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औरंगाबाद रेल हादसे में 16 मजदूरों की मौत , घर वापसी की आस में रेल की पटरी पर थम गई मजदूरों की सांस , शिवराज सिंह चौहान ने किया मुआवजे का ऐलान , 36 किलोमीटर पैदल चलने के बाद आराम के लिए रुके थे मजदूर, रौंद कर चली गई मालगाड़ी 

औरंगाबाद वेब डेस्क / कोरोना वायरस संकट और लॉकडाउन की वजह से देश के अलग-अलग जगहों पर प्रवासी मजदूर फंसे हुए हैं। हर कोई अपने घर आने को बेताब है। मगर महाराष्ट्र के औरंगाबाद में इन मजदूरों को कहां पता था कि घर वापसी की उनकी आस रेल की पटरी पर ही दम तोड़ देगी। दरअसल, महाराष्ट्र के औरंगाबाद में एक दर्दनाक हादसा हुआ है, जहां पटरी पर सो रहे मजदूरों को एक मालगाड़ी ने रौंद डाला। इस हादसे में करीब 16 प्रवासी मजदूरों की मौत हो गई है और करीब 5 घायल हो गए हैं। 

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह हादसा सुबह 6 बजे के करीब हुआ है, जब पैदल घर लौट रहे प्रवासी मजदूर रेलवे ट्रैक पर ही सो रहे थे। तभी अचानक उनके ऊपर से मालगाड़ी गुजर गई। सुबह के वक्त गहरी नींद में होने की वजह से किसी को भी संभलने का मौका नहीं मिला और घर वापस लौटने की उम्मीद उनकी वहीं टूट गई। हादसा औरंगाबाद के जालना रेलवे लाइन के पास हुआ है। मृतक प्रवासी मजदूर मध्य प्रदेश के बताए जा रहे हैं। ये सभी अपने घर पैदल जा रहे थे और आराम करने के लिए पटरी पर ही सो रहे थे। 

सांकेतिक तस्वीर 

भारतीय रेलवे की ओर से जारी प्रेस रिलीज़ के मुताबिक, जिन मजदूरों की मौत हुई है, वो सभी मध्य प्रदेश के रहने वाले थे और महाराष्ट्र के जालना में एसआरजी कंपनी में कार्यरत थे | 5 मई को इन सभी मजदूरों ने जालना से अपना सफर शुरू किया, पहले ये सभी सड़क के रास्ते आ रहे थे लेकिन औरंगाबाद के पास आते हुए इन्होंने रेलवे ट्रैक के साथ चलना शुरू किया | 

करीब 36 किमी. तक पैदल चलने के बाद जब सभी मजदूर थक गए थे, तो ट्रैक के पास ही आराम के लिए लेट गए और वहां ही सो गए | इनमें से 16 लोग ट्रैक पर सोए, 2 बराबर में और बाकी तीन कुछ दूरी पर सोए | इन्हीं में से 16 की मौत हो गई है, बाकी जो घायल हैं उन्हें अस्पताल पहुंचाया गया है | 

 हादसे के बाद अब रेल मंत्रालय की ओर से जांच के आदेश दिए गए हैं, जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हादसे पर दुख व्यक्त किया है |  मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सभी मृतकों के परिजनों को 5-5 लाख रुपये का मुआवजा देने का ऐलान किया है, साथ ही घायलों के इलाज पर नज़र रखी जा रही है | 

गौैरतलब है कि कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए सरकार ने मार्च महीने के अंतिम दिनों में लॉकडाउन का ऐलान किया था। इसके बाद लाखों की संख्या में प्रवासी मजदूर विभिन्न राज्यों में जहां-तहां फंस गए थे। इसके बाद कई मजदूर पैदल ही घर के लिए निकल गए। हालांकि, तीसरे चरण का लॉकडाउन घोषित होने के बाद केंद्र सरकार ने मजदूरों को उनके गृह राज्य पहुंचाने के लिए ट्रेनों का संचालन शुरू किया है। रेलवे अभी तक एक लाख से भी ज्यादा मजदूरों को उनके घर तक पहुंचा चुकी है।

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