इस आईएएस के सीक्रेट बंगले से 12 करोड़ बरामद, नोट गिनने रतजगा, 4 मशीन 8 घंटे तक उगलती रही कैश, नौकरशाही की लूटमार पर ED की छापेमारी, जनता हैरान, मुख्यमंत्री ने किया बर्खास्त….

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दिल्ली/पटना: देश के विकास में आल इंडिया सर्विस की महत्वपूर्ण भूमिका है। लेकिन आईएएस,आईपीएस और इसी संवर्ग के भारतीय प्रशासनिक सेवा के कई अधिकारी इन दिनों सरकारी तिजोरी पर कुछ ज्यादा ही हाथ साफ़ कर रहे है। आमतौर पर आल इंडिया सर्विस के अधिकारियों से जनता ईमानदारी की अपेक्षा करती है। लेकिन मौजूदा दौर में केंद्र और राज्य सरकार के अंश से संचालित कई महत्वपूर्ण योजनाओं को अमली जामा पहनाने में आईएएस अधिकारियों का गोलमाल जोरो पर है। उनके प्रभार वाले विभागों में करोड़ों का कमीशन आम खेल हो गया है। इसके लिए सरकारी धन की कमी आड़े भी नहीं आ रही है। दरअसल, समय-सीमा के भीतर योजनाओं की प्रगति की समीक्षा भी की जा रही है। लिहाजा, सरकारी तिजोरी से धन बरस रहा है और प्रभावशील नौकरशाही धन कुबेरों के समुदाय में शामिल हो गई है।

सेवा की आड़ में मेवा लूटने की अंधी दौड़ में वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों का शामिल हो जाना विकास की तेज गति के लिए घातक साबित हो रहा है। नौकरशाही का एक धड़ा कार्यों की गुणवत्ता के बजाय ‘माल’ पीटने में लगा है। ताजा मामला बिहार की राजधानी पटना का है। यहाँ एक सीक्रेट हाउस में ED की छापेमारी से सनसनी है।एजेंसियों ने जिस ठिकाने पर दबिश दी है, वो एक बड़े सरकारी इंजिनियर का बंगला है, ये अधिकारी चंद वर्षों में निर्मित ‘धनकुबेर’ बताया जाता है। ED की टीम रातभर उसके ठिकाने पर नोट गिनते रही। आखिरकार सुबह 6 बजे तक 11.64 करोड़ रुपये कैश गिनने के बाद जब्त किए गए। इस कार्य में पूरी रात बीत गई। नोट गिनने की 4 मशीनें पूरे 8 घंटे तक निर्माण की गुणवत्ता का सच उगलते रही।

सरकारी इंजिनियर

छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री बघेल के ठिकाने में ED की छापेमारी की तर्ज पर पटना में भी एक आईएएस के बंगले पर नोट गिनने की मशीने बुलवाई गई थी। साहब के इस ठिकाने पर नोट गिनने रतजगा चलता रहा। कई अधिकारियों ने इस गिनती में हिस्सा लिया। उनके हाथ भी नोटों को इधर से उधर रखने में जवाब देने लगे थे। कमरे में नोटों का पहाड़ देखकर लोग हैरत में पड़ गए। बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के घर पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने छापेमारी की है। इस अधिकारी का नाम संजीव हंस बताया जाता है। वे 1997 बैच के आईएएस है। उनके घर से अभूतपूर्व मात्रा में कैश बरामद हुआ है। एक अधिकारी के अनुसार, कैश इतनी बड़ा था कि चार काउंटिंग मशीन लगानी पड़ीं, जो आठ घंटे से ज्यादा समय तक लगातार चलती रही। उन्होंने बताया कि पटना के पूर्णेंदु नगर में भवन निर्माण विभाग के चीफ इंजीनियर के घर पर सुबह-सुबह छापेमारी शुरू की गई थी। सूत्र तस्दीक करते है कि यह छापेमारी आईएएस अधिकारी संजीव हंस से जुड़ी जांच का हिस्सा है।

