
बेंगलुरु: कर्नाटक की राजधानी स्थित परप्पना अग्रहारा केंद्रीय जेल से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने लश्कर-ए-तैयबा के एक कैदी को मदद पहुंचाने के आरोप में तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। इनमें जेल का एक मनोचिकित्सक, एक पुलिस अधिकारी और एक महिला शामिल हैं।
गिरफ्तार किए गए आरोपियों में डॉ. नागराज एस (जेल मनोचिकित्सक), चान पाशा (सिटी आर्म्ड रिजर्व के सहायक उप-निरीक्षक) और अनीस फातिमा (फरार आरोपी जुनैद अहमद की मां) के नाम शामिल हैं। इन तीनों पर जेल में बंद लश्कर-ए-तैयबा के ऑपरेटिव थडियंटाविद नसीर को रसद और संचार सहायता देने का आरोप है।
एनआईए के मुताबिक, एएसआई पाशा ने आतंकी की पुलिस एस्कॉर्ट व्यवस्था से जुड़ी गोपनीय जानकारियां बाहरी नेटवर्क को लीक कीं और इसके बदले आर्थिक लाभ लिया। वहीं, डॉ. नागराज पर आरोप है कि उन्होंने जेल के अंदर अपने पद का दुरुपयोग कर नसीर को मोबाइल फोन मुहैया कराया, जिनका इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों के लिए किया गया।
एजेंसी का कहना है कि इस मोबाइल तस्करी में पवित्रा नाम की एक महिला की भूमिका भी हो सकती है। जांच एजेंसी को शक है कि इन लोगों की मिलीभगत से जेल के अंदर से भी लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े ऑपरेशन जारी रखे गए।
बेंगलुरु जेल में आतंकी को मदद मिलने का यह मामला सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक बड़ा अलार्म है। एनआईए ने तीनों आरोपियों की 6 दिन की हिरासत ली है और आगे की जांच तेज़ कर दी गई है।