छत्तीसगढ़ विधानसभा भवन का नए भवन और उसके मॉडल को पूर्वबर्ती बीजेपी सरकार ने आचार संहिता लगने के बाद ” बैक डेट में मंजूरी दी थी ” | इस टेंडर में एक के बाद एक बड़े पैमाने पर शर्तो का उल्लंघन हुआ था | ताकि पूर्व मंत्री अपने चहेते ठेकेदार और आर्किटेक को इस नए विधानसभा भवन का निर्माण कार्य सौंप सके | पूर्वबर्ती बीजेपी सरकार ने आचार संहिता लगने के तुरंत बाद रातो रात नए विधानसभा भवन की तमाम औपचारिकताऐं पूरी कर रायपुर की ही एक कंपनी को डिजाइनिंग का ठेका सौंप दिया | इस कंपनी ने ही पूर्व PWD मंत्री और बीजेपी के कई नेताओ के निजी भवन और ईमारते बनाई थी | नए विधानसभा भवन के निर्माण के लिए लगातार तीन बार टेंडर बुलाए गए थे | दरअसल तीन बार टेंडर रद्द करने की नौबत इसलिए आन पड़ी थी, क्योंकि पूर्व मंत्री की चहेती कंपनी निर्माण शर्तो पर खरी नहीं उतर पा रही थी | लिहाजा इस कंपनी को डिजाइन का ठेका सौपा जा सके | इसके लिए दिल्ली के एक पीएसयू से उसका करार कराया गया | इस करार के बाद आनन फानन में उसकी डिजाइन को मंजूरी दे दी गई | इस मंजूरी को गैरकानूनी करार दिए जाने को लेकर कई शिकायते तत्कालीन PWD मंत्री राजेश मूणत और तत्कालीन ENC डीके प्रधान को सौपी गई थी | शिकायतकर्ता ने कई महत्वपूर्ण तथ्यों से पूर्वबर्ती बीजेपी सरकार को अवगत भी कराया लेकिन मंत्री प्रेम के चलते तमाम शिकायते दरकिनार कर दी गई | विधानसभा भवन के डिजाइन को लेकर अभी भी विवाद की स्थिति बनी हुई है | दरअसल जिस पीएसयू से करार कराया गया उसने बड़े भवनों के वाटर सप्लाई लाइन के निर्माण कार्य का अनुभव है , ना की विधानसभा और ऐसे ही बड़े एतिहासिक भवनों के डिजाइन और निर्माण का |
अयोग्य कंपनी के जरिये छत्तीसगढ़ विधानसभा का नया भवन बनाने की तैयारी जोर पर
एक अयोग्य कंपनी के जरिये छत्तीसगढ़ विधानसभा का नया भवन बनाने की तैयारी जोर शोर से चल रही है , जबकि मौजूदा कांग्रेस सरकार ने अटल नगर स्थित राजभवन और मुख्यमंत्री समेत कई मंत्रियो और अफसरों के बंगलो के निर्माण संबधी टेंडर रद्द कर दिए | ये सभी टेंडर पूर्वबर्ती बीजेपी सरकार के कार्यकाल में बुलाए गए थे | एक जानकारी के मुताबिक भूपेश बघेल सरकार ने लगभग 535 करोड़ के टेंडर निरस्त कर कई ठेकेदारों और अफसरों के अरमानो पर पानी फेर दिया है | हालांकि राज्य सरकार अब नए सिरे से टेंडर जारी करेगी | लेकिन विधानसभा निर्माण संबधी विवादित टेंडर को निरस्त ना करने को लेकर कांग्रेस सरकार ने कोई वजह स्पष्ट नहीं की है |
नया विधानसभा भवन के निर्माण को लेकर वैबकॉस नामक दिल्ली की एक कंपनी के साथ रायपुर के एक आर्किटेक्ट ने गठजोड़ किया था | इसके बाद यह कंपनी वेबकॉस रायपुर के नाम से विधान सभा भवन की डिजाइन कंसल्टेंसी के लिए मैदान में कूद गयी थी | बीजेपी शासनकाल में इस कंपनी को एक कद्दावर मंत्री का वरदहस्त प्राप्त था | जबकि यह कंपनी मध्यप्रदेश समेत दूसरे राज्यों में ब्लैकलिस्टेड है | बावजूद इसके यह ब्लैकलिस्टेड कंपनी अब छत्तीसगढ़ की विधान सभा की नीव रखेगी |