सूत्रों के अनुसार, ED को कई अधिकारियों की बेनामी संपत्ति और अवैध लेन-देन से जुड़ी बड़ी खुफिया जानकारी मिली थी। इस दौरान सर्चिंग टीम को पटना में स्थित एक सीक्रेट बंगले में कथित तौर पर करोड़ों रुपये दिखाई दिए। इस बंगले के कई कमरों में रखे नोटों की गड्डियां देखकर अधिकारियों के होश उड़ गए। फ़ौरन इसकी सूचना मुख्यालय को दी गई। एक रिपोर्ट के मुताबिक, ईडी अधिकारियों ने बिहार सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों से जुड़े कई ठिकानों पर छापेमारी की है। इस दौरान 11.64 करोड़ रुपये कैश जब्त किया गया है। बताते है कि आईएएस अधिकारी संजीव हंस के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले में नए सबूत मिलने के बाद विवेचना की जा रही थी। संजीव हंस के ठिकानों पर ED पूर्व में भी छापेमारी कर चुकी है। उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में हिरासत में लिया गया था।

वर्तमान में हंस पटना के बेउर सेंट्रल जेल में न्यायिक हिरासत में है। ताजा छापेमारी में करोड़ों की रकम मिलने के बाद कल देर रात मुख्यमंत्री नितीश कुमार ने आरोपी आईएएस को निलंबित करने के बजाय सीधे बर्खास्त करने का निर्देश दिया। ED के एक बयान में खुलासा किया गया है कि कार्रवाई के दौरान 11.64 करोड़ रुपये कैश जब्त किए गए। इसके साथ ही अधिकारियों के बीच रिश्वत के पैसे के डिटेल्स और अन्य आपत्तिजनक सबूतों का डिटेल्स देने वाले दस्तावेज भी जब्त किए गए है। हालांकि, एजेंसी ने छापेमारी की जद में आये प्रत्येक अधिकारी से बरामद राशि के बारे में डिटेल्स नहीं दिया है। संजीव हंस के खिलाफ मामला पिछले साल बिहार पुलिस की स्पेशल विजिलेंस यूनिट में दर्ज किया गया था। हंस ने आखिरी बार राज्य ऊर्जा विभाग के प्रमुख सचिव के रूप में काम किया था। बाद में उनको गिरफ्तार कर लिया गया।

जांचकर्ताओं द्वारा उनके खिलाफ पुख्ता सबूत मिलने के बाद उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। उन पर गैरकानूनी तरीकों से बेहिसाब संपत्ति जमा करने का आरोप है। ED 2018 से 2023 तक विभिन्न विभागों में उनकी पोस्टिंग की जांच कर रहा है। एजेंसियों के अधिकारियों ने बताया कि पटना में सात ठिकानों पर छापेमारी की गई थी। इसमें बिहार भवन निर्माण विभाग के चीफ इंजीनियर तारणी दास का आवास भी शामिल है। जबकि वित्त विभाग में संयुक्त सचिव मुमुक्षु चौधरी और शहरी विकास एवं आवास विभाग में एग्जीक्यूटिव इंजीनियर उमेश कुमार सिंह सहित अन्य के ठिकानों पर भी छापेमारी की गई है। केंद्रीय जांच एजेंसी द्वारा जारी एक बयान के मुताबिक BUIDCO के डिप्टी प्रोजेक्ट डायरेक्टर अयाज अहमद, बीएमएसआईसीएल में डीजीएम (प्रोजेक्ट्स) सागर जायसवाल, बीएमएसआईसीएल में डीजीएम विकास झा के ठिकानों पर भी छापेमारी की गई थी। सूत्रों ने बताया कि इन अधिकारियों पर पटना स्थित ठेकेदार रिशु श्री सहित विभिन्न ठेकेदारों के लिए कॉन्ट्रैक्ट में पक्षपात के बदले रिश्वत के पैसे लेने का आरोप है।