
नई दिल्ली/रायपुर: केंद्र में पीएम मोदी की नेतृत्व वाली NDA सरकार ने 11 वर्ष पूरे कर लिए है। इस दौर में पीएम नरेंद्र मोदी भारत के सबसे विश्वसनीय ब्रांड बन गए है। उनकी नेतृत्वशीलता ने देश को नया आयाम दिया है, अब भारत पहले वाला नहीं, बल्कि घर में घुस कर मुँह तोड़ जवाब देने वाला देश बन गया है। मोदी के कई फैसलों से देश की दशा और दिशा बदली है। कहानी छत्तीसगढ़ की, कम दिलचस्प नहीं है। प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह ने अपने पूरे 3 चरण के कार्यकाल में लगभग 85 हज़ार करोड़ का ऋण लेकर विकास योजनाओ को अंतिम रूप दिया था।डॉ. रमन सिंह ने वर्ष 2003 से लेकर 2018 तक 15 वर्षों के कार्यकाल में मौजूदा छत्तीसगढ़ को विकास की नई राह प्रदान की।

सरकारी योजनाओं को मूर्त रूप देने के साथ-साथ सड़कों, फ्लाई ओवर के अलावा औद्योगिक वातावरण तैयार करने की आधारशिला रखने में यह रकम खर्च की गई थी। जबकि कांग्रेस के नेतृत्व वाली भूपे सरकार ने मात्र 5 वर्ष के कार्यकाल में 85 हज़ार करोड़ से ज्यादा की रकम खर्च कर दी। इतनी मोटी रकम आखिर कहाँ व्यय की गई ? इस रकम से क्या-क्या कार्य कराये गए ? यह खोज का विषय है। अलबत्ता, वर्ष 2023 में एक बार फिर जनता ने बीजेपी को प्रदेश में सत्तारूढ़ कर दिया। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में बीजेपी फिर एक नई इबारत लिख रही है, उसका पार्टी घोषणा पत्र अमली जामा पहन रहा है, प्रदेश के तमाम दिग्गज नेता पीएम मोदी के साथ कन्धा से कन्धा मिलाकर नई मिसाल पेश कर रहे है।

डॉ. रमन सिंह के बाद मुख्यमंत्री की कुर्सी पर काबिज विष्णुदेव साय ने प्रदेश के मौजूदा इंफ्रास्ट्रक्चर को विकसित करने का बीड़ा उठाया है। पहली बार मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी संभाल रहे विष्णुदेव साय और पीएम मोदी के बीच लगातार संवाद जारी है। पीएम मोदी छत्तीसगढ़ की करवट बदलती राजनीति से लेकर विकास के मामलों को गंभीरता से ले रहे है। राजनीति के जानकारों के मुताबिक नक्सलवाद मुक्त छत्तीसगढ़, मोदी सरकार की सबसे बड़ी देन बताई जा रही है। हालांकि देश की मुख्य धारा से जुड़ने वाले बस्तर संभाग में खनिज सम्पदा को लेकर राज्य सरकार का रुख किस दिशा की ओर अग्रसर रहेगा ? यह तो वक़्त ही बताएगा। लेकिन अमीर प्रदेश के गरीब लोगों को संपन्न बनाने के लिए प्रदेश के नेताओं और पीएम मोदी के बीच लगातार संवाद रचनात्मक मोड़ पर है।

ज्यादातर नेताओं को मोदी खुश करके ही भेज रहे है। कई बड़ी योजनाओं को मंजूरी देने के बाद उसकी सुध लेना पीएम मोदी नहीं भूलते। उनका यह अंदाज प्रदेश के नेताओं को भुलाए नहीं भूलता। केंद्र में नरेंद्र मोदी की तीसरी सरकार का एक साल पूरा हो गया है और बतौर प्रधानमंत्री, नरेंद्र मोदी ने 11 साल का सफर तय कर लिया है. इस दौरान मोदी सरकार ने कई ऐसे फैसले लिए, जो भारतीय राजनीति में मील का पत्थर साबित हुए है। 2014 से देश को नरेंद्र मोदी के रूप में बीजेपी का एक करिश्माई नेता मिला है। उनकी शान में पार्टी ने कई नारे गढ़े है। ये नारे मोदी की नेतृत्वशीलता और केंद्र सरकार की सक्रिय भूमिका को ध्यान में रखकर गढ़े गए, चुनाव में हर-हर मोदी, घर-घर मोदी के नारे ने धूम मचा दी थी। इसके बाद ऑपरेशन सिन्दूर में सरहद से लेकर गांव-कस्बों तक मोदी ही मोदी नजर आये।