देश के कई राज्यों में वेबकॉस सरकारी और निजी निर्माणकर्ता एजेंसियों की नजरो में खरी नहीं उतरी है और उन राज्यों ने उसे ब्लैकलिस्टेड कर रखा है | लेकिन छत्तीसगढ़ में बीजेपी शासनकाल में इस कंपनी को नई विधानसभा के निर्माण संबधी कार्यो की जवाबदारी सौप दी गई | PWD विभाग के अफसरों ने टेंडर देते ही इस कंपनी को तत्काल अनुचित लाभ देना भी शुरू कर दिया है | दरअसल वेबकॉस कंपनी का पूरा नाम वॉटर एन्ड पावर कंसल्टेंसी सर्विसेस लिमिटेड है | इसका कार्य अनुभव सिर्फ वॉटर सप्लाई , सीवरेज और ड्रेनेज जैसे कार्यों का है , ना की प्रतिष्ठित भवनों के निर्माण का | मध्यप्रदेश सरकार ने हाल ही में अपने राज्य में कई प्रतिष्ठानों से इसे ब्लैकलिस्टेड करते हुए उसके सभी कार्यों पर रोक लगा दी थी | यहाँ तक की नोटिस देने के बाद तमाम कार्य निरस्त भी कर दिए गए थे | इसमें MPRRDA , EPCO, MPPWD और अन्य विभाग शामिल है |
वेबकॉस को ठेका देने के लिए टेंडर तक कई बार किया गया बदलाव
छत्तीसगढ़ में विधानसभा भवन के निर्माण को लेकर सुनियोजित ढंग से वेबकॉस की एंट्री कराई गयी थी | विधान सभा भवन निर्माण के लिए पहला टेंडर नवंबर 2017 में निकाला गया था | इसमें महत्वपूर्ण शर्त रखी गयी थी कि वही कंपनी बिड में शामिल होंगी जिसने कम से कम 200 करोड़ की लागत वाली कोई आइकोनिक बिल्डिंग का निर्माण किया हो, मसलन विधान सभा भवन और राजभवन जैसे महत्वपूर्ण भवनों का निर्माण किया हो | इसमें यह भी शर्त रखी गयी थी कि बिड में हिस्सा लेने वाली कोई कंपनी जॉइंट वेंचर वाली ना हो | लेकिन बीजेपी के तत्कालीन एक मंत्री के हस्ताक्षेप के बाद इस टेंडर को निरस्त कर दिया गया | मंत्री जी वेबकॉस को यह ठेका दिलाना चाहते थे , लेकिन शर्तो के मुताबिक यह कंपनी खरे नहीं उतर रही थी | इस टेंडर को निरस्त करने के बाद नया टेंडर 29 जनवरी 2018 को जारी किया गया था | इस टेंडर में मंत्री जी के निर्देश के बाद पुराने टेंडर की सभी शर्त हटा दी गयी थी | साथ ही एक नई शर्त शामिल करते हुए कहा गया था कि बिड में शामिल होने वाली कंपनी मात्र 60 करोड़ का ऑनगोइंग बिल्डिंग वर्क का 90 फीसदी काम को पूरा करते हुए निविदा में शामिल हो सकती है | वेबकॉस रायपुर को ठेका दिलाने के लिए इस टेंडर में PWD विभाग ने जॉइंट वेंचर वाली शर्त भी हटा ली | इसके बाद मंत्री जी की कृपा से टेंडर पाने में वेबकॉस कामयाब रही |
वेबकॉस नामक ब्लैकलिस्टेड कंपनी ने देश के किसी भी इलाके में ना तो विधान सभा भवन बनाया है और ना ही राजभवन ,अदालत या ऐसा कोई प्रतिष्ठित भवन या ईमारत जो राष्ट्रिय स्तर या राज्य के लिए महत्वपूर्ण हो | यह भी गौर करने लायक तथ्य है कि रायपुर के जिस आर्किटेक्ट ने इस कंपनी से गठजोड़ कर टेंडर हासिल किया है , उसे भी इस तरह के किसी प्रतिष्ठित भवन के निर्माण का कोई विशेष अनुभव नहीं है | मसलन यह आर्किटेक्ट कोई भी राष्ट्रिय महत्त्व की इमारतों के निर्माण की डिजाइन में अधिकृत रूप से शामिल नहीं है |
नया रायपुर में 7 मई 2018 को इस कंपनी का कॉन्सेप्ट प्रेजेंटेशन हुआ था | इस प्रजेंटेशन में बीजेपी के तत्कालीन विधायकों , मंत्रियों के अलावा नेता प्रतिपक्ष और मुख्यमंत्री शामिल हुए थे | सभी ने वेबकॉस के बजाए दिल्ली की एक दूसरी कंपनी की डिजाइन और अनुभव की प्रशसा कर उसकी इमारतों पर गौर फ़रमाया था | लेकिन आचार संहिता लगने के बाद अचानक अफसरों ने पलड़ा बदल लिया और बैक डेट पर कई औपचारिकताऐं पूरी कर दी |
छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार और पार्टी के विधायकों और जनता को इस ओर गौर करना होगा कि नया विधान सभा भवन भविष्य में इस राज्य की धरोहर साबित होगा | लिहाजा इसका नवनिर्माण ऐसे हाथो में हो जिन्हे आदर्श और महत्वपूर्ण भवनों के निर्माण का अनुभव प्राप्त हो | RTI कार्यकर्ता मुकेश कुमार ने मांग की है कि कांग्रेस सरकार नए विधानसभा भवन के निर्माण के लिए भी पूर्वबर्ती बीजेपी सरकार का टेंडर निरस्त करे |