छत्तीसगढ़ में 108 संजीवनी एक्सप्रेस का संचालन वेंटिलेटर पर , जीवीके की 155 एंबुलेंस के पहिए जाम ,30 एंबुलेंस लचर हालत में ,नई कंपनी के सेटअप का अब तक कोई अता पता नहीं , मरीजों के जान जोखिम में  

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रायपुर | छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य विभाग के लचर रवैये से मरीजों की जान आफत में पड़ गई | दरअसल करार के अनुसार संजीवनी 108 का संचालन करने वाली नई कंपनी समय पर एंबुलेंस उपलब्ध नहीं करा पाई है | ना ही यह साफ हो पाया है कि करार के अनुसार कब वो इसका संचालन करेगी ? दूसरी ओर मरीजों की जान जोखिम में डालते हुए पुरानी जीवीके कंपनी को 31 दिसंबर  2019 तक स्वास्थ्य विभाग को थोप दिया गया है | नतीजतन छत्तीसगढ़ में 108 संजीवनी एक्सप्रेस का संचालन वेंटिलेटर पर आ गया है | स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही और विभागीय मंत्री टीएस सिंहदेव की निष्क्रिय कार्यप्रणाली के चलते सैकड़ो मरीजों की जान जोखिम है | बताया जाता है कि सक्रिय एंबुलेंस की संख्या में भारी कटौती के चलते मरीजों को एंबुलेंस के लिए घंटो इंतजार करना पड़ रहा है | एंबुलेंस की कमी से गंभीर रूप से घायल मरीजों की जान जोखिम में नजर आ रही है | लोगो की मांग है कि संजीवनी 108 एंबुलेंस के बेहतर संचालन के लिए नियमानुसार नए सिरे से टेंडर प्रक्रिया शुरू की जाए |  ताकि राज्य मरीजों को बेहतर गुणवत्ता और मापदंडो को पूरा करने वाली इमरजेंसी एंबुलेंस सेवा उपलब्ध हो सके |   


छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य विभाग का काम काज अभी तक पटरी में नहीं आ पाया है | हालांकि दावा किया जा रहा है कि स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव स्वास्थ्य सेवाओं को सुचारु रूप से बहाल करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे है | बावजूद इसके अफसरों की बेरुखी के चलते उन्हें आशानुरूप कामयाबी नहीं मिल पा रही है | मामला 108 संजीवनी एंबुलेंस के संचालन से जुड़ा है | प्राप्त जानकारी के अनुसार 14 अक्टूबर 2019 को 108 संजीवनी एंबुलेंस की सेवाए दे रही जीवीके कंपनी का करार समाप्त हो गया था | इस दिनांक से नई कंपनी जय अंबे इमरजेंसी सर्विस को कमान संभालनी थी | लेकिन अब  तक अनुबंधित कंपनी के ना तो कंट्रोल रूम का अता पता है और ना ही एंबुलेंस का | करार के अनुसार इमरजेंसी सेटअप कब तक उपलब्ध होगा इसका ब्यौरा ना तो स्वास्थ्य विभाग के आलाअफसरो के पास है और ना ही जय अंबे इमरजेंसी सर्विस के कर्ताधर्ता इस बारे में कुछ बताने की स्थिति में है | बताया जाता है कि स्वास्थ्य विभाग के अफसरों की व्यक्तिगत रूचि और अनुचित संरक्षण के चलते नई कंपनी जय अंबे इमरजेंसी सर्विस के खिलाफ कोई वैधानिक कार्रवाई नहीं की जा रही है | बताया जाता है कि कोयला ढोने के लिए डंपर और ऐसे ही भारी वाहनों का संचालन करने वाली इस कंपनी ने एक अन्य कंपनी से करार कर 108 संजीवनी एंबुलेंस के संचालन का ठेका तो प्राप्त कर लिया ,लेकिन अब इस क्षेत्र में अनुभव की कमी ना केवल मरीजों पर बल्कि स्वास्थ्य विभाग की मंशा पर भारी पड़ रही है | इस कंपनी द्वारा समय पर एंबुलेशन सेवाए उपलब्ध नहीं कराने के चलते स्वास्थ्य विभाग ने एक आदेश निकलते हुए जीवीके को आने वाले 45 दिन सेवाए जारी रखने को कहा है |  14 अक्टूबर 2019 को खत्म हो चुके उसके करार को 45 दिनों तक बढ़ाते हुए 31 दिसंबर 2019 तक यथावत सेवाए बहाल रखने का निर्देश दिया गया है | 


