भोपाल / मध्य प्रदेश में कई ऐसे सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी है , जहां छात्रों की संख्या हजारों में है | वही ऐसे हजारों स्कूल है , जहां छात्रों का टोटा है ,लेकिन शिक्षकों की भरमार है | दिलचस्प बात यह है कि 200 के लगभग ऐसे स्कूल है जहां एक भी छात्र नहीं है | लेकिन शिक्षकों की संख्या पर्याप्त है | इस स्थिति के चलते ज्यादातर ऐसे स्कूलों में शिक्षक टाइम पास करने स्कूल आ रहे है | वे हाथ पर हाथ धरे खाली बैठे रहते है | सरकारी स्कूलों की सुध नहीं लेने के चलते राज्य में उनकी स्थिति बद से बदतर होती जा रही है |
दूसरी ओर स्कूलों में छात्रों की पढाई की ओर सरकार का ध्यान नहीं होने से सरकारी स्कूलों के प्रति बच्चों का रुझान कम होता जा रहा है | इन स्कूलों में छात्रों की घटती संख्या, सीमित संसाधन और खराब शैक्षणिक व्यवस्था के चलते कई स्कूल ठप्प हो गए है | उन्हें बंद करने की नौबत आ गई है | सरकार के स्कूली शिक्षा विभाग के अंतर्गत आने वाले राज्य शिक्षा केंद्र के सर्वे के मुताबिक प्रदेश के करीब 13 हजार स्कूल बंद होने की कगार पर हैं| इनमें से 200 के करीब स्कूल तो ऐसे हैं जिसमें एक भी छात्र नहीं पढ़ता | ऐसे में सरकारी स्कूलों के प्रति बच्चों को आकर्षित करने के बजाए सरकार ने उन्हें बंद करने का प्रस्ताव तैयार किया है |
एक रिपोर्ट के मुताबिक बीते सत्र में सरकारी स्कूल में जाने वाले बच्चे घटे हैं जबकि प्राइवेट स्कूलों में जाने वाले बच्चों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है| सरकार के शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार इस पर निराशा जताते हैं लेकिन वो मानते हैं कि इसका हल उनके पास भी नहीं है | उनके मुताबिक प्रदेश में सरकारी स्कूलों की बिगड़ती स्थिति से सभी वाकिफ हैं| लगातार बढ़ते प्राइवेट स्कूलों के दबदबे के बीच हजारों सरकारी स्कूल बंद होने की कगार पर पहुंच गए हैं| बीते सालों में कई सरकारें आईं और गईं लेकिन सरकारी स्कूलों की स्थिति नहीं सुधरी बल्कि बदतर होती गई| अब हाल ये है कि हजारों सरकारी स्कूल बंदी की कगार पर हैं |
प्रदेश सरकार के स्कूली शिक्षा विभाग के राज्य शिक्षा केंद्र ने ऐसे कई स्कूलों को बंद करने का प्लान तैयार किया है और इसे लेकर सर्वे किया जा रहा है | प्रारंभिक जानकारी के मुताबिक करीब 12,876 स्कूलों को बंद करने की योजना पर तेजी से काम चल रहा है | राज्य सरकार का तर्क है कि बच्चों की संख्या लगातार कम हो रही है और जिन स्कूलों में 20 से कम बच्चे हैं उन्हें चलाने से कोई लाभ नहीं है क्योंकि संसाधन लगातार खर्च हो रहे हैं |ऐसे ही प्राइमरी स्कूल में 40 बच्चों से कम होने पर उसे बंद करने पर विचार किया जा रहा है| शिक्षा अधिकारियों के मुताबिक ऐसे स्कूल में पढ़ रहे बच्चों और शिक्षकों को पास के स्कूल में शिफ्ट कर दिया जाएगा |
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दरअसल कोरोना काल के चलते भी सरकारी स्कूलों में दाखिला लेने वाले बच्चों की संख्या में तेजी से कमी आई है | हालांकि हर साल प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या लगातार बढ़ रही है | वही सरकारी स्कूलों पढ़ने वाले बच्चों की संख्या में लगातार गिरावट आ रही है | ज्यादातर अभिभावकों का मानना है कि प्रदेश सरकार ने स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था की ओर ध्यान नहीं दिया | नतीजतन निजी स्कूलों को सीधा फायदा पहुंचने लगा |