रायपुर पुलिस का गोरखधंधा ,धारा लगाने और हटाने के लिए पीड़ितों और आरोपियों से लाखो की वसूली ,प्रत्येक थाने को दो करोड़ का टारगेट ,अवैध वसूली से मालामाल अफसर | 

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रायपुर | रायपुर के किसी भी थाने में किसी भी शख्स के खिलाफ FIR दर्ज करने ,दर्ज FIR में धारा हटवाने या नई धारा लगवाने ,समय पर चालान प्रस्तुत करने या नहीं करने ,आरोपी की गिरफ्तारी करने या उसे फरार दर्शा कर उसका बचाव करने जैसे मामलों के लिए लाखो का रेट फिक्स कर दिया गया है | इसके लिए आरोपी और पीड़ित दोनों से अवैध वसूली के लिए पेशकश की जाती है ,फिर सौदा तय होने पर आरोपी को राहत और पीड़ितों को फटकार लगती है | यदि पीड़ित आरोपी से ज्यादा रकम देने को तैयार हो जाता है तो जांच अधिकारी आरोपी के खिलाफ कार्रवाई करने की जहमत उठाते है | एक जानकारी के मुताबिक राजधानी रायपुर के आधा दर्जन से ज्यादा बड़े थानों की अवैध वसूली दो करोड़ रुपए प्रति माह से ज्यादा की है | शेष थानों में प्रकरण के आधार पर वसूली के निर्देश दिए गए है |

दिलचस्प बात यह है कि सरकार और अदालत की आँखों  में धूल झोकने का काम पुलिस के जिम्मेदार अधिकारियों की देखरेख में हो रहा है | करोडो की अवैध वसूली से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सरकार की साख पर ना केवल बट्टा लग रहा है बल्कि डीजीपी डीएम अवस्थी की कार्यप्रणाली पर भी सवालियां निशान लग रहा है | रायपुर पुलिस महकमे में अवैध वसूली काफी अनुशासित ढंग से हो रही है | बताया जाता है कि डीएसपी स्तर का एक अधिकारी लेन-देन के तौर तरीको से लेकर प्रकरण में हस्ताक्षेप के लिए स्वतंत्रता पूर्वक कार्य करता है | यह भी जानकारी सामने आई है कि अपराध शाखा से जुड़े इस वसुलीबाज अफसर को रिश्वत लेते रंगे हाथो धर दबोचने के लिए ACB ने दो बार जाल बुना ,लेकिन अंतिम समय पुलिस महकमे की बदनामी का हवाला देकर छापामार कार्रवाई रोक दी गई | शिकायतकर्ता इस बात से हैरत में है कि अवैध वसूली की पुख्ता जानकारी देने के बावजूद आखिर क्यों ऐसे अफसरों को बचाया जा रहा है ?  रायपुर पुलिस की अवैध वसूली के किसी भी दावे की पुष्टि “न्यूज़ टुडे छत्तीसगढ़” नहीं करता | यह समाचार शिकायतकर्ताओ और पीड़ितों के तथ्यों पर आधारित है | इसकी सच्चाई जानने के लिए रायपुर पुलिस और रायपुर रेंज के आलाधिकारियों को चर्चित प्रकरणों की तह तक जाना होगा | 


फ़िलहाल हम उस ताज़ा मामले को  पुलिस विभाग के जिम्मेदार अफसरों से संज्ञान में लाना चाहते है ,जिसका चालान मंगलवार दिनांक 22/10/2019 को आरोपी के निर्देशानुसार सिटी कोतवाली रायपुर पुलिस पेश करने जा रही है | बताया जाता है कि आरोपी को जमानत में आसानी हो सके इसके लिए 50 लाख रुपए अग्रिम एक अफसर को भेंट किए गए है | इसके बाद आरोपी के खिलाफ दर्ज चार सौ बीसी के प्रकरण को काफी कमजोर किए जाने के निर्देश प्राप्त हुए है | बताया जाता है कि रायपुर के पंडरी और मालवीय रोड स्थित “जैनम”  नामक व्यवसायिक संस्थान के कारोबारी महेंद्र कोचर पिछले दो हफ्तों से सेंट्रल जेल की हवा खा रहे है | उनके खिलाफ धारा 420 ,467 ,468 के तहत दिनांक 6/10/2019 को सिटी कोतवाली रायपुर में अपराधिक प्रकरण दर्ज किया गया था | सूत्र बता रहे है कि जेल में बंद इस आरोपी की जमानत के लिए उसके करीबी साथियों ने पुलिस विभाग के एक अफसर को मोटी रकम अदा की | इसके बाद तय किया गया है कि मंगलवार 22 अक्टूबर को समय पूर्व ही पेश किए जाने वाले चालान से गैर-जमानतीय धारा 467 और 468 दोनों को विलोपित किया जाएगा | सवाल यह उठ रहा है कि आखिर किसके निर्देश पर यह दोनों धारा हटाई जा रही है | इसे लेकर जांच अधिकारी एक जिम्मेदार अफसर का नाम ले रहे है | बताया जाता है कि पुलिस विभाग के DPO के निर्देश के बाद सिटी कोतवाली ने आरोपी   महेंद्र कोचर के खिलाफ गैर-जमानतीय धाराओं के तहत प्रकरण दर्ज किया था ,लेकिन अब लेन -देन के बाद चालान में छेड़छाड़ कर उन धाराओं को हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है | इस मामले में पीड़ित रायपुर पुलिस अधिक्षक के कार्यालय में अपनी शिकायत और आपत्ति लेकर पंहुचा था |  किसी भी प्रकरण का चालान पेश करने लिए 60 से लेकर 90 दिन की अवधि कानूनन  नियत की गई है | आमतौर पर समय पर चालान पेश करने के लिए पुलिस सक्रियता नहीं दिखाती | लेकिन इस मामले में मात्र दस दिन के भीतर चालान पेश करने को लेकर कोतवाली पुलिस जी जान से जुट गई है |   