नियमानुसार नई कंपनी को करार के तय अनुबंध के तहत निर्धारित समय पर संजीवनी एंबुलेंस 108 का संचालन अपने हाथो में लेना था | बताया जाता है कि शर्तो के उल्लंघन की सूरत पर इस नई कंपनी का करार रद्द कर नए सिरे से टेंडर प्रक्रिया जारी कर सर्वोत्तम सेवाए देने वाली कंपनी को मौका दिया जाना चाहिए था | लेकिन स्वास्थ्य विभाग के अमले ने कई आरोपों से घिरी जीवीके कंपनी को एंबुलेंस संचालन की अवधि में 31 दिसंबर 2019 तक की बढ़ोत्तरी कर दी | कई मरीजों के परिजन अब भी आरोप लगा रहे है कि एंबुलेंस ड्राइवर घायलों को सरकारी अस्पताल ले जाने के बजाए प्राइवेट अस्पतालों में दाखिल करा रहे है | उधर जीवीके की ओर से प्रवक्ता शिबो कुमार का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग की ओर से 31 दिसंबर तक सेवाए जारी रखने का पत्र 8 नवंबर को प्राप्त हुआ है | लिहाजा वे सेवाए दे रहे है | 

बताया जाता है कि नई कंपनी जय अंबे इमरजेंसी सर्विस को लगभग तीन सौ एंबुलेंस प्रदेश भर के स्वास्थ्य केन्द्रो में उपलब्ध करानी थी | लेकिन इस कंपनी ने अब तक अपने सेटअप को अंतिम रूप नहीं दिया है | ना तो एंबुलेंस का कोई अता पता है और ना ही कंट्रोल रूम और स्टॉप का कोई ठिकाना | यह कंपनी अनुबंध के अनुसार कब अपनी सेवाए संचालित करेंगी ,यह तक साफ़ नहीं है | इस बारे में कंपनी का पक्ष जानने के लिए न्यूज़ टुडे छत्तीसगढ़ ने प्रोजेक्ट इंचार्ज धर्मेंद्र सिंह से संपर्क किया ,लेकिन कोई प्रति उत्तर नहीं मिला | उधर जीवीके द्वारा उपलब्ध कराई जा रही 108 सनजीवनी एंबुलेंस की 30 से ज्यादा एंबुलेंस काफी दयनीय हालत में है | जबकि 155  से अधिक एंबुलेंस के पहिए जाम है | करार ख़त्म होने के चलते इस कंपनी ने वाहनों की उपलब्धता और रखरखाव को लेकर कोई खास दिलचस्पी नहीं दिखाई | लिहाजा इसका सीधा असर सेवाओं पर पड़ा है | मरीजों को ना तो समय पर एंबुलेंस उपलब्ध हो पा रही है और ना ही गुणवत्ता वाली सेवाए , नतीजतन बाधित सेवाओं के चलते मरीजों की जान पर बन आई है | उधर विभागीय अफसरो की कार्यप्रणाली से साफ हो रहा है कि गंभीर मरीजों को जल्द से जल्द बेहतर स्वास्थ्य सेवाए उपलब्ध कराने में उन्हें कोई दिलचस्पी नहीं | ऐसी कार्यप्रणाली के चलते स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव की प्रशासनिक क्षमता पर भी सवालिया निशान लगने लगा है | सैकड़ो मरीज और उनके परिजनो के अलावा कई सामाजिक संगठनों ने घायल मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाए मुहैया कराने के लिए संजीवनी 108 एंबुलेंस का नए सिरे से टेंडर जारी करने की मांग की है |