रायपुर / ऋतुराज वैष्णव /
नान घोटाले के बाद ईओडब्लू के आईजी एसआरपी कल्लूरी अब ई-टेंडर घोटाले की भी जांच करेंगे। कैग की रिपोर्ट में साढ़े चार हजार करोड़ रुपए के इस घोटाले का खुलासा हुआ था।
सीएजी की रिपोर्ट में ई-टेंडरिंग घोटाले को लेकर राज्य सरकार ने संशोधित आदेश जारी किया है। CAG रिपोर्ट में ई-टेंडरिंग घोटाले में करोड़ों की अनियमितता उजागर होने के बाद राज्य सरकार ने ईओडब्ल्यू को जांच का जिम्मा सौंपा है। आज इस मामले में राज्य सरकार ने जांच का संशोधित आदेश जारी कर दिया है। 3 माह में जांच पूरी कर रिपोर्ट देने को कहा गया है।
कैग की आडिट रिपोर्ट के मुताबिक 17 विभागों के अधिकारियों के जिन 74 कंप्यूटरों से टेंडर निकाले गए, उन्हीं कंप्यूटरों से टेंडर भी भरे गए। ऐसा 1921 टेंडर में हुआ। यानी कि 4601 करोड़ के टेंडर अधिकारियों के कंप्यूटर से भरे गए। नवंबर 2015 से मार्च 2017 के बीच 1459 टेंडरर्स के लिए एक ही ई-मेल आईडी का 235 बार इस्तेमाल हुआ। जबकि सभी के लिए यूनिक आईडी देने का प्रावधान था। कैग की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 10 लाख से 20 लाख के 108 करोड़ के टेंडर ऑनलाइन जारी न कर मैन्युअली जारी किये गए। कैग की रिपोर्ट में चिप्स की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर सवाल उठाए गए थे। कहा गया कि चिप्स ने ई-टेंडर को सुरक्षित बनाने के लिए पर्याप्त उपाय नहीं किए। टेंडर के लिए 79 ठेकेदारों ने दो पैन नंबर का इस्तेमाल किया। एक पैन पीडब्लूडी में रजिस्ट्रेशन और दूसरा ई-प्रोक्योरमेंट के लिए। ये आईटी एक्ट की धारा 1961 का उल्लंघन है। टेंडर से पहले टेंडर डालने वाले और टेंडर की प्रक्रिया में शामिल अधिकारी, एक दूसरे के संपर्क में थे।