शराब के शौक़ीन फिर हुए मायूस , लोकप्रिय ब्रांडो के बजाए फिर घटिया ब्रांडो को मुहैया कराने में जुटा आबकारी विभाग |

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     छत्तीसगढ़ में शराब के शौकीनों के साथ फिर वही बदसलूकी हो रही  है , जो पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार के कार्यकाल में हुआ करती थी | बताया जा रहा है कि आबकारी अफसरों का एक गिरोह अब भी वही मोनोपली और घटिया शराब की ब्रिक्री पर जोर दे रहा है , जो पूर्ववर्ती बीजेपी  सरकार के ठेकेदारों और  पूर्व मंत्रियों के निर्देश पर क्रियान्वित होती थी | नई सरकार के गठन के बाद उसके हाव -भाव को देखते हुए दिसंबर माह में अचानक शराब के कई लोकप्रिय ब्रांड बाजार में आ गए थे  | लेकिन जैसे ही वो खत्म हुए दोबारा उसकी सप्लाई नहीं हुई | उसे रोकने के लिए आबकारी विभाग के कुछ अफसरों ने अपने स्वार्थो के मद्देनजर एक सॉप्टवेयर का दुरूपयोग करना शुरू कर दिया | ताकि लोकप्रिय ब्रांडो की खेप सरकारी दुकानों तक ना  पहुंच पाए  | बताया जा रहा है कि पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार के ठेकेदारों और आबकारी विभाग के कई अफसरों के  काले कारनामें आज भी पहले  की तरह दादागिरी के साथ संचालित हो रहे है | ये गिरोह अब भी पहले की तरह अनुचित लाभ कमाने में जुटा है | आबकारी विभाग के कर्ताधर्ता एक अफसर की दलील है कि शराब के शौकीनों को वही ब्रांड मुहैया कराए जाएंगे जो वो चाहते है  ना कि ग्राहकों की पसंद के अनुरूप | दरअसल इन दिनों शराब के शौक़ीन  एक बार फिर शिकायत कर रहे है कि ऊँचे दामों को चुकाने के बावजूद उन्हें मनपसंद ब्रांड की शराब मुहैया नहीं हो पा रही है | उन्हें शराब दुकानों में उपलब्ध निम्नस्तरीय शराब खरीदने को विवश होना पड़ रहा है | इस बारे में जब आबकारी विभाग के जिम्मेदार अफसरों से बातचीत की गई तब साफ हुआ कि शराब का खेल फिर पुरानी सरकार की तर्ज पर क्रियान्वित हो रहा है | निर्धारित रकम से ऊँची कीमतों पर ना केवल शराब की बिक्री हो रही है , बल्कि ग्राहकों को एक स्थानीय ठेकेदार की डिस्लरी में तैयार शराब ही खरीदने को जोर दिया जा रहा है |  एक अफसर ने तो यह भी कहा कि कांग्रेस सरकार से उनकी सेटिंग हो चुकी है , इसलिए वैसा ही चलेगा जैसा की पूर्ववर्ती सरकार में होता चला आया है | 

    


पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकाल की तर्ज पर कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में भी घटिया शराब परोस रहे है मयखाने |   

          छत्तीसगढ़ में शराब की खरीदी बिक्री पर पूरी तरह से सरकारी नियंत्रण है | राज्य सरकार ने इसके लिए दो संस्थानों का गठन किया है | शराब की थोक में खरीदी के लिए स्टेट बेवरेजेस कॉर्पोरेशन है | जबकि इसकी खुदरा बिक्री के लिए सी एम सी एल अर्थात छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग फैडरेशन का गठन किया गया है |  इन दोनों ही महकमों में तैनात अफसरों ने अपनी ऊपरी कमाई के लिए एक नया सॉप्टवेयर भी डेवलप किया है | इस सॉप्टवेयर के जरिए वो रोजाना लाखो की अवैध कमाई कर रहे है | इस सॉप्टवेयर को सरकारी शराब दुकानों में उपलब्ध माल का ब्यौरा जानने के लिए तैयार किया गया था | लेकिन अफसरों ने इसमें छेड़छाड़ कर अपने स्वार्थ सिद्धि के लिए डाटा फीड किया हुआ है | जिससे इस सॉप्टवेयर की पारदर्शिता पुरे तरीके से समाप्त हो चुकी है | अब यह सॉप्टवेयर सरकार की पारदर्शिता बरक़रार रखने के लिए नहीं बल्कि उन ठेकेदारो  को लाभ पहुंचाने के लिए क्रियान्वित हो रहा है , जिनसे आबकारी विभाग के जिम्मेदार अफसरों को हर हफ्ते और महीने  मोटी रकम प्राप्त होती है |  यह सॉप्टवेयर विभिन्न शराब की ड्यूटी के अनुसार उसकी उपलब्धता का ब्यौरा सी एम सी एल मुख्यालय को देता है | लेकिन पॉपुलर और उन लोकप्रिय ब्रांडो का ब्यौरा स्वीकार नहीं करता | न पॉपुलर ब्रांड के स्टॉक को प्रदर्शित करता है | खासतौर पर ऐसी बीयर और  शराब जो बार एवं  दुकानों में ग्राहकों के द्वारा प्रमुखता से मांगी जाती है | 

         मौजूदा  सॉप्टवेयर में चिप रेंज वाली  घटिया और स्थानीय स्तर पर तैयार माल की उपलब्धता का ही ब्यौरा और उसकी खपत का आंकलन दर्शाया जाता है | पॉपुलर ब्रांड की उपलब्धता और खपत का कोई ब्यौरा यह सॉप्टवेयर स्वीकार ही नहीं करता | इसके चलते सी एम सी एल में तैनात आबकारी अफसरो की पौ बारह है | दूसरी ओर लाभार्थी अफसर  स्थानीय ठेकेदारों या कहा जाए तो पूर्ववर्ती सरकार के कुछ चुनिंदा ठेकेदारों के ब्रांड को ही उपलब्ध कराने के निर्देश विभिन्न जिलों को दे रहे  है | नतीजतन मौजूदा  कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में भी वही कुछ हो रहा है जो पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार के कार्यकाल में हो रहा था |  नई सरकार से शराब के शौकीनों को काफी उम्मीदे थी | लेकिन अब उनके अरमानो पर पानी फिरने लगा है |  

            छत्तीसगढ़ बेवरेजेस  कॉर्पोरेशन में  पूर्ववर्ती बीजेपी के करीबी ठेकेदारों की कंपनी की चीफ रेंज वाली शराब और बीयर की सैकड़ो गाड़ियां रोजाना खाली हो रही है | जबकि लोकप्रिय ब्रांडो की गाड़ियां तीन हफ्ते से ज्यादा वक्त से कॉर्पोरेशन  के सामने खड़ी हुई है | अफसरों की मांग पूरी नहीं होने चलते  लोकप्रिय ब्रांडो के सप्लायरों को ठेंगा दिखाया जा रहा है | फ़िलहाल देखना होगा कि आबकारी विभाग के आला अफसर पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार के खासम-खास अफसरों और उनके  गिरोह को बाहर का रास्ता दिखाएंगे या फिर उनके मायाजाल में ही उलझे रहेंगे |