उपेंद्र डनसेना [EditedBy : शशिकांत साहू]
कई अफसर व खाकी वर्दी के लोग भी उन्हें संरक्षण देते हुए रोजाना अवैध उत्खनन को बढ़ावा दे रहे हैं |
रायगढ़. जिले घरघोड़ा तहसील के अलावा लैलूंगा, तमनार के राजस्व व वन भूमि में तेजी से काले हीरे का अवैध उत्खनन जारी है । लंबे समय से चल रहे इस अवैध उत्खनन के कारोबार में प्रशासन के कई अधिकारी के अलावा वन विभाग से जुड़े कई अफसर व खाकी वर्दी के लोग भी उन्हें संरक्षण देते हुए रोजाना अवैध उत्खनन को बढ़ावा दे रहे हैं । सेटिंग के इस खेल में कोयला तस्कर का गैंग इतना मजबूत है कि वे दिन हो या रात बड़े आराम से अवैध कोयला खदानों से अपने वाहन न केवल निकालते हैं | बल्कि उद्योगों तक पहुंचाने में कामयाब हो जाते हैं । समय-समय पर राजस्व विभाग कार्रवाई तो करता है, लेकिन छुटपुट कार्रवाई करने के बाद मामला ठंडे बस्ते में चला जाता है जिसके चलते कोयला तस्करों के बुलंद हौसले प्रशासन को चुनौती दे रहे हैं । स्थिति यह है कि सरकार बदलने के बाद सरकार के ही कुछ समर्थक कोयला तस्करों के साथ मिलकर तस्करी को बढ़ावा दे रहे हैं और जगह-जगह अवैध कोयला उत्खनन का कारोबार इतना फैल गया है कि इन्हें रोक पाना शायद अब प्रशासन के हाथ में नहीं रहा । कारण यह है कि कोयला खदानों में चल रहे अवैध उत्खनन की जानकारी घरघोड़ा, तमनार, लैलूंगा थानों के साथ-साथ तहसील कार्यालयों में बैठे अधिकारियों और वहां स्थित वन विभाग के कार्यालयों में भी है, पर कार्रवाई नहीं करने के नाम पर मिलने वाली रकम के अलावा वे सीधा समर्थन कोयला तस्करों को ही कर रहे हैं।
अधिकारिक सूत्र बताते हैं कि छत्तीसगढ़ में नई सरकार बनते ही कोयला तस्करी में न केवल तेजी आई है बल्कि चोरी का कोयला खरीदने वाले अधिकांश उद्योग प्रबंधन भी शामिल हो चुके हैं । जानकार सूत्र बताते हैं कि घरघोड़ा हो चाहे तमनार या लैलूंगा यहां स्थित वन भूमि व राजस्व भूमि के कई ऐसे इलाके हैं जहां धरती के कुछ फुट नीचे ही कोयला का भंडार है और इसी का फायदा पुराने कोयला तस्कर लगातार उठा रहे हैं। ऐसा नहीं है कि पुराने कोयला तस्करों का रिकार्ड संबंधित थानों में नहीं है पर अब इन पुराने कोयला तस्करों के हौसले राजनीति पहुंच वाले नेताओं के साथ जुड़ चुके हैं और शायद इसीलिए मोटी रकम एक मुश्त देकर अपने चल रहे कारोबार को और बढ़ाते हुए ये कोयला तस्कर जिला प्रशासन को ही नहीं बल्कि राज्य सरकार को भी ठेंगा दिखा रहे हैं। सूत्रों की मानें तो रोजाना अवैध कोयले से लदी 20 से भी अधिक गाडिय़ां अलग-अलग जगहों से निकलती है और यह कोयला ईंटा भट्टो के अलावा कई उद्योगों में खपाकर प्रतिदिन लाखों रुपए की कमाई की जाती है। जिसमें से हिस्सा का बंटवारा होनें से इसे हरी झंडी सेटिंग वाले अधिकारी दे रहे हैं। एक जानकारी के अनुसार कुछ सफेदपोश लोग भी अपनी फिक्स रकम लेने के चलते इस कारोबार में पुरा सहयोग इसलिए दे रहे हैं चूंकि कोयला तस्कर सीधे-सीधे अपनी काली कमाई में से उनको हिस्सेदार बनाने में नहीं चुक रहे हैं ।
एक सूत्र ने बताया कि हाल ही में चोटीगुड़ा, जामपाली, जामपाली के पीछे स्थित अवैध खदान के साथ-साथ लैलूंगा क्षेत्र स्थित चिंगारी और अन्य जगहों में अवैध उत्खनन की जानकारी जब बड़े अधिकारियों को दी जाती है तो उनकी जानकारी जैसे ही थानों तक पहुंचती है तो सेटिंग के जरिए छोटी-मोटी कार्रवाई के जरिए कोयला तस्करों को न केवल बचा लिया जाता है बल्कि उनकी गाडिय़ों को आगे रवाना कर दिया जाता है। कोयला तस्कर का यह भी कहना है कि पूरे क्षेत्र में उनके कई सहयोगी राजस्व विभाग, वन विभाग व पुलिस विभाग के साथ-साथ उनको सहयोग करने वालों की जानकारी रखता है ताकि समय पडऩे पर उनका सहयोग लिया जा सके तथा अवैध कारोबार पर होने वाली कार्रवाई से बच कर बड़े नुकसान से बचा जा सके। दो दिन पहले ही चिंगारी इलाके में पुलिस अधीक्षक राजेश अग्रवाल के दिशा निर्देश के बाद 6 ट्रक कोयला लोड होकर निकलने की जानकारी किसी ने फोन पर दी थी और इसी जानकारी के बाद पुलिस अधीक्षक ने लैलूंगा थाना प्रभारी को छोड़कर तमनार तथा घरघोड़ा थाना प्रभारियों को जिम्मेदारी दी थी कि कोयला तस्करों को पकड़कर मामला दर्ज करें लेकिन यहां भी कोयला तस्कर के मुखबिर सफल हो गए। पुलिस टीम पहुंचने से पहले ही सभी ट्रक कोयला लेकर फरार हो गए और वहां एक जेसीबी को पकड़कर पुलिस ने अपनी सक्रियता का बड़ा प्रमाण दे दिया। तस्कर का यह भी कहना था कि इस जेसीबी को छोडऩे के लिए 5 लाख तक की सौदेबाजी की गई थी, लेकिन पुलिस अधीक्षक के पाइंट पर दोनों थाना प्रभारियों ने इस मामले से अपनी दूरी बनाई और जेसीबी को जब्त करके संबंधित अवैध उत्खनन करने वाले तस्कर के खिलाफ मामला दर्ज करके अपनी डायरी पुख्ता कर ली। अधिकारिक सूत्र बताते हैं कि खनिज विभाग को भी इस पूरे मामले की जानकारी रोजाना मिलती है, लेकिन एक्का-दुक्का कार्रवाई करके खनिज विभाग अपनी फाईल दुरूस्त करता है जबकि पूरे घरघोड़ा तथा आसपास के इलाके में दो दर्जन से भी अधिक कोयला खदाने संचालित हो रही है और खुलेआम दिन व रात होनें वाले इस अवैध उत्खनन को रोक पाने के लिए पूरा प्रशासन कोयला तस्करों को रोक नही पा रहा है जिससे यह बात साफ हो जाती है कि राजनीति संरक्षण प्राप्त कोयला तस्करों से मिलने वाली मोटी रकम के आगे बडी सेटिंग का यह खेल जारी है और करोड़ो रूपए के रायल्टी नुकसान मामले को लेकर सरकार हाथ पर हाथ धरे इस बडी तस्करी को रोकने के लिए पहल नहीं कर रही है। सूत्र यह भी बताते हैं कि घरघोड़ा क्षेत्र में सबसे अधिक नजर लोगों की होने के कारण तमनार क्षेत्र में पुलिस अधिकारियों के सरक्षंण में कोयला तस्करी जोरों पर है।
राजेश अग्रवाल पुलिस अधीक्षक रायगढ़ के मुताबिक के मुताबिक जानकारी मिलने पर संबंधित अवैध कोयला खदानों पर पुलिस टीम भेजी जाती है और पुलिस टीम ने कई मामले में दर्ज भी किए हैं और कई बार अवैध कोयले से लदे ट्रकों को पकड़कर थानों में रखा है, अभी भी समय-समय पर कोयला तस्करों के खिलाफ कार्रवाई लगातार जारी है ।
यह बात सही है कि घरघोड़ा तथा आसपास इलाके में कोयला उत्खनन हो रहा है, लेकिन अधिकांश कोयला का खनन वन भूमि पर होनें से वन विभाग को इस पर कार्रवाई करनी चाहिए और जब भी कलेक्टर के निर्देश उन्हें मिलते है तो पूरी टीम मौके पर पहुंचकर तस्करों के खिलाफ कार्रवाई करती है और अभी भी सूचना मिलने के बाद कई उद्योगों में छापामार कार्रवाई करते हुए प्रकरण भी दर्ज किए हैं ।