वो बचपन के दिन , जब मिल बैठे चार यार तो गिलास नहीं बल्कि खड़के कविताओं के बोल |  पोयम ढोल – मंजीरे के साथ दोस्तों ने स्कूली दिनों की यादें , कुछ इस तरह से तरो-ताजा की | देखिये वीडियों   

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आमतौर जब दोस्त मिलते है , तो पीने पिलाने की चर्चा सरगर्म हो जाती है , मौका मिले तो जामों के छलकने का दौर भी शुरू हो जाता है | लेकिन बचपन की यादों को तरो-ताजा करने के इस वीडियों ने हजारों लोगों को एक नई राह दिखा दी | जब यार दोस्त मिले तो उन्होंने बचपन की यादों को अपने ही अंदाज में सहेजा | हर किसी को वो दौर याद आया जब पोयम और रैम्स बोलने के लिए कभी शिक्षक का प्यार तो कभी डांट-फटकार मिलती थी |  वो दौर भुलाए नहीं भूलता , जब स्कूल में हर किसी की जुबान पर एक नई कविता होती थी | इसे याद करने के लिए उन्हें कड़ी मशक्क्त करनी पड़ती थी | ये कविताएं ऐसी याद हुई कि अब भुलाए नहीं भूलती | ये दोस्त जब इक्कठा हुए तो , अपने बचपन की यादों में खो गए | देखिये वीडियों |  

https://www.youtube.com/watch?v=0RSMCS5ejBA&feature=youtu.be