पर्यटन, परिवहन और संस्कृति पर संसद की स्थायी समिति की रिपोर्ट में बताया गया है कि हवाई सुरक्षा और दुर्घटना जांच के लिए सरकार ने जो फंड जारी किया है, वह बहुत ही अपर्याप्त (not sufficient)है. खासतौर पर DGCA के लिए 30 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है, लेकिन AAIB को केवल 20 करोड़ रुपये और BCAS को 15 करोड़ रुपये दिए गए हैं.पर्यटन, परिवहन और संस्कृति पर संसद की स्थायी समिति की रिपोर्ट में बताया गया है कि हवाई सुरक्षा और दुर्घटना जांच के लिए सरकार ने जो फंड जारी किया है, वह बहुत ही अपर्याप्त (not sufficient)है. खासतौर पर DGCA के लिए 30 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है, लेकिन AAIB को केवल 20 करोड़ रुपये और BCAS को 15 करोड़ रुपये दिए गए हैं.रिपोर्ट में कहा गया है कि इस लो एलोकेशन की वजह से AAIB और BCAS जैसे जरूरी निकायों को काम में परेशानी हो रही है. AAIB इस समय अहमदाबाद विमान दुर्घटना की जांच कर रहा है, जिसमें एक एयर इंडिया बोइंग 787 ड्रीमलाइनर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, जिससे 242 यात्री और क्रू मेंबर सहित 29 लोग मौत के घाट उतर गए थे.एविएशन इंडस्ट्री में तेजी से वृद्धि
रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि भारत में एविएशन इंडस्ट्री तेजी से बढ़ रहा है. जहां 2014 में 74 हवाई अड्डे थे, वहीं अब 2022 तक 147 हवाई अड्डे हो चुके हैं और 2024-25 तक 220 हवाई अड्डों का लक्ष्य है. इस वृद्धि के साथ-साथ सुरक्षा और दुर्घटना जांच के लिए वित्तीय संसाधनों का भी उतना ही विस्तार होना चाहिए, ताकि नौसिखिया और बड़े हवाई अड्डों पर सुरक्षा बनाए रखी जा सके.
मुख्य निकायों में कर्मचारियों की कमी
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि प्रमुख हवाई क्षेत्र निगरानी और सुरक्षा निकायों में कर्मचारियों की भारी कमी है. DGCA में 53%, BCAS में 35% और AAI में 17% पद खाली हैं. इससे यह साफ होता है कि न केवल संसाधन, बल्कि कर्मचारी भी पर्याप्त नहीं हैं, जो एयरपोर्ट्स और हवाई सुरक्षा की स्थिति को संभाल सकें.
क्या सरकार इसे गंभीरता से लेगी?
यह रिपोर्ट भारत में हवाई सुरक्षा और दुर्घटना जांच के ढांचे में सुधार की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित करती है. अब यह देखना होगा कि क्या सरकार इन महत्वपूर्ण मुद्दों पर सिद्धांत से ज्यादा कार्यवाही करती है और बजट आवंटन को बढ़ाती है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके.
