भारत सरकार ने गुरुवार को संसद में वन भूमि विनियोग और वृक्षारोपण से जुड़ा अहम डेटा साझा किया है, जिससे देश के पर्यावरण प्रबंधन की दिशा में सरकार के प्रयासों की झलक मिलती है। जानकारी के मुताबिक, पिछले चार वर्षों में 78,000 हेक्टेयर से अधिक वन भूमि को गैर-वनीय कार्यों जैसे विकास परियोजनाओं के लिए मंजूरी दी गई है।
पर्यावरण मंत्रालय ने बताया कि मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा 17,393 हेक्टेयर वन क्षेत्र का उपयोग स्वीकृत किया गया, उसके बाद ओडिशा (11,033), अरुणाचल प्रदेश (6,561), उत्तर प्रदेश (5,480) और छत्तीसगढ़ (4,092 हेक्टेयर) का स्थान है। हालांकि, इसी दौरान भारत ने 93.7 लाख हेक्टेयर में वृक्षारोपण कर हरियाली बढ़ाने की दिशा में ठोस पहल की है।
इस क्षेत्र में उत्तर प्रदेश सबसे आगे रहा, जहां 23.5 लाख हेक्टेयर में पौधे लगाए गए। तेलंगाना (15.5 लाख) और गुजरात (11.4 लाख) दूसरे और तीसरे स्थान पर रहे। ओडिशा, आंध्र प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश ने भी लाखों हेक्टेयर क्षेत्र में हरियाली बढ़ाई।
‘एक पेड़ मां के नाम’ जैसे अभियानों के जरिए सरकार समाज में पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ा रही है। पर्यावरण राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने बताया कि यह अभियान लोगों की भावनात्मक भागीदारी को प्रेरित करने के लिए शुरू किया गया है।
सरकार ग्रीन इंडिया मिशन, नगर वन योजना, मैंग्रोव संरक्षण, और कैम्पा योजना के तहत वृक्षारोपण को बढ़ावा दे रही है। ये सभी प्रयास भारत के सतत विकास और पर्यावरण संरक्षण के वादे को मजबूत बनाते हैं। वन भूमि के विवेकपूर्ण उपयोग और वृक्षारोपण के संतुलन से एक हरित भविष्य की ओर कदम बढ़ाए जा रहे हैं।