उनकी एक के बाद एक सफलता ने देश के सबसे दमदार और भरोसेमंद ब्रांड के रूम में अपने नाम को तब्दील कर लिया है। हालांकि पीएम मोदी इस मुकाम के लिए पार्टी का नमन करना नहीं भूलते। वो इसे बीजेपी की ही देन बताते है। ‘मोदी लहर’ के सहारे ही बीजेपी देश की सत्ता में तीसरी बार विराजमान हुई है, इसके बाद कांग्रेस समेत कई क्षेत्रीय दलों को सिमटाते हुए बीजेपी ने गैर हिंदी राज्यों में भी विजय पताका फहराई। देश के ज्यादातर राज्यों में बीजेपी और उसके समर्थक दलों की सरकार है। उनके चुनावी दौरे और प्रचार-प्रसार की अलग ही बानगी नजर आती है। ऑपरेशन सिन्दूर के बाद पीएम मोदी भारत ही नहीं बल्कि दुनियाभर में ताकतवर राजनेता बनकर उभरे हैं.

देश-विदेश में मोदी के नाम का डंका बज रहा है. अमेरिका, चीन जैसे देशों से मुकाबला करने के लिए आज का भारत सक्षम बताया जाता है। इसके साथ ही अंतर्राष्ट्रीय बाजार और देशी सियासत में पीएम नरेंद्र मोदी एक ब्रांड बनकर उभरे हैं। उनकी बेमिसाल राजनैतिक सूझबूझ से देश के 70 फीसदी हिस्से में भगवा रंग चढ़ गया है। इन राज्यों में मोदी ब्रांड की बदौलत ही बीजेपी ने सत्ता की चाबी पर अपनी पकड़ मजबूत बना ली है। राजनीति के जानकारों के मुताबिक पिछले 11 सालों में इंटरनेशनल मीडिया से लेकर ग्लोबल प्लेटफॉर्म और सोशल मीडिया में हर जगह ‘ब्रांड मोदी’ अपना जलवा बिखेर रहा है। इस ब्रांड की मजबूती और चमक बनाए रखने के लिए केंद्रीय मंत्री मंडल से लेकर राज्यों तक के नेता मोदी से काफी सचेत रहते है। प्रदेशों में सियासी समीकरण और विकास योजनाओं की बखूबी जानकारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कों होती है।

उनकी बातचीत का अंदाज हो या वेशभूषा दोनों को लेकर राजनैतिक गलियारों में चर्चाएं आम होती है। छोटी-छोटी मेल मुलाकात और दौरों पर पीएम मोदी की सहजता, सजगता या फिर दोस्ताना अंदाज उनकी व्यवहार-कुशलता को जाहिर करता है। उनकी यह कला लोगों को सीख देती है, उनके जीवन के अनुभवों को निखारने में भी मददगार साबित हो रही है। बतौर प्रधानमंत्री पीएम मोदी पिछले 11 सालों में टीवी, रेडियो और सोशल मीडिया में छाए हुए है। उनकी लोकप्रियता दिनों-दिन नया रिकॉर्ड कायम कर रही है। देश में अब हर तरफ सिर्फ मोदी ही मोदी लोगों को नजर आ रहे है। फेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर उनके करोड़ों फॉलोअर सक्रियता के साथ जुड़े हुए हैं।

मोदी के नेतृत्व में बीजेपी लगातार तीन बार विपक्ष को पछाड़ने में कामयाब रही है। उसकी लहराती विजय पताका में टीम मोदी के कई मायने निकाले जाते हैं। उनके बैक ऑफिस में खेती किसानी से लेकर आधुनिक तकनीक के कई विशेषज्ञ कार्यरत बताये जाते है। 24X7 गतिशील पीएम मोदी की टीम ने ग्लोबल रूप ले लिया है। मोदी अब देश में ही नहीं बल्कि दुनिया में जाना-माना बड़ा ब्रांड बन गए हैं। हालांकि इस दौर में पीएम मोदी के सामने सबसे बड़ी चुनौती देश की अर्थव्यवस्था को चौथे नंबर पर लाने की है। 2047 मोदी के सपनों का भारत बताया जाता है।

