
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन को 90 दिनों की टैरिफ छूट देकर एक बार फिर वैश्विक मंच पर हलचल मचा दी है। इस फैसले के बाद व्यापार जगत से लेकर राजनीतिक विश्लेषकों तक में चर्चा का दौर शुरू हो गया है कि आखिर ट्रंप चीन पर इतनी मेहरबानी क्यों दिखा रहे हैं।
डोनाल्ड ट्रंप, जो 2024 के चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी की ओर से फिर से राष्ट्रपति पद की दौड़ में शामिल हुए थे, ने इस छूट की घोषणा करते हुए चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग को ‘अच्छा दोस्त’ बताया। ट्रंप ने कहा, “हम मतभेदों के बावजूद एक दूसरे को समझते हैं। व्यापार संतुलन और वैश्विक स्थिरता के लिए यह कदम जरूरी था।”
क्या है टैरिफ छूट?
टैरिफ यानी आयात शुल्क वो टैक्स होता है जो एक देश दूसरे देश से आने वाले सामान पर लगाता है। ट्रंप ने अपने पिछले कार्यकाल में चीन से आने वाले हजारों सामानों पर भारी टैरिफ लगाया था। लेकिन अब 90 दिनों के लिए इस टैरिफ को हटाने या कम करने का निर्णय लिया गया है। इसका सीधा फायदा अमेरिकी कंपनियों और उपभोक्ताओं को होगा, क्योंकि उन्हें चीनी उत्पाद सस्ते दामों पर मिल सकेंगे।
ट्रंप की रणनीति या चीन से नजदीकी?
राजनीतिक जानकार मानते हैं कि यह फैसला ट्रंप की चुनावी रणनीति का हिस्सा हो सकता है। अमेरिकी किसानों, उद्योगपतियों और व्यापारियों का एक बड़ा तबका टैरिफ से प्रभावित हुआ था। ऐसे में यह छूट उन्हें फिर से ट्रंप के पक्ष में कर सकती है।
वहीं कुछ विश्लेषकों का मानना है कि यह ट्रंप की व्यक्तिगत कूटनीति का हिस्सा है, जिसमें वह विरोधियों के साथ भी निजी संबंधों का इस्तेमाल करके अपने हित साधते हैं।
अमेरिका में मिली-जुली प्रतिक्रिया
अमेरिकी व्यापार संगठनों ने इस कदम का स्वागत किया है, जबकि डेमोक्रेटिक पार्टी ने इस पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि इससे चीन को गलत संदेश जाएगा और अमेरिका की सख्त नीति कमजोर होगी।
भारत पर क्या असर?
भारत जैसे देशों के लिए यह फैसला दोधारी तलवार हो सकता है। एक ओर जहां चीन-अमेरिका व्यापार तनाव से भारत को निर्यात के नए अवसर मिले थे, वहीं टैरिफ छूट से प्रतिस्पर्धा फिर से कठिन हो सकती है।
निष्कर्ष:
डोनाल्ड ट्रंप के इस फैसले के पीछे चाहे चुनावी राजनीति हो या व्यक्तिगत कूटनीति, लेकिन यह साफ है कि चीन और अमेरिका के संबंधों में फिर से एक नई हलचल शुरू हो चुकी है। आने वाले हफ्तों में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह ‘छूट’ क्या वाकई वैश्विक व्यापार में राहत लाएगी या फिर कोई नई कूटनीतिक चाल है।