
महासमुंद | शासन-प्रशासन शादियों में खर्च कम करने के लिए जहां सामूहिक विवाह को बढावा दे रहा है, लेकिन समाज के ठेकेदार किस प्रकार समाजिक परंपराओं के नाम पर लोगों को परेशान करते हैं | इसकी बानगी हमें महासमुंद जिले में देखने को मिली है । दरअसल यहाँ एक परिवार ने आर्थिक तंगी के कारण अपने ही समाज के युवती के साथ सामाजिक रीति रिवाज के बजाए आर्यसमाज के मंदिर में जाकर शादी कर ली । लेकिन समाज के कुछ पदाधिकारियों ने तुगलकी फरमान सुनाते हुए 21 हजार का अर्थदण्ड व समाज को भोज कराने आदेश दिया है |
बता दें कि महासमुंद के तुमगांव नगर पंचायत के रहने वाले नागेश्वर निर्मलकर ने आर्थिक तंगी के कारण अपनी शादी समाज की युवती से 3 दिसंबर 2018 को आर्य समाज के मंदिर रायपुर में कर ली । उसके बाद रायपुर नगर निगम में शादी का पंजीयन भी करावा लिया । अब सात महीने बीत जाने के बाद 8 जून 2019 को समाज का चपरासी नागेश्वर के घर आता है और समाज के बैठक में बुलाये जाने की जानकारी देता है । नागेश्वर अपने पिता रमेश को लेकर सामाजिक बैठक में जाता है, जहाॅ कथित समाज के ठेकेदार नागेश्वर की शादी सामाजिक रीति रिवाज से नही करने एवं समाज को भोज नही देने के कारण अवैध बताते हुवे रमेश पर 21 हजार का अर्थ दण्ड व समाज के लोगों को भोज कराने का फैसला सुना देते हैं और इसके लिए परिवार को दो माह का समय देते हैं । गरीब परिवार जब अर्थदण्ड व समाज को भोज कराने में असमर्थता जाहिर करते हैं तो समाज के ठेकेदार रमेश के परिवार को समाज से बहिकृत कर देने की धमकी देते हैं । रमेश के द्वारा मिन्नत करने पर अर्थ दण्ड 21 हजार रूपये से घटाकर 16 हजार रूपये करने के बाद समाज के पदाधिकारी वहाॅ से चले जाते हैं ।
समाज के इस तुगलकी फरमान के बाद पीडित पक्ष अब न्याय की गुहार लगा रहा है, वहीं समाज के पदाधिकारी आरोपों को निराधार बताते हुए केवल भोज के लिए कहने की बात कह रहे हैं । मामले में एसपी का कहना है कि प्राथमिक जांच में अर्थदण्ड लगाना व बहिष्कृत करना सही पाये जाने पर समाज के आठ लोगों पर मामला पंजीबद्ध कर विवेचना की जा रही है ।