रायपुर पुलिस की अवैध वसूली से बुरा हाल उस सेव व्यापारी का भी है ,जिसे सिटी कोतवाली पुलिस ने हिमाचल प्रदेश के शिमला से गिरफ्तार कर रायपुर लाया है | बताया जाता है कि पांच करोड़ की ठगी का आरोपी पर झूठा प्रकरण दर्ज कर उसकी गिरफ्तारी की गई है | फ़िलहाल यह व्यापारी सेंट्रल जेल रायपुर में बंद है | वह अपनी जमानत को लेकर बेहद परेशान है और लोगो को अपनी आपबीती सुना रहा है | उसके मुताबिक उसके खिलाफ पूरी तरह से फर्जी तौर पर प्रकरण दर्ज किया गया है | जांच अधिकारी ने बगैर सबूतों और तथ्यों पर गौर किए उसके खिलाफ चार सौ बीसी का प्रकरण दर्ज किया था | उस पर दबाव बनाने के लिए हफ्ते भर तक डील चलने की जानकारी भी लगी है | इसमें रायपुर पुलिस की एक वसुलीबाज टीम मामले को शेटल कराने में जोरशोर से जुटी हुई  है | सूत्र बता रहे है कि इस मामले में भी बड़े पैमाने पर लेन-देन हुआ है | शिकायतकर्ता भी खुद दावा कर रहा है कि FIR लिखने के लिए एक पुलिस अफसर को ढाई करोड़ रुपए रिश्वत में दिए गए थे | दरअसल शिकायतकर्ता की नजर सेव व्यापारी के शिमला स्थित 16 एकड़ में फैले सेव बागान पर है |  इसके लिए व्यापारिक खामियों का फायदा उठाते हुए कारोबारी ने फर्जी शिकायत पुलिस में दर्ज कराई थी | यह तथ्य हमारे संवाददाता से बातचीत के दौरान सेव व्यापारी और उसके परिजनों ने दी |     

 
  रायपुर के मोवा पंडरी थाने में दर्ज चार सौ बीसी के एक अन्य प्रकरण में भी करोडो की वसूली की खबर है | इस मामले में आरोपी मुकेश अग्रवाल वल्द सुरेश अग्रवाल शहर में मौजूद है ,लेकिन स्थानीय  थाने के कर्मी उसे फरार बता रहे है | दिलचस्प बात यह है कि इस अभयदान के लिए आरोपी खुलेआम दावा कर रहा है कि उसने दो करोड़ रुपए एक अफसर को सौपे थे | चार करोड़ की ठगी के मामले मोवा पंडरी थाने में आरोपी मुकेश अग्रवाल के साथ अन्य तीन लोगो के खिलाफ चार सौ बीसी समेत अन्य धाराओं में प्रकरण दर्ज किया गया था | इस मामले में मुख्य आरोपी मुकेश अग्रवाल की गिरफ्तारी को लेकर पुलिस आनाकानी कर रही है , जबकि शेष तीन आरोपी लंबे अरसे से जेल की हवा खा रहे है |    


इन तीनो ही प्रकरणो को लेकर न्यूज़ टुडे छत्तीसगढ़ ने रायपुर के वरिष्ठ पुलिस अधिक्षक आरिफ शेख से संपर्क करने की कोशिश की | हालांकि उनका मोबाईल बंद प्राप्त हुआ | पुलिस अधिक्षक कार्यालय से जानकारी मिली कि वे 12 दिनों के लिए अवकाश पर है | हमारे सवांददाता ने रायपुर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक आनंद छाबड़ा से भी संपर्क किया लेकिन उनके साथ भी संवाद स्थापित नहीं हो पाया |