बतौर प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट संदेश दिया कि वह शक्तिशाली नेतृत्व, भ्रष्टाचार-विहीन शासन, सामाजिक समावेश और राष्ट्रवाद के लिए खड़े हैं। निर्विवाद तौर पर देश के सबसे बड़े और मजबूत नेता के रूप में उनका सियासी कद नई उचाईयां तय कर रहा है। जबकि कई दिग्गज धुर विरोधी नेता उनकी छवि के सामने बौने लगने लगे हैं।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शब्दों का जादू लोगों के सिर पर चढ़कर बोलता है. ‘सबका साथ सबका विकास’, ‘अबकी बार मोदी सरकार’, देश का चौकीदार, न खाऊंगा न खाने दूंगा जैसे नारे मोदी समर्थकों के जुबान पर होते हैं। मोदी के नारे हिट और फिट रहे, इसने जनमत को सेट करने में नया ट्रेड सेट की शुरुआत की।

नोटबंदी, जीएसटी, राफेल की खरीदी और अंबानी-अडानी को मुद्दा बनाकर विरोधियों की उन्हें घेरने की कोशिशे अब तक परवान नहीं चढ़ पाई है। अलबत्ता, गैर-जरुरी हमलों को लेकर खुद विरोधियों के हाथों से सत्ता खिसकती चली गई। पीएम मोदी की रणनीति विपक्ष के लिए नुकसानदायक साबित हुई है। मोदी सरकार ने इन 11 वर्षों में गजब की नेतृत्वशीलता का परिचय दिया है। सबका साथ सबका विकास जैसे संदेशों के साथ एयर स्ट्राइक, सर्जिकल स्ट्राइक, नोटबंदी, उज्जवला योजना, जनधन, जीएसटी, CAA, NRC जैसे चुनावी मुद्दों ने लोगों को प्रभावित किया है। बीजेपी के अलावा NDA समर्थित दलों के बैनर, पोस्टर, पर्चों और बिल्लों में पीएम मोदी की तस्वीरों ने इस ब्रांड के प्रति लोगों की निष्ठा जाहिर की है।

गरीबी पर मोदी सरकार के फोकस ने उन्हें एक बड़े वर्ग का मसीहा बना दिया। गरीबों को लगने लगा है कि अब मोदी ही उनके रहनुमा है। वरिष्ठ पत्रकार सीमा भल्ला कहती है कि पीएम मोदी ने एक छोर पर विकास पर जोर दिया तो दूसरी ओर गरीबों की मुसीबतों को ध्यान में रखकर जनकल्याण योजनाएं शुरू कीं, इन्हे मकान,आवास, शौचालय, क्रेडिट और कुकिंग गैस जैसी बुनियादी व्यवस्था मजबूत हुई। सीमा भल्ला के मुताबिक ऐसी योजनाएं लागू कीं गई, जिनके जरिये सीधे लोगों के खातों में पैसा पहुंचने लगा।

यही नहीं, आयुष्मान भारत जैसी स्वास्थ्य बीमा योजना, पेंशन स्कीम्स और मुफ्त राशन जैसी पहल ने गरीब और मध्यम वर्ग को सीधा लाभ पहुंचाया। इन योजनाओं ने गरीबों के बीच भी मोदी को लोकप्रिय बना दिया। फ़िलहाल, छत्तीसगढ़ के पास प्रधानमंत्री के रूप में एक लोकप्रिय, करिश्माई और भरोसेमंद नेता केंद्र में मौजूद है। वो प्रदेश के नेताओं के साथ कंधे से कंधा मिलाकर विकसित छत्तीसगढ़ का सपना भी देख रहा है। इस तरह ‘ब्रांड मोदी’ आम जनता के बीच अपनी पकड़ मजबूत बनाने में कामयाब रहे है।