सिमडेगा / देश के अलग-अलग राज्यों में 3 करोड़ राशन कार्ड निरस्त कर दिए गए। क्योंकि वे आधार से लिंक नहीं थे। मामला सुप्रीम कोर्ट में भी गया है और देश की शीर्ष अदालत ने भारत सरकार से इस मसले पर जवाब तलब किया है। सुप्रीम कोर्ट ने आधार से लिंक नहीं होने पर तीन करोड़ से अधिक राशन कार्ड को रद्द करने को गंभीर मसला बताया है। शीर्ष अदालत ने बुधवार को मामले से संबंधित याचिका पर केंद्र और राज्य सरकारों को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है।
याचिका में दावा किया गया है कि राशन कार्ड निरस्त होने से लोगों को राशन नहीं मिल रहा है और भूख से लोगों की मौत हो रही है। यह याचिका झारखंड के सिमडेगा की कोली देवी नामक महिला ने दायर की है, जिसकी 11 साल की बेटी संतोषी की 28 सितंबर, 2017 को कथित भूख से मौत हो गई थी।
चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि यह मामला काफी गंभीर है। हमें इस पर सुनवाई करनी होगी। वर्ष 2018 से लंबित इस याचिका पर पीठ ने चार हफ्ते में जवाब देने को कहा है। पीठ ने केंद्र सरकार से यह भी कहा है कि इस याचिका को गलत तरीके से नहीं लिया जाना चाहिए।
याचिकाकर्ता के वकील कॉलिन गोंजाल्विस ने पीठ के समक्ष कहा कि लगभग तीन करोड़ राशन कार्ड केंद्र सरकार के स्तर पर, जबकि पांच से 10 लाख सभी राज्यों के स्तर पर निरस्त हुए हैं। गोंजाल्विस ने कहा कि जनजातीय इलाकों में अंगुलियों के निशान या आंखों की पुतली वाले स्कैनर काम नहीं करते। बायोमेट्रिक तरीके से पहचान न होने से राशन कार्ड निरस्त किए गए हैं।