गेंदालाल शुक्ला
कोरबा । खनन क्षेत्र में काम कर रही एसईसीएल ने कोरबा क्षेत्र में विस्तार की संभावनाएं तलाशी है । 1.35 लाख टन प्रतिवर्ष उत्पादन क्षमता वाली अंबिका परियोजना के लिए हुई जनसुनवाई इसी का हिस्सा रही । एसईसीएल के अधिकारियों की मौजूदगी में एडीएम नेपाल सिंह नैरोजी ने इस कार्यवाही को संपन्न कराया । अधिक संख्या में परियोजना क्षेत्र के लोग जन सुनवाई में शामिल हुए ।
प्रशासनिक जिले कोरबा में कटघोरा अनुभाग की पाली तहसील के अंतर्गत करतली पंचायत क्षेत्र में अंबिका खदान भविष्य में प्रारंभ होना है । एसईसीएल के बेड़े में एक खदान को और शामिल होने से उसका खनन क्षेत्र बढ़ेगा । औपचारिक कार्रवाई के अंतर्गत इस खदान के लिए 11 अक्टूबर को करतली में जनसुनवाई रखी गई । इसमें करतली और परियोजना के दायरे में आने वाले गांव के लोग शामिल हुए । एसईसीएल कोरबा क्षेत्र के अधिकारियों के साथ प्रशासन की ओर से एडीएम कोरबा नैरोजी, तहसीलदार पाली व पुलिस के अधिकारी की उपस्थिति मौके पर रही । जनसुनवाई के अनुभवों को ध्यान में रख यहां सभी प्रबंध किए गए । इस अवसर पर एसईसीएल ने प्रस्तावित परियोजना और इससे क्षेत्र को होने वाले लाभ की जानकारी दी । बताया गया कि यहां कोयला का दोहन होने से न केवल औद्योगिक जरूरतें पूरी होंगी, बल्कि इससे ग्रामीण क्षेत्र के लिए रोजगार का सृजन होगा , नई नौकरियां आयेंगी । व्यवसाय को गति मिलेगी और लोगों के जीवन स्तर को बेहतरी मिलेगी। लोगों ने कई सवाल किए और चिंता जताई । इस पर स्पष्ट किया गया कि खनन के साथ पर्यावरण मानक का पूरा ध्यान रखा जाएगा ।
कोरबा जिले में एसईसीएल द्वारा कोयला खनन का कार्य कोरबाए कुसमुंडा, गेवरा और दीपका विस्तार क्षेत्र की खदानों से किया जा रहा है । एसईसीएल का नाम कोल इंडिया के बड़े उत्पादक क्षेत्रों में शुमार है । एसईसीएल के कुल उत्पादन लक्ष्य का 60 फीसदी हिस्सा अकेले कोरबा जिले से पूरा होता है । इस लिहाज से कोरबा की भूमिका व्यापक है । पिछले वर्षों में अनेक क्षेत्रों में कोयला का भंडार मिलने के संकेत के आधार पर यहां का भू गर्भीय गवेषण एमईसीएल द्वारा किया गया । इसके परिणाम उत्साहजनक रहे । इस बारे में सरकार को रिपोर्ट दी गई । उक्तानुसार आगे का काम किया जाना है । कंपनी ने इस कड़ी में कोरबा क्षेत्र के अंतर्गत एक नई खदान खोलना तय कियाए जो अंबिका नाम से पहचानी जाएगी । याद रहे कोरबा क्षेत्र की सरायपाली परियोजना पर एसईसीएल अब तक करोड़ों रुपए खर्च कर चुका है। सर्वेक्षण और भूमि अधिग्रहण के बाद विस्थापितों को मुआवजा भी दे दिया गया । ओवरबर्डन हटाने के साथ कोयला के फेस तक कंपनी पहुंच गई । सभी को नौकरी के मुद्दे पर खनन अटका हुआ है |
