
भोपाल: मध्य प्रदेश में 230 करोड़ का अजीबों गरीब वेतन घोटाला सामने आया है। इस घोटाले के उजागर होने के बाद प्रशासनिक हलकों में गहमा-गहमी है। वित्त विभाग भी परेशान बताया जा रहा है, उसने भी मामले की खोजबीन शुरू कर दी है। दरअसल, राज्य में लगभग 50,000 सरकारी कर्मचारियों को पिछले 6 महीनों से वेतन नहीं मिला है। जानकारी के मुताबिक एमपी के विभिन्न कर्मियों को लगभग 9 फीसदी हिस्से की सैलरी और भत्तों का ना दिया जाना जांच के दायरे में बताया जा रहा है। इस समस्या ने अब बड़े घोटाले का रूप ले लिया है। प्रशासनिक गलियारों में इसे अब तक का सबसे बड़ा सैलरी स्कैम माना जा रहा है।

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने मामले की जांच के निर्देश दिए है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक जिन कर्मचारियों को सैलरी नहीं दी गई उनके नाम सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज हैं। उनके नाम और कर्मचारी कोड का ब्यौरा सरकारी रिकॉर्ड में स्पष्ट किया गया है। इसमें पिछले साल दिसंबर से वेतन के भुगतान का कोई रिकॉर्ड नहीं है, इतने अधिक लगभग 50 हज़ार कर्मचारियों की सैलरी किन कारणों से जारी नहीं की गई ? इसकी भी कोई जानकारी विभाग के पास नहीं है।

प्रशासनिक सूत्रों के मुताबिक पूरा मामला जांच के दायरे में है। सरकारी रिकॉर्ड में यह भी स्पष्ट नहीं है कि किस वजह से वेतन भत्तों के भुगतान लंबित है। लिहाजा क्या ये कर्मचारी अनपेड लीव पर हैं? क्या इन्हें निलंबित किया गया है? या ये महज़ फर्जीवाड़ा है ? यानी कागज़ों पर ही तो इनकी नियुक्ति नहीं की गई थी ? असल में विभाग ने 23 मई को आयुक्त कोषागार एवं लेखा (CTA) ने सभी ड्रॉइंग एंड डिसबर्सिंग ऑफिसर्स (DDO) को लेटर भेजा था। इस लेटर में कर्मचारियों के वेतन में फर्जीवाड़े की जानकारी सामने आई थी।

विभागीय तौर पर इसकी जांच के निर्देश दिए गए थे। अभी पूरी जांच रिपोर्ट नहीं आई है कि कई चौंकाने वाली जानकारियां सामने आ रही है। जानकारी के मुताबिक IFMIS के अंतर्गत रेगुलर/नॉन रेगुलर कर्मचारियों का डेटा, जिनका वेतन दिसंबर 2024 से नहीं निकाला गया है। हालांकि कर्मचारी कोड मौजूद हैं, लेकिन IFMIS में उनका वेरिफिकेशन अधूरा है, और एग्जिट प्रोसेस भी नहीं किया गया है। इस लेटर के बाद, 6,000 से ज्यादा DDO जांच के दायरे में हैं और उनसे 15 दिनों में संभावित 230 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के बारे में स्पष्टीकरण देने को कहा गया है। इसकी समय-सीमा भी आज समाप्त हो गया है।

एक जानकारी के मुताबिक 50 में से 40 हजार रेगुलर स्टाफ में भी गोलमाल के आसार है। रिपोर्ट के मुताबिक जिन 50 हजार कर्मचारियों को सैलरी नहीं मिली है उनमें 40 हजार रेगुलर स्टाफ है जबकि 10 हजार अस्थाई कर्मचारी है। विभागीय सूत्र तस्दीक कर रहे है कि इन सभी कर्मियों का वेतन मिलाकर 230 करोड़ रुपए का आंकड़ा पार कर चूका है। यह रकम पिछले 6 महीनों से स्वीकृति के इंतजार में है। जबकि वेतन भत्ते ना मिलने पर कर्मचारियों और उनके संगठनों ने ना तो कोई शोरगुल किया है, और ना ही वेतन भत्तों की मांग को लेकर कोई धरना प्रदर्शन की चेतावनी दी गई है। ऐसे में प्रदेश में एक बड़े घोटाले की सुगबुगाहट तेज हो गई है।