ट्रांसपोटिंग का ठेका संचालित कर रही मुंबई की शाह कम्पनी ने भी कलेक्टर के अनुचित कार्यो को लेकर आपत्ति की थी।

बताते है कि कारोबार छीनते देख इस कम्पनी ने राजनैतिक और प्रशासनिक दबाव के खिलाफ आपत्ति की। इसके चलते उसे अनुचित रूप से कारोबार से हटाए जाने का विरोध भी किया। लेकिन सरकार के उपसचिव के प्रभाव में सब कुछ दफ़न हो गया। सूत्र बताते है कि मुख्यमंत्री कार्यालय में पदस्थ सौम्या चौरसिया के हस्तक्षेप से जहां प्रशासन ने संतोष सिंह को बालको में ठेका दिलवा दिया, वही शाह कम्पनी के कर्ता – धर्ताओं को कोरबा से खदेड़ने में पुलिस ने कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी। 

जानकारी के मुताबिक सरकारी सरंक्षण में संतोष सिंह के कारोबार में हिस्सेदारी तय करने के लिए राजस्थान निवासी एक आईपीएस अधिकारी की कार्यप्रणाली भी सुर्खियों में है। कोरबा और रायगढ़ में लोगो को रातों – रात करोड़पति बनाने के कारोबार में वो  सूर्यकान्त तिवारी और उसके गिरोह के साथ कंधे से कन्धा मिलाकर सरकारी कामकाज बखुबी निपटा रहा है। वही उसके राजस्थानी भाई संतोष ने सूर्यकान्त के तमाम काले कारनामों का ठेका इन दिनों संभाल लिया है। 

सूर्यकान्त के ED के हत्थे चढ़ने के बाद भी जारी अवैध वसूली को ठिकाने लगाने की जिम्मेदारी संतोष के ही हाथो में बताई जा रही है। उधर भ्रष्टाचार के मामलों के लगातार उजागर होने से मुख्यमंत्री कार्यालय भी विवादों में घिरता जा रहा है। घोटाले और अवैध वसूली, राजनैतिक अपराधों और पत्रकारों को झूठे मामलो में फंसाकर साजिश रचने के तार मुख्यमंत्री कार्यालय से सीधे जुड़ रहे है। कारोबारियों और ख़राब माली हालत का सामना कर रहे लोगो को रातो – रात करोड़पति बनाने के नुस्खे आजमाने को लेकर सौंम्या सुर्खियों में है। आईटी – ईडी समेत कई केंद्रीय एजेंसिया उसके नुस्खों को समझने – बुझने के लिए जमकर माथा – पच्ची कर रही है। जबकि आम जनता और मुख्य विपक्षी दल बीजेपी सूर्यकान्त तिवारी और कारोबारी प्रशासनिक अफसरों के कारनामो की जाँच भारत सरकार से कराये जाने की मांग कर रहे है। प्रदेश भर में सौम्या का नुस्खा चर्चा में है। 

लोगो का कहना है कि छत्तीसगढ़ में पदस्थ अखिल भारतीय सेवाओं के अफसरों की कार्यप्रणाली और आपराधिक कृत्यों की जाँच सीबीआई से कराये जानी चाहिए। इसके लिए भारत सरकार को छत्तीसगढ़ का मामले पृथक से संज्ञान लेना चाहिए। फिलहाल राज्य में आयकर और ED के छापो और पूछताछ को लेकर गहमा – गहमी है। प्रशासनिक और राजनैतिक गलियारों में केंद्रीय एजेंसियों की घुसपैठ से भ्रष्टाचार की जड़ो पर प्रहार हो रहा है। कई संदेही अफसर भी IT – ED से बचने के लिए नए अपराधों को अंजाम दे रहे